मित्रों
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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एक चम्मच प्यार
Pratibha Katiyar
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कहानी प्रेम की?
हाँ ... नहीं ...
वो एक ऐहसास था प्रेम का जिसकी कहानी है ये ...
जाने किस लम्हे शुरू हो के कहाँ तक पहुंची ...
क्या साँसें बाकी हैं इस कहानी में ...
हाँ ...
क्या क्या कहा नहीं ...
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मौसम
दो ही दिन में यह क्या से क्या हो गया?
पलक झपकते ही पारा इतना ऊपर चढ़ गया ।
संभाल भी ना पाए थे अभी कम्बल और रज़ाई
कि फुल स्पीड पंखा पकड़ गया ।
पूछ रहे हैं रो - रोकर दस्ताने और ये मेरे मफलर
कि जाड़े का वह मौसम
कब, कहाँ और कैसे बिछड़ गया ? ....
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दिल होता है कितना सुन्दर
वो सुंदरता का मुरीद था,
होता भी क्यूँ न! मेरा दिल था-
उसकी आँखों में ...
दिल होता है,कितना सुन्दर ये जाना था
उसने मुझसे -बातों में ...
मेरे मन की पर
अर्चना चावजी Archana Chaoji
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ललित शर्मा का तिलस्म
ताऊ ने तोड़ दिया
लित डाट काम पर एक प्रश्न पत्र प्रकाशित हुआ था जो आज तक अनुत्तरित है। अभी अभी पिछले सप्ताह ही ललित शर्माजी ने चेलेंज किया था कि वो प्रश्नपत्र आज तक कोई नही सुलझा पाया। गोया ये प्रश्न पत्र नही हुआ बल्कि देवकीनन्दन खत्री जी का चन्द्रकान्ता सन्तति उपन्यास होगया। ललित जी ने ये तिलस्म बांधा था जो शायद ताऊ की वापसी के लिए बांधा गया था। अब समय आ गया है कि इस तिलस्म को तोड़ दिया जाए...
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पुलिस और गुंडा दलों को
सजा देने का अधिकार वही समाज देता है
जो ग़ुलामी को स्वीकार करता है! ------
मुकेश त्यागी
क्रांति स्वर पर
विजय राज बली माथुर
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ग़ज़ल
ईंट गारों से’ बना घर को’ मकां कहते है
प्यार जब बिकने’ लगे, दिल को’ दुकां कहते हैं ...
कालीपद "प्रसाद"
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मैं और वो
शहर की सुंदर लड़की,तेज़-तर्रार, नाज़-नखरेवाली,
साफ़-सुथरी, सजी-धजी,
शताब्दी ट्रेन की तरह सरपट दौड़ती.
मैं, गाँव का लड़का,
सीधा-सादा, भोला-भाला,
पटरी पर खड़ा हूँ,
जैसे कोई पैसेंजर ट्रेन.
उसे मुझसे आगे निकलना है.
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लेकिन कोई तो है
तफ़रीह को था आया मगर जाँ पे आ गया
कैसा हसीन ख़्वाब निगाहों को भा गया...
अंदाज़े ग़ाफ़िल पर
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
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शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
बढ़िया चर्चा।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार!
सबको हिन्दू नववर्ष की हार्दिक मंगलकामनाएं!
मेरे ब्लाग पोस्ट को शामिल करने हेतु आदरणीय शास्त्री जी को धन्यवाद व आभार।
जवाब देंहटाएंविस्तृत सुंदर चर्चा ... मज़ा आया ...
जवाब देंहटाएंआभार मुझे भी शामिल करने का ...
सुन्दर चर्चा. मेरी कविता को जगह दी. शुक्रिया.
जवाब देंहटाएंdhanyvaad ....aapne yaad kiya..achchha laga
जवाब देंहटाएंHARDIK DHNYAVAD BAHUT SUNDAR CHARCHA . AAPNE JODA YAH SUKHAD ANUBHUTI HAI
जवाब देंहटाएंawadheshvermashine.blogspot.com
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