मित्रों
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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क्यों नहीं होती है सृष्टि-निर्माता ब्रह्मा जी की पूजा,
और क्यों है इनके सिर्फ़ कुछ ही मंदिर-
डा श्याम गुप्त
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गीत
"मलयानिल में अंगार भरो"
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अंक है धवल-धवल।
पंक में खिला कमल।।
हाय-हाय हो रही,
गली-गली में शोर है,
रात ढल गई मगर,
तम से भरी भोर है,
बादलों में घिर गया,
भास्कर अमल-धवल।
अंक है धवल-धवल।
पंक में खिला कमल...
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लक्ष्य
प्रभु मन में क्लेश छाया हुआ है।
अंतर्मन पर जैसे निराशा का घोर बादल पसर गया है।
कही से कोई आशा की किरण नहीं दिख रहा।
लगता है जैसे भविष्य के गर्भ में
सिर्फ अंधकार का साम्राज्य है।
मन में वितृषा छा गया है।
प्रभु आप ही अब कुछ मार्ग दर्शन करे...
अंतर्नाद की थाप पर Kaushal Lal
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"चैरिटी" में हम अपने छोटे-छोटे,
निर्धन पडोसी देशों से भी पीछे हैं
....आज संसार में नवधनाढ्यों की सबसे बड़ी जमात भारत में है। धर्म के नाम पर या अनिश्चित भविष्य से आशंकित हो, भय के कारण हम भले ही धर्मस्थलों पर लाखों का चढ़ावा चढ़ा दें पर किसी जरूरतमंद को, किसी सर्वहारा को कुछ देने में सदा कंजूसी बरतते है। दान-पुण्य में हम बहुत पीछे हैं। यह सही है कि किसी से जबरदस्ती "चैरिटी" नहीं करवानी चाहिए यह तो दिल से होना चाहिए जिसकी हमें आदत नहीं है। हमें खुद को बदलने की सख्त जरुरत है यह जानते हुए कि
विश्व भर के गरीबों की एक तिहाई संख्या हमारे ही देश में है
कुछ अलग सा पर गगन शर्मा
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हिन्दी की राष्ट्रीय स्वीकार्यता अभियान :
विभिन्न दृष्टियों ,रूपों पद्धतियों का
आकलन और समन्वय:
गिरीश कुमार त्रिपाठी
PAWAN VIJAY
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तब तक ...
जब मस्जिदों में हवन मंदिरों से आजान होगी
झोपड़ियों में मंत्री रहेंगे चौपालो पर विधान होगी
जब हर आंसू पर कार्य स्थगन
हर भूख पर आपातकाल होगा
तब समझना ये मुल्क आज़ाद है ...
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शेयर मार्केट में ताऊत्व का महत्व
भक्त जनों, आजकल शेयर मार्केट उछाल पर है और हमेशा से ही शेयर मार्केट को लोग शार्टकट में पैसा कमाने का जरिया समझते आये हैं। और ताऊ गवाह है , और थोड़ा बहुत इतिहास और भगवान भी गवाह है कि इस मार्केट से ताऊओ के अलावा कोई भी कमाना तो दूर, अपना पैसा भी वापस घर नहीं ले जा पाया है...
ताऊ डाट इन पर ताऊ रामपुरिया
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नीयत
अर्जुन, तुम्हें याद है ?
द्रोणाचार्य ने मुझसे
गुरु-दक्षिणा में अंगूठा माँगा था,
उस ज्ञान के लिए,
जो उन्होंने मुझे दिया नहीं...
कविताएँ पर Onkar
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इस गर्मी को नमन
और अंतत: आज एक तारीख को
गर्मी ने एलान कर ही दिया कि मैं आ गयी हूँ...
smt. Ajit Gupta
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ग़ाफ़िल दिल के बीमारों से क्या लेना
सब्ज़ शजर को अंगारों से क्या लेना
एक बाग़बाँ को आरों से क्या लेना...
अंदाज़े ग़ाफ़िल पर
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
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शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
बहुत सुंदर संकलन
जवाब देंहटाएंआनन्द आया
बधाई
सुन्दर लिंक्स. मेरी कविता शामिल करने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंनये आवरण के साथ अच्छी चर्चा । सुन्दर सूत्रों में 'उलूक' को भी जगह देने के लिये आभार।
जवाब देंहटाएंक्रांतिस्वर की पोस्ट शामिल करने के लिए शास्त्री जी को बहुत बहुत धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंsundar rachna keep visiting on kahanikikitab.blogspot.in
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति
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