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गुरुवार, मार्च 16, 2023

"पसरी धवल उजास" (चर्चा अंक 4647)

सादर अभिवादन 

आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है 

(शीर्षक और भूमिका आदरणीय शास्त्री सर जी की रचना से)

हैं शीतलता-उष्णताजीवन के आधार।

जब तक सूरज-चन्द्रमातब तक ही संसार।।

आईये, आज की चर्चा का शुभारम्भ करते हैं  

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 दोहे "पसरी धवल उजास" 

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

चन्दा में होती नहींसूरज जैसी धूप।

शीतलता को बाँटताउसका प्यारा रूप।।

-३-

चन्दा चमका गगन मेंपसरी धवल उजास।

कुदरत के उपहार काकरना मत परिहास।।

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“मैत्री”

सूरज की सोहबत में

लहरों के साथ दिन भर

गरजता उफनता रहा 

समुद्र ..

साँझ तक थका-मांदा 

जलते अंगार सा वह जब

जाने को हुआ अपने घर

 तो..

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रहेगा हो के जो किसी का नाम होना था ...

न चाहते हुए भी इतना काम होना था.
हवा में एक बुलबुला तमाम होना था.


जो बन गया है खुद को भूल के फ़क़त राधे,
उसे तो यूँ भी एक रोज़ श्याम होना था.

वो खुद को आब ही समझ रहा था पर उसको,
किसी हसीन की नज़र का जाम होना था.

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बेटियाँ खपती जाती हैं दो दो घरों की फिकर में ।

कावेरी ने जब सुना कि बेटी इस बार होली पे आ रही है तो उसकी खुशियों की सीमा ही न थी । बड़ी उत्सुकता से लग गयी उसकी पसन्द के पकवान बनाने में ।  अड़ोस-पड़ोस की सखियों को बुलाकर उनके साथ मिलकऱ, ढ़ेर सारी गुजिया शक्करपारे और मठरियाँ बनाई । शुद्ध देशी घी में उन्हें तलते हुए वह बेटी कान्ति की बचपन के किस्से सुनाती जा रही थी सबको । पिछले एक साल से कान्ति मायके ना आ सकी तो माँ का मन तड़प रहा था बेटी से मिलने के लिए । 
-----------------------------तू आराध्य तू है ईश तू

भगवान तू  ही  है ईश तू।
जगन्नाथ तुम जगदीश तू।
महामना महान महीष तू।
देते सभी को आशीष  तू
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रतजगा पाखी 

कोहरे में ढकी रहती है सदा जीवन की परिभाषा, 
कभी रहस्यमय चक्र सी, कभी महज सरल रेखा, 
सफ़र में आते हैं, असंख्य यति चिन्हों के स्टेशन, 
पल भर का मेल बंधन अंतिम गंत्वय है अनदेखा,
--------------------हम ही तो बादल बन बरसे

तुझमें मुझमें कुछ भेद नहीं 

मैं तुझ से ही तो आया है, 

अब मस्त हुआ मन यह डोले 

सिमटी यह सारी माया है !

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सौंदर्य एक बाग़ का

महका बाग़ 
 छोटे छोटे पुष्पों से 
कई रंगों के
पुष्प खिले हैं 
आई रौनक वहां 

चहके पक्षी 
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बहुत-बहुत बधाई एवं अनंत शुभकामनायें दी

आपका सफर यूँही जारी रहें,नमन आपको

छलका मधु घट - विमोचन की विज्ञप्ति

साथियों आपके साथ यह शुभ समाचार शेयर करते हुए मुझे हार्दिक प्रसन्नता की अनुभूति हो रही है कि १२ मार्च, दिन रविवार को मेरे सद्य प्रकाशित हाइकु-संग्रह, 'छलका मधु घट' का विमोचन समारोह यूथ हॉस्टल संजय प्लेस आगरा में यहाँ के वरिष्ठ साहित्यकारों के कर कमलों के द्वारा विधिवत संपन्न हुआ ! प्रस्तुत है कार्क्रम की छोटी सी प्रेस विज्ञप्ति आदरणीय कुमार ललित जी द्वारा
--------------------आज का सफर यही तक,अब आज्ञा दें आपका दिन मंगलमय हो कामिनी सिन्हा

12 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर चर्चा . आभार मुझे शामिल मारने का …

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर सूत्रों से सजा चर्चा मंच । आज की चर्चा में मेरे सृजन को सम्मिलित करने के लिए आपका हार्दिक आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  3. उत्कृष्ट लिंकों से सजी लाजवाब चर्चा प्रस्तुति... मेरी रचना को भी चर्चा में शामिल करने के लिए तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार कामिनी जी !

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुन्दर और सार्थक चर्चा प्रस्तुति।
    आपका बहुत-बहुत आभार @कामिनी सिन्हा जी।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत ही सुंदर सार्थक प्रस्तुति।
    साधना दीदी को बहुत बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  6. सुप्रभात! सराहनीय रचनाओं की खबर देता चर्चा मंच! 'मन पाए विश्राम जहाँ' को शामिल करने हेतु बहुत बहुत आभार कामिनी जी !

    जवाब देंहटाएं
  7. आप सभी को हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार 🙏

    जवाब देंहटाएं
  8. अरे वाह ! हार्दिक धन्यवाद कामिनी जी ! आपका बहुत बहुत आभार आपने मेरी ब्लॉग पोस्ट को यहाँ स्थान दिया ! सप्रेम वन्दे सखी ! !

    जवाब देंहटाएं

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