"चर्चा मंच" अंक-13
चर्चाकारः डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"
इस खुशखबरी के साथ आज का "चर्चा मंच" सजाते हैं-
जाल-जगत के सभी हिन्दी चिट्ठाकारों को यह जानकर हर्ष होगा कि चिट्ठा-जगत अब फिर से वापिस आ गया है और इसके सभी विजेट विल्कुल सही काम करने लगे हैं। |
सबसे पहले आज का चुटकुला बेलन महिमा –7
घरवाला बोला, - “पता नहीं इस घर में शांति कब होगी तुम मुझे चैन से मरने भी नहीं दोगी”।
घ रवाली बोलीं, - “कोई भी काम ढ़ंग से तो करते नहीं उल्टे मुझ पर अकड़ रहे हो…
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अविनाश वाचस्पति को मिल गई यमुना मिल गई मुझे यमुना, यमुनानगर में : आप भी मिलिए (अविनाश वाचस्पति) -यमुनानगर से पहुंचा दिल्ली दिल्ली से चला आगरा पर वापिस आऊंगा दिल्ली तब सभी दूंगा समाचार द्वितीय हरियाणा अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह के है जिनका इंतजार आ... |
राज कुमार ग्वालानी जी बता रहे हैं एक टोटका गुस्सा आए तो जाने राज पिछले जन्म काएक महिला राह में जा रही है, उसको लोग गंदी नजरों से देख रहे हैं, उसको बहुत गुस्सा आ रहा है। यह कोई नई बात नहीं है, अपने देश में हर दूसरी महिला के साथ ऐसा होता है। लेकिन क्या ऐसा होने का मतलब यह है कि आपके साथ जरूर पिछले जन्म में ऐसा कुछ हुआ है जिसकी वजह से आपको गुस्सा आता है। अगर यह सच है तो जरूर हर दूसरी महिला के साथ पिछले जन्म में ऐसी कोई घटना हुई होगी जिसका लावा इस जन्म में फूट रहा है। |
तोता राम | कबीर के श्लोक –३कबीर ऐसा एक आधु,जो जीवत मिरतकु होइ॥निरभै होइ के गुन रवै,जत पेखऊ तत सोइ॥५॥कबीर जी कहते है कि इस संसार मे कोई बिरला ही होता है जो अपने जीवन को इस तरह जीए जैसे कोई जीवत व्यक्ति किसी मरे हुए के समान इस संसार से संबध रखता है।निरभय हो कर सुख और दुख से ऊपर उठ जाए।अर्थात सुख और दुख को एक समान महसूस करे और उस परम पिता परमात्मा को ही हर जगह देखे।….. विनोद कुमार पांडेय
"अपने ही समाज के बीच से निकलती हुई दो-दो लाइनों की कुछ फुलझड़ियाँ-2"दौर आज का उल्टा-पुल्टा,उल्टा बहे समीर| रांझा आवारा फिरे,हुई बेवफा हीर|| रक्षक ही भक्षक बनें,किसे सुनाएँ पीर| कुछ घर में भूखे मरे,गटक रहे कुछ खीर||..... शांति का दूतसाइबेरिया के प्रदेशों में इस बार काफी बर्फ पड़ रही थी। उस नर सारस की कुछ ही दिनों पहले एक मादा सारस से दोस्ती हुई थी। दोस्ती क्या हुई, बात थोड़ी आगे भी बढ़ गई। इतनी बर्फ पड़ती देख नर सारस ने मादा सारस को अपनी चिंता जताई –“हमारी दोस्ती का अंकुर पल्लवित-पुष्पित होने का समय आया तो इतनी जोरों की बर्फबारी शुरू हो गई है यहां .. क्या करें ?” |
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"हैप्पी अभिनंदन" में मिथिलेष दुबेआज आप जिस ब्लॉगर हस्ती को मिलने जा रहे हैं, वो पेशे तो इंजीनियर हैं, लेकिन शौक शायराना रखते हैं। इस बात का पता तो उनकी ब्लॉगर प्रोफाइल देखने से ही लगाया जा सकता है, इस हस्ती ने अपना परिचय कुछ इस तरह दिया है "कभी यूं गुमसुम रहना अच्छा लगता है, कभी कोरे पन्नों को सजाना अच्छा लगता है, कभी जब दर्द से दहकता है ये दिल तो, शब्दों में तुझको उकेरना अच्छा लगता है"। इससे आप कई दफा मिले होंगे, पर ब्लॉग की जरिए, कविताएं लिखते हैं, लेकिन उससे ज्यादा वस्तुओं, शब्दों एवं अन्य चीजों के उत्थान पर कलम घसीटते हुए ही मिलते हैं, जो उनके गंभीर व्यक्तित्व एवं एक स्पष्ट व्यक्ति होने की पुष्टि करता है। निजी जीवन में क्रिकेट देखने व खेलने, लोगों से मिलने, घूमने एवं साहित्यिक पुस्तकों को पढ़ने में विशेष रुचि लेने वाले गायत्री एवं रामायण जैसी पवित्र किताबों से बेहद प्रभावित हिन्दी पुराने एवं दर्द भरे गीत सुनने के शौकीन मिथिलेश दुबे जी आज हमारे बीच हैं। |
सृजन के बीज
(नये साल की पूर्व संध्या पर वर्ष की अन्तिम पोस्ट) |
गीतों और गज़लों से सजी हिन्दी चित्रपट की दुनिया का सुरीला सफ़रहिन्दी फिल्मों में अपनी दर्दभरी , दिल को छु लेनेवाली आवाज़ , दिलकश अदाकारी और गंभीर हुस्न के लिए पहचानी जानेवाली मशहूर अदाकारा स्व. मीना कुमारी जी ने कई सुमधुर और अविस्मरनीय गीतों में अपने सशक्त अभिनय से जान फूंक दी ......... |
बोले तू कौनसी बोली ? ४: सहपरिवार ...!काफ़ी साल हो गए इस घटनाको...बच्चे छोटे थे...हमारे एक मित्र का तबादला किसी अन्य शेहेर मे हो गया। हमारा घर मेहमानों से भरा हुआ था, इसलिए मेरे पतीने उस परिवार को किसी होटल मे भोजन के लिए ले जाने की बात सोची। |
अंतर्मन
अपने विचार
ग़ज़लफर्क क्या पड़ता है तुम आओगे के न आओगे | तारीख पर तारीख, तारीख पर तारीख....खुशदीपनब्बे के दशक में एक फिल्म आई थी- दामिनी...फिल्म में सनी देओल वकील की भूमिका में थे...सनी देओल का फिल्म में एक डॉयलॉग बड़ा हिट हुआ था...मी लॉर्ड, मुवक्किल को अदालत के चक्कर काट-काट कर भी मिलता क्या है...तारीख पर तारीख, तारीख पर तारीख, तारीख पर तारीख...लेकिन इंसाफ़ नहीं मिलता...ख़ैर ये तो फिल्म की बात थी...लेकिन हमारे देश की न्यायिक व्यवस्था का कड़वा सच भी यही है..रुचिका गिरहोत्रा के केस में ही सबने देखा...दस साल बाद मुकदमा दर्ज हुआ...नौ साल मुकदमा चलने के बाद नतीजा आया...गुनहगार को 6 महीने कैद और एक हज़ार रुपये जुर्माना... |
आंसुओं के नामइन आंसुओं को नाम क्या दूं दोस्तों |
बातचीत : भगवान से - रावेंद्रकुमार रवि का एक बालगीतरावेंद्रकुमार रवि हम शोभा बन जाएँ
हे ईश! तुम्हारा हर पल हम गुण गाएँ! हमको ऐसे ज्ञान-दीप दो, कभी न जो बुझ पाएँ ! हे ईश! तुम्हारा ... ... ... ... ... ... ... |
पोस्टर छाप पोलटिक्सकुल जमा तीन जन थे। रात कमर तक घनी हो चुकी थी और ठंड की ठिठुरन में उनका हाल बहुत बुरा नहीं तो बुरा तो कहा ही जाएगा। एक आदमी सीढ़ी लगाकर डिवाइडर पर बने पोस्ट लैंप पर पोस्टर टांगने की कोशिश कर रहा था, दूसरा सीढ़ी संभाले हुए था और तीसरा इधर-उधर छिटके पोस्टरों को समेट रहा था। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पोस्टर थे, जिन पर काफी बड़े आकार में राहुल गांधी मुस्कुरा रहे थे। इधर उधर छिटके पोस्टरों में राहुल बाबा का एक पोस्टर डिवाइडर से नीचे सड़क पर आ गया था, जिसपर चिपकाने वाले की नजर शायद गयी नहीं। कांग्रेस का भविष्य तो इस देश की जनता बांचेगी |
एक 'मर्द' शीला बाकी सब...?सुना आपने, बाल ठाकरे के ज्ञान-चक्षु की नई खोज के विषय में, नहीं तो सुन लीजिए। बाल ठाकरे की ताजा शोध के अनुसार, पूरी की पूरी कांग्रेस पार्टी में सिर्फ एक 'मर्द' है और वह है दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित। अर्थात, कांग्रेस पार्टी में शेष सभी 'नामर्द' हैं। सचमुच अद्वितीय खोज है यह- चाहें तो अद्भुत भी कह लें। अब कांग्रेस की इस पर क्या प्रतिक्रिया है, इसकी जानकारी फिलहाल नहीं मिली है किंतु यह तो तय है कि कांग्रेस अपनी झेंप मिटाने के लिए इसे मंद-बुद्धि खोज बताकर खारिज कर देगी। हाल के दिनों में अपने दड़बे से बाहर निकल राजनीतिक सक्रियता प्रदर्शित करने वाले बाल ठाकरे दुखद रूप से अब तक अर्जित अपनी प्रतिष्ठा, गरिमा, आभा खोते जा रहे हैं। वह भी किसलिए? अपने भतीजे राज ठाकरे की बढ़ती राजनीतिक ताकत को रोकने के लिए! ताकि उनके वारिस उद्धव ठाकरे को चुनौती देने वाला कोई न रहे। दूसरे शब्दों में भतीजे राज ठाकरे इतने ताकतवर न बनें कि पुत्र उद्धव ठाकरे को चुनौती दे सकें। राजनीतिक विरासत का यह नाटक सचमुच दिलचस्प है। |
रवि सिंहक्या ये जिन्दगी है! कैसी बेबसी है… |
किससे बात करेंalok एक काम जो बरसों से होता रहा है, पर इधर कुछ ठप सा पड़ा हुआ है, वह है भारत पाकिस्तान की शांति वार्ता। जितनी भी हुई, उसमें शांति कम थी, वार्ता अधिक थी। पर अब वह भी नहीं है। सवाल यह उठता है कि पाकिस्तान में वार्ता किससे की जाये । 1- क्या राष्ट्रपति जरदारीजी से बात की जा सकती है। पाकिस्तान में पब्लिक का मानना है कि जरदारीजी से की जा सकती है, अगर बात नान सीरियस हो तो। पर भारत पाक शांति वार्ता नान सीरियस बात नहीं है। इसलिए जरदारीजी से बात करना बेकार है। जरदारी के मामले में एक बात और कही जाती है कि जरदारीजी को कोई सीरियसली नहीं लेता, खुद जरदारीजी भी खुद को सीरियसली नहीं लेते। |
अन्त में आज का कार्टून Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून कार्टून:- कस्तूरी कुंडलि बसे, मृग ढूंढ़े वन माहिं...Twitter Twitter |
आज के लिए बस इतना ही…..! नमस्ते! |
बढिया !!
जवाब देंहटाएंचिट्ठा जगत का लॉगिन और पसंद बटन अभी भी काम नहीं कर रहा है !!
जवाब देंहटाएंc hitthajagat vapas aa gaya achchhi khush khabari.
जवाब देंहटाएंbhagyodyorganic@spotblog.com
बहुत अच्छी चर्चा।
जवाब देंहटाएंआपको नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
यह यमुना तो मैंने सबके लिए तलाशी है
जवाब देंहटाएंमेरे पास तो दिल्ली जल बोर्ड का पानी है
बनारस वालों को जरूरत नहीं वहां काशी है
बैंक वालों को करना क्या है वहां राशि है।
waah ...........bahut hi sundar charcha.
जवाब देंहटाएंमनभावन है - आज की चर्चा!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चित्र सहित चर्चा बधाई ..
जवाब देंहटाएंकुछ दिन बाद सक्रिय हो रहा हूँ , आपकी सक्रियता से सबक ले रहा हूँ । बेहतरीन चर्चा । कलेवर भी जम रहा है । आभार ।
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा !
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे ढंग से सजायी गयी चर्चा. साधुवाद!! एवं धन्यवाद!!
जवाब देंहटाएंbahut achi rachna hai Rahasyo Ki Duniya par aapko India ke rahasyamyi Places ke baare me padhne ko milegi, Rupay Kamaye par Make Money Online se sambandhit jankari padhne ko milegi.
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