"चर्चा मंच" अंक-12 विण्डो लाइव-राइटर का प्रयोग करके यह "चर्चा मंच" सजाते हैं- इतना सब मिलने के बाद भी लिप्सा बाकी है? कल एक मेल प्राप्त हुआ जिसके अनुसार एक संसद सदस्य को मिलने वाला वेतन और सुविधायें निम्नलिखित हैं : मासिक वेतन : 12,000 Rs. Expense for Constitution per month : 10,000 Rs. कार्यालय के लिये प्रति माह खर्चा : 14,000 Rs. Traveling concession (Rs. 8 per km) : 48,000 (For a visit to Delhi & return:6000 km) दैनिक भत्ता संसद की बैठक के दौरान : 500 Rs. Charge for 1 class (A/C) in train : Free (For any number of times) (All over India) Charge for Business Class in flights : Free for 40 trips / year (With Wife or P.A.) Rent for MP hostel at Delhi : Free बिजली की सुविधा : Free up to 50,000 units फोन सुविधा : Free up to 170,000 calls। | ब्लाग जगत से किसने क्या पाया,क्या खोया ये तो वही जाने पर मुझे लगता है कि मैने खोया कुछ भी नही सिर्फ़ पाया ही पाया है।बहुत से ऐसे लोग मिले जो सगे रिश्तेदारों से अच्छे लगे।मैं उन्हे कभी खोना नही चाहूंगा और कुछ ऐसे लोग मिले जिनके मिलने की कल्पना भी मैंने नही की थी।खासकर सालों पहले कालेज के दिनो बिछुड़े साथी से मिलना।जी हां सच कह रहा हूं,लगभग 25 साल बाद ब्लाग ने मुझे कालेज के अपने एक जूनियर से मिला दिया। …… “गीत पुराने नये तराने अच्छे लगते है। मीत पुराने नये जमाने अच्छे लगते हैं।।” हम लोगों में कम से कम इतनी मर्यादा तो कायम है कि आज भी छोटे अपनों से बड़ों का लिहाज करते हैं। यदि किसी को अपने से बड़े पर किसी कारणवश क्रोध आ भी जाये तो वह अपने उस क्रोध को दबाने का भरसक प्रयत्न करता है। किन्तु कई बार ऐसा भी हो जाता है कि छोटा अपने क्रोध को दबा नहीं पाता और अपने से बड़े पर भड़क उठता है। यदि ऐसा हो जाये तो बड़े का कर्तव्य हो जाता है कि वह छोटे की भावनाओं का सम्मान करते हुए उसे क्षमा कर दे, कहा भी गया है "क्षमा बड़न को चाहिये ..."। ”संस्कृति और कल्चर में यही तो भेद है!” आइये तस्वीरों से इस झलकी को जाने।
| समय अपनी रफ़्तार से आगे बढ़ता है और पीछे रह जाते है हम। अभी कुछ ही समय बीता है हमें याद करते हुए कि "७० के दशक के गाने और ९० के दशक कि आर्थिक क्रान्ति का हवाला देते हुए। परन्तु वहां अभिप्राय २० वी सदी से होता था लेकिन अब सही मायने मैं हम नयी सदी के हो चुके हैं जो हम मैं से बहुतेरों का आखिरी सदी होगा...... | जहन्नुम में ......
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| ”ब्लॉग तो है?” | ये साल जा रहा है। मैं सर्दियों की गुनगुनी धूप को मुट्ठी में बांधने की कोशिश करता हूं। सर्द मौसम में ये धूप अच्छी लगती है। सुखद अहसास कराती है। अहसास, जिसे हम महसूस करना चाहते हैं सुख के रूप में। दुख को दूर से झटकते हुए भगाना चाहते हैं कि ऐ दोस्त, तुम यहां न आओ, तुम्हारी यहां जगह नहीं.. ”……वो जगह बता दो, जहाँ पर……….” | अभी अभी जी के पिल्लई साहब का बयान पढ़ रहा था हेडली के बारे में. और इसके सम्बन्ध में छपी खबर भी कि अमेरिका हेडली का प्रत्यर्पण करना नहीं चाहता. कान पक चुके हैं और आंखे थक गई हैं हेडली के बारे में सुनते और देखते. पता नहीं अखबार वालों की कलम क्यों रुक जाती है और टीवी पर चिल्ला चिल्लाकर अपनी आवाज को बुलन्द करने वाले धर्मनिरपेक्ष स्वनामधन्य निर्भीक पत्रकारों की जुबान पर अंगारे क्यों आ जाते हैं दाऊद गिलानी (जोकि हेडली का सही नाम है) का नाम लेते हुए. खैर, भारत लाकर क्या करेंगे हेडली का? | प्रीति टेलर vadodara, gujarat, India मैं श्रीमति प्रीति हितेश टेलर .... शायरी ,कविता ,लघुकथाएं , कुछ जिन्दगी के स्पर्श करते लेख मेरे सपनों को व्यक्त करने का माध्यम बनते है जिन्हें मैं कलमबंद करके कागज़ पर बिखेर देती हूँ उसमे अपने विचारों के रंग भर देती हूँ .. मेरे कुछ सपने जो अधूरे ही रहेंगे इस साल भी , तभी तो मैं ताकता हूँ अभी भी हर साल नए साल की राह ..... अरमान मेरे ये वाहनों के भीड़ वाले इस शहर में बड़ी सुबह साइकिल लेकर निकल पडूँ वो गली गलियारे में जाकर हर दोस्तसे मिल आऊं ....... | नीरज गोस्वामी मुम्बई, महाराष्ट्र, India अपनी जिन्दगी से संतुष्ट,संवेदनशील किंतु हर स्थिति में हास्य देखने की प्रवृत्ति.जीवन के अधिकांश वर्ष जयपुर में गुजारने के बाद फिलहाल भूषण स्टील मुंबई में कार्यरत,कल का पता नहीं।लेखन स्वान्त सुखाय के लिए. सुधि पाठको प्रस्तुत है इस वर्ष की अंतिम ग़ज़ल "नव वर्ष की ढेरों शुभकामनाओं सहित" उलझनें उलझनें उलझनें उलझनें कुछ वो चुनती हमें,कुछ को हम खुद चुनें जो नचाती हमें थीं भुला सारे ग़म याद करते ही तुझको बजी वो धुनें……… | चलते हैं एक एतिहासिक गांव की सैर पर. पश्चिम में विशाल पर्वत, पूर्व में वीरान नदी, दक्षिण में सुन्दर झरना और उत्तर में पर्वतों से घिरा एक छोटा सा आदिवासी बाहुल्य एतिहासिक गांव करमागढ़. गांव के बीच में पुरातन कालीन देवी स्थल जिसे मानकेसरी गुडी और गांव से दो किलोमीटर दूर चट्टानी खंडहरों के बीच एक एतिहासिक दर्शनीय स्थल जिसे छत्तीसगढ़ आंचल में उषा कोठी के नाम से जाना जाता है. यहाँ ४०० मीटर लम्बी और २०० मीटर ऊंची विशाल चट्टान आकर्षक प्रतिमाएं तथा अज्ञात लिपियाँ हैं जो विद्वानों की समझ से परे हैं. चट्टान के मध्य में वृत्ताकार चिन्ह हैं जिसके मध्य में श्री कृष्ण की छोटी सी प्रतिमा अद्वितीय है. | कंप्यूटर और मोबाइल और इन पर इंटरनेट इस्तेमाल करनेवाले साथियों के लिए नीचे रोमन लिपि में टंकित किया गया शब्द बहुत जाना-पहचाना है -
Font
हिंदीभाषियों द्वारा इसे देवनागरी लिपि में भी ख़ूब लिखा जाता है! कभी ऐसे - फोंट या ऐसे - फोन्ट कोई ऐसे लिखता है - फांट तो कोई ऐसे - फाँट कुछ लोग ऐसे भी लिखते हैं - फॉन्ट......... “दोपहर बाद ये कुछ नये लिंक मिले!” बाकी कल……! | |
चर्चा तो अच्छी है ही
जवाब देंहटाएंऔर
अब कलेवर भी निखर रहा है!
बहुत बढिया प्रयास रहा शास्त्री जी-आभार
जवाब देंहटाएंBadhiya charcha ..shandaar prstuti ke liye bahut bahut aabhar..shastri ji.
जवाब देंहटाएंवाह चर्चा पढ़कर लगता है की चलो आज ब्लॉग के सारे समाचार मिल गए !!!
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा शःस्त्री जी, अनुपस्थिति के कारण कुछ छोट गया था आपकी चर्चा के मार्फ़त वह भी पढ़ लिया, शुक्रिया !
जवाब देंहटाएंसुन्दर और विस्तृत चर्चा!
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा है ........
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा है ........बहुत-बहुत धन्यवाद
जवाब देंहटाएंआपको नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
बहुत खूब,
जवाब देंहटाएंएक साथ संकलन से सारे समाचारों से परिचित हो गया.
धन्यवाद
बहुत बढ़िया चर्चा!!
जवाब देंहटाएंयह अत्यंत हर्ष का विषय है कि आप हिंदी में सार्थक लेखन कर रहे हैं।
हिन्दी के प्रसार एवं प्रचार में आपका योगदान सराहनीय है.
मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं.
नववर्ष में संकल्प लें कि आप नए लोगों को जोड़ेंगे एवं पुरानों को प्रोत्साहित करेंगे - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।
निवेदन है कि नए लोगों को जोड़ें एवं पुरानों को प्रोत्साहित करें - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।
वर्ष २०१० मे हर माह एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाएँ और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।
आपका साधुवाद!!
नववर्ष की अनेक शुभकामनाएँ!
समीर लाल
उड़न तश्तरी
बहुत अच्छी चर्चा।
जवाब देंहटाएंआने वाला साल मंगलमय हो।
सुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंकोलकाता मे बिरला कला अकादमी मे हमारे प्रदेश की ख्यात चित्रकार (चित्रकारा) डा. सुनीता वर्मा की प्रदर्शनी आज और कल के लिये लगी है. कोलकाता के ब्लागर भाई समय निकाल कर सुनीता जी के पेंटींग्स का अवलोकन करे.
aajkal charcha bahut badhiya hoti ja rahi hai.
जवाब देंहटाएंGST in Hindi
जवाब देंहटाएंBudget in Hindi
IMPS in Hindi
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IFSC in Hindi
bahut achi rachna hai Rahasyo Ki Duniya par aapko India ke rahasyamyi Places ke baare me padhne ko milegi, Rupay Kamaye par Make Money Online se sambandhit jankari padhne ko milegi.
जवाब देंहटाएंRTPS Bihar Plus Services RTPS BIHAR Service Apply for Certificate
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