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मंगलवार, जनवरी 17, 2017

फिर राह ताके प्रौढ़ माँ पर द्वार पर ओढ़े कफन; चर्चामंच; 2581


"कुछ कहना है"

हरिगीतिका छंद

नौ माह तक माँ राह ताकी आह होंठो में दफन।
दो साल तक दुद्धू पिला शिशु-लात खाई आदतन।
माँ बुद्धि विद्या पुष्टता हित नित्य नव करती जतन ।

फिर राह ताके प्रौढ़ माँ पर द्वार पर ओढ़े कफन।। 

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4 टिप्‍पणियां:

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