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गुरुवार, दिसंबर 24, 2009

"श्रीमती लावण्या शाह की प्रथम और अद्यतन पोस्ट." (चर्चा-मंच)

"चर्चा मंच" अंक-7
चर्चाकारः डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"
आइए आज का "चर्चा मंच" सजाते हैं-
आज की चर्चा में श्रीमती लावण्या शाह की प्रथम और अद्यतन पोस्ट देखिए-
श्रीमती लावण्या शाह के बारे में सुशील कुमार कहते हैं-
लावण्या शाह का कवि भारतीय भाव-बोध का खोजी-कवि है
जो कवयित्री को एक ऐसे जनमानस के सृजन में उत्प्रेरणा देता है
जहाँ पाठक-वर्ग अपनी ज़मीन के परम्पराओं और आदर्शों का अप्रतिम चिन्ह पाते हैं।
एक प्रवासी कवयित्री के कलम से यह शब्द-कर्म सचमुच तप के बराबर है।
इन्होंने अपनी पहली पोस्ट 6 अप्रैल 2007 को
अपने ब्लॉग "लावण्यम-अन्तर्मन् " पर प्रकाशित की थी। जो निम्नवत् है-

FRIDAY, APRIL 6, 2007

वो कोलेज के दिन:

वो कोलेज के दिन:
हमेँ भी याद है वो कोलेज के दिन
हमेँ भी याद है वो कोलेज का केन्टीन,
वो लडकोँ का कोलेज के दरवाजे पे,
हमारा बेसब्री से हमारा इँतजार करना!
वो लहराती हुई ओढनी का, सरसरा के फिसलना!
और हमारा बदन को छुपाना -छिपाना !
किसीकी निगाहोँ मेँ शोला भडकना,
किसीकी सीटीयोँ से वो रँगत बदलना!
हमेँ भी याद आता है, वो गुजरा जमाना,
वो तेज तेज बारिश मेँ कपडोँ का चिपकना,
जुहू बीच की तनहाएयोँ मेँ वो मौजोँ का उछलना!
किसी सहेली की कोमल हथेली का पकडना !
वो खिलखिलाती हँसी से, दिल का बहलना -
और, थरथराते लब का वो जादू टोना !
वो साहिल के शिकवे, वो कश्ती के आँसू-
कहाँ किसका मिलना, किसका बिछडना!
वो माँ की दुआ, या पापा का लाड हम पे,
वो उनकी निशानी, ये आँखोँ मेँ पानी !
कहाँ हैँ वो नगमे, वो भोली सी बातेँ ?
जिन्हेँ हम कहा करते थे, "मीठी'ज़ बातेँ"
सपना हो गईँ हैँ वो बातेँ पुरानी,
कहानी मेँ अब है, "एक राजा, एक रानी "
( मीठी'ज़ बातेँ क्यूँकि मैँ मीठीबाई कोलिज, जुहूस्कीम,विले पार्ले मेँ जो कोलिज है वहाँ पढती थी )
---लावण्या जुलाई, २, २००१
और ये है इनकी अद्यतन पोस्ट-

FRIDAY, DECEMBER 18, 2009

भारत में , और विदेशों में भी भारत के सब से ज्यादह प्रसिध्ध नेहरु परिवार के कुछ अज्ञात या कम जाने पहचाने सदस्यों के बारे में और कुछ कवितायेँ भी ....

प्रथम भारतीय ध्वज
वीर सावरकर द्वारा निर्मित : सन १९०६
एकम सत्य
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कौन रहा अछूता जग में,
सुख दुःख की छैंया से ?
धुप छांह का खेल जिन्दगी
ये सच , जाना पहचाना !
सभी हमारे, हैं सब अपने,
कौन है जग में पराया ?
जीवन धारा एक सत्य है
हर सांस ने जिसे संवारा -
इस छोर खड़े जो,
उस छोर चलेंगे
रह जायेंगे, कुछ सपने
है मौजों के पार किनारा
कहती बहती ये धारा !
अगम अगोचार , सत्य ,
ना जाना, पर, जाना है पार ,
नैन जोत के ये उजियारे
मिल जायेंगे उस में,
जो है बृहत प्रकाश !

- लावण्या

सभी को हार्दिक शुभकामनाओं के साथ भवानी प्रसाद मिश्र की एकप्रसिद्ध बाल कविता प्रस्तुत है-
( साभार डा. जगदीश व्योम के जाल घर से )

साल शुरु हो दूध दही से
साल खत्म हो शक्कर घी से
पिपरमैन्ट, बिस्कुट मिसरी से
जहें लबालब दोनों खीसें
मस्त रहें सडकों पर खेलें
नाचें कूदें गाएँ ढेलें
ऊधम करें मचाएँ हल्ला
रहें सुखी भीतर से जी से
साँझ, रात, दोपहर, सवेरा
सब में हो मस्ती का डेरा
कातें सूत बनाएँ कपडे
दुनिया में क्यों डरें किसी से
पंछी गीत सुनाएँ हमको
करं दोस्ती पेड फूल से
लहर लहर से नदी नदी से
आगे पीछे ऊपर नीचे
रहें हँसी की रेखा खींचे
पास पडोस गाँव घर बस्ती
प्यार ढेर भर करं सभी से।

-भवानी प्रसाद मिश्र

और गीत : उड़ जा रे कागा बन का : मीरा भजन : स्वर : लता दी
13 - Udd Jaa Re Kaaga.mp3- Udd Jaa Re Kaaga.mp3
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माँ

माँ कबीर की साखी जैसी
तुलसी की चौपाई-सी
माँ मीरा कीपदावली-सी
माँ है ललितस्र्बाई-सी।

माँ वेदों की मूल चेतना
माँ गीता की वाणी-सी
माँ त्रिपिटिक के सिद्धसुक्त-सी
लोकोक्तरकल्याणी-सी।

माँ द्वारे की तुलसीजैसी
माँ बरगद कीछाया-सी
माँ कविता की सहजवेदना
महाकाव्य की काया-सी।
माँ अषाढ़ की पहली वर्षा
सावन की पुरवाई-सी
माँ बसन्त की सुरभि सरीखी
बगिया की अमराई-सी।

माँ यमुना की स्याम लहर-सी
रेवा की गहराई-सी
माँ गंगा की निर्मल धारा
गोमुख की ऊँचाई-सी।

माँ ममता का मानसरोवर
हिमगिरि सा विश्वास है
माँ श्रृद्धा की आदि शक्ति-सी
कावा है कैलाश है।

माँ धरती की हरी दूब-सी
माँ केशर की क्यारी है
पूरी सृष्टि निछावर जिस पर
माँ की छवि ही न्यारी है।

माँ धरती के धैर्य सरीखी
माँ ममता की खान है
माँ की उपमा केवल है
माँ सचमुच भगवान है।
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- डॉ० जगदीश व्योम

डॉ. जगदीश व्योम

http://www.anubhuti-hindi.org/kavi/j/jagdish_vyom_dr/index.htm


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आइये, अब भारत में , और विदेशों में भी भारत के सब से ज्यादह प्रसिध्ध नेहरु परिवार के कुछ अज्ञात या कम जाने पहचाने सदस्यों के बारे में भी थोड़ा जानें ..............
पण्डित मोती लाल जी की धर्म पत्नी श्रीमती स्वरूप रानी थीं
The Nehru Family

स्वरूप रानी , उनकी दूसरी पत्नी थीं ... ऐसा कहा जाता है कि
( उनकी पहली पत्नी और १ और पुत्र का देहांत हो गया था )
- पंडित मोती लाल जी, पंडित गंगा धर नेहरु जी के पुत्र थे, गंगाधर जी देहली में ब्रिटीश साम्राज्य के एक पुलिस कर्मचारी थे और गंगा धर जी लक्ष्मी नारायण नेहरु जी के सुपुत्र थे ...
Pandit Motilal Nehru


In office
1919 – 1920

Jawaharlal Nehru

Nehru, ca. 1927

In office
August 15, 1947 – May 27, 1964

भारतीय गणतंत्र के प्रथम प्रधान मंत्री ,शपथ ग्रहण करते हुए सत्ता हस्तरन्र्तित हुई लोर्डमाऊंट बेटन के हाथों से ..भारतीय जनता के हाथों में




ttp://video.google.com/videoplay?docid=6218045611920270760#docid=6986855603795328951

नेहरु जी की दुसरी बहन कृष्णा हठी सिंह :

नेहरु जी की दुसरी बहन थीं कृष्णा ठी सिंह और उनके पुत्र हैं अजितसिंह जिनका विवाहपहले अमृता जी से हुआ था और संतान हैं, निखिल , विवेक और रवि
उनके पुत्र हैं .
अजित सिंह जिनका विवाह - बाद में अमरीकी महिला हेलेन से हुआ :
http://en.wikipedia.org/wiki/Ajit_Hutheesing --
२००६ में हेलेन का न्यू योर्क में देहांत हुआ --
http://query.nytimes.com/gst/fullpage.html?res=9402E2DE133AF936A35756C0A9609C8B63
Helen & Ajit's Wedding in India (1996 )
रवि हठी सिंह : http://en.wikipedia.org/wiki/Ravi_Hutheesing
इंदिरा जी


Rajiv Gandhi
......राजीव गांधी ...................
Congress Party President, Prime Minister

.संजय गांधी

Member of Parliment

प्रियंका गांधी / वाड्रा अपने २ बच्चों के संग पुत्र : रेहान और पुत्री मेयरा साथ बैठी हैं इतालियन नानी माँ , सोनिया गांधी की माँ , पोलो मेनिया ........

Rahul Gandhiराहुल गांधी -------------------------------------->
विजय लक्ष्मी नेहरु पंडित :
२ चित्र
Vijaya Lakshmi Panditj

(अगस्त १८ , १९० 0 - दिसम्बर १ , १९९० )
विजय लक्ष्मी नेहरु , भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु जी की बहन हैं । सन १९२१ में ,रंजित सीताराम पंडित से उनका ब्याह हुआ वे प्रथम महिला हैं जिन्होंने सन १९३७ मेंकेबिनेट पोस्ट संभाली थी सोवियत राष्ट्र संघ , संयुक्तगणराज्य अमरीका और मेक्सिको केलिए भी वेभारतीय प्रतिनिधि बनकर उन देशों में रहीं। ( १९४९ से १९५१ ) आयरलैंड के लिए १९४९ से १९५१ तक और १९५८ से १९६१ तक . स्पेन और संयुक्त ब्रीटीश राष्ट्र संघ में भारत एलची = Ambassador बन कर रहीं थीं सन १९५८ से १९६१ तक . १९४६ से १९६८ उन्होंने भारतीय प्रतिनिधि मंडल की प्रमुख बन कर , यूनाईटेड नेशंस में शिरकत की थी ।
अब आज्ञा .............बहुत सामान परोस दिया है ...आप के लिए ...
कुछ न कुछ आपको अवश्य , नया लगा होगा इसी आशा सहित, नमस्ते

आज के लिए बस इतना ही!

9 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया प्रस्तुति..सभी रचनाएँ बेजोड़..बधाई हो!!

    जवाब देंहटाएं
  2. खिल गया चर्चा मंच का नंदन
    शास्त्री जी है आपका अभिनंदन

    जवाब देंहटाएं
  3. वो साहिल के शिकवे, वो कश्ती के आँसू-
    कहाँ किसका मिलना, किसका बिछडना!
    वो माँ की दुआ, या पापा का लाड हम पे,
    वो उनकी निशानी, ये आँखोँ मेँ पानी !

    लावण्या जी के ब्लॉग के बारे में चर्चा करने के लिए धन्यवाद. काश इस चर्चा में उनके अमृतमयी स्वर की झलक भी दे पाते.

    जवाब देंहटाएं
  4. रः डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री " मयंक जी "
    आपका बहुत बहुत आभार जो मेरी सबसे पुरानी
    और सबसे नवीन चर्चा के बारे में,
    आपने अपने जाल घर पर उल्लेख किया
    सभी साथियों को धन्यवाद.......
    जिन्होंने उत्साहवर्धन कर ,
    इस प्रस्तुति को सराहा है
    स स्नेह, सादर, अभिवादन सहित,
    - लावण्या

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