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Sunday, May 28, 2017

"इनकी किस्मत कौन सँवारे" (चर्चा अंक-2635)

मित्रों 
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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उदास चेहरा -  

राकेश रोहित 

दो शब्द पर राकेश रोहित 
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Ramjaan Shayari -  

खुदा की इबादत में 

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मित्रता के आधार 

समता निश्छलता और वत्सलता, हैं मित्रता क आधार। 
वे भाई तो नहीं होते, भाई से बढ़कर होता है उनका प्यार... 
Jayanti Prasad Sharma 
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भगवान से 

भगवान,मैं मानता हूँ कि तुम बहुत बड़े इंजीनियर हो. तुमने अरबों-खरबों लोग बनाए, हर एक दूसरों से अलग, हर एक का अलग चेहरा-मोहरा, हर एक की अलग कद-काठी, हर एक का अलग रंग-रूप. पर शायद कुछ युद्ध टल जाते, शायद कुछ भाईचारा बढ़ जाता, शायद दुनिया कुछ रहने लायक हो जाती... 
कविताएँ पर Onkar 
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जीवित जातियाँ वहीं हैं  

जो आधुनिकता का प्रतिनिधित्व करती हैं; 

अपने आज के जीवन में जीती हैं। 

नवोत्पल प रनवोत्पल साहित्यिक मंच  
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बिना शीर्षक ----  

व्यंग्य की जुगलबंदी ३५ 

एक दिन ऐसा भी हुआ कि सारे अखबारों में से मोटे - मोटे अक्षरों में छपने वाले शीर्षक गायब हो गए | सारा दिन न्यूज़ चैनलों से ब्रेकिंग न्यूज़ फ्लैश नहीं हुई | व्हाट्सप्प से एक भी हिंसक वीडियो वायरल नहीं हुआ | पृथ्वी के फलाने - फलाने दिन खत्म होने की भविष्यवाणी नहीं हुई | मौसम बस मौसम की तरह आया किसी डरावने राक्षस की तरह नहीं आया कि जिसके आने से पहले चेतावनी देनी पड़े | गर्मी का मौसम आया तो बिना डराए हुए निकल गया | 'जल्दी ही खत्म हो जाएगा पानी' | 'प्यासे मरेंगे धरती वासी'|'और झुलसाएगी गर्मी'|'आने वाले दिनों में तापमान बढ़ता ही जाएगा' | लू के थपेड़े झेलने के लिए तैयार रहें '... 
कुमाउँनी चेली पर शेफाली पाण्डे 
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♥कुछ शब्‍द♥: छोड़ चली हूँ_ 

मैं छोड़ चली हूँ अब तुम्हें 
हृदय में तुम्हारी याद लिए 
अनुराग के मधुर क्षणों संग 
वियोग की पीड़ा अथाह लिए.... 
आपका ब्लॉग पर Nibha choudhary 
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लीजिए वह लुत्फ़ जो ले पाइए

और अब संदेश मत भिजवाइए 
लानी हो तशरीफ़ जब भी, लाइए... 

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किसकी होने की क़स्म खाई है 
जाना आना तेरा भी है जैसे 
साँस जाती है साँस आती है 
ख़ुश्बू यह तिर रही फ़ज़ाओं में 
जो कोई चूनर हवा उड़ाई है... 

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
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सच का रास्ता अपनानेवाले वकील सा’ब की आपबीती से गुजरते हुए मुझे अनायास ही मिस्त्री सा’ब याद आने लगे और पूरे समय तक याद आते रहे। मिस्त्री सा’ब का नाम भँवरलाल प्रजापति था लेकिन उन्हें अपवाद स्वरूप ही ‘प्रजापति’ सम्बोधित किया गया होगा। सदैव मिस्त्री, भँवरलाल मिस्त्री या मिस्त्री सा’ब ही सम्बोधित किए गए। औसत मध्यवर्गीय संघर्षशील आदमी। मैंने उन्हें किराये के मकान में ही रहते देखा। उनमें ऐसा कुछ भी नहीं था कि लोग उन्हें ध्यान से देखें। लेकिन वे सबसे अलग थे। मुख्य काम मकान बनाना किन्तु शब्दशः हरफनमौला... 

एकोऽहम् पर विष्णु बैरागी 
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सजन इकरार कर लेना हमारा प्यार पढ़ लेना , 
खिला उपवन रँगी मौसम नज़ारे यार पढ़ लेना ,,  

Ocean of Bliss पर Rekha Joshi 
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देश की स्थिति गृह युद्ध से ज्यादा घातक है, हर जगह जाति, वर्ग, वर्ण, राजनीति, अर्थ और वर्चस्व के मुद्दों पर हिंसा हो रही है। तीन सालों में यह सबसे घातक समय है और महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी जी ने कल कहा कि जनता को सवाल और अधिक पूछने चाहिए ।कल जब वे एक मीडिया संस्थान में बोल रहे थे तो उन्होंने कहा कि सत्ता के सर्वोच्च पद पर बैठे व्यक्ति और सत्ता में बैठे लोगों से सवाल होना चाहिए, खासतौर पर ऐसे समय जब सबसे ऊंची आवाज में बोलने वालों के शोर में असहमति की आवाजें डूब रही हैं! अर्थात ये स्वर कोलाहल में ज्यादा तनाव पैदा कर रहे है।ठीक इसके विपरीत मीडिया में आज सभी अखबारों में रंगीन पृष्ठों पर 2, 3 जैकेट और थोथी उपलब्धियों में अपने मुंह मियां मिठ्ठू बनने की प्रवृत्ति बहुत ही शर्मनाक है ...

ज़िन्दगीनामा पर Sandip Naik 
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'जो किताबें हम सभी को बाँट देती जात में ,
 फाड़कर नाले में उनको अब बहा दें साथियों !
 है अगर कुछ आग दिल में तो चलो ए साथियों ,
हम मिटा दें जुल्म को जड़ से मेरे ए साथियों !''
हम नहीं हिन्दू-मुसलमां ,हम सभी इंसान हैं ,
एक यही नारा फिजाओं में गूंजा दें साथियों .
है अगर कुछ आग दिल में तो चलो ए साथियों ,
हम मिटा दें जुल्म को जड़ से मेरे ए साथियों .'' 

! कौशल ! पर Shalini Kaushik  
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11 comments:

  1. शुभ प्रभात.....
    मनोरम रचनाएँ
    आभार
    सादर

    ReplyDelete
  2. उम्दा चर्चा। मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

    ReplyDelete
  3. बहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति। मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यबाद।

    ReplyDelete
  4. बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति

    ReplyDelete
  5. बढ़िया लिंक्स. मेरी कविता शामिल करने के लिए आभार.

    ReplyDelete
  6. आदरणीय शास्त्री जी। आपने मेरी लिखी रचना को चर्चा के काबिल समझा उसके लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

    ReplyDelete
  7. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।

    ReplyDelete
  8. बहुत सुन्दर प्रस्तुति है। मेरी कविता शामिल करने के लिए आपका बहुत धन्यवाद। आपका यह प्रयास बहुत महत्वपूर्ण है। हार्दिक शुभकामनाएं!

    ReplyDelete
  9. बहुत सुन्दर प्रस्तुति है। मेरी कविता शामिल करने के लिए आपका बहुत धन्यवाद। आपका यह प्रयास बहुत महत्वपूर्ण है। हार्दिक शुभकामनाएं!

    ReplyDelete

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