दोहे -
रविकर
फूँक मारके दर्द का, मैया करे इलाज।
वह तो बच्चों के लिए, वैद्यों की सरताज।
चक्षु-तराजू तौल के, भार बिना पासंग।
हल्कापन इन्सान का, देख देख हो दंग।।
|
भली करेंगे राम
रविकर
झाड़ी में हिरणी घुसी, प्रसव काल नजदीक।
इधर शिकारी ताड़ता, उधर शेर की छींक। उधर शेर की छींक, गरजते बादल छाये। जंगल जले सुदूर, देख हिरणी घबराये। चूक जाय बंदूक, शेर को मौत पछाड़ी। मेह बुझाए आग, सुने किलकारी झाड़ी।। |
संघर्ष सपनों का ...या जिंदगी का
पहली सांस का संघर्ष
शायद जीवन का सबसे बड़ा संघर्ष है ...
हालांकि उसके बाद भी जीवन का हर पल
किसी सग्राम से कम नहीं ...
साँसों की गिनती से
नहीं ख़त्म होती उम्र ...
Digamber Naswa
|
सिद्धेश्वर सिंह की कविताएँ
उतराखंड के खटीमा में सिद्धेश्वर सिंह ने कविता की रौशनी बरकरार रखी है. दो संग्रह प्रकाशित हैं, वे विदेशी कविताओं का हिन्दी में लगातार अनुवाद कर रहे हैं. उनकी कविताएँ सुगढ़ हैं और बहुस्तरीय भी. इधर की उनकी कविताओं में परम्परा से संवाद के तमाम सुंदर फूल खिले हैं. उनकी सुगंध दूर से ही आती है. *सिद्धेश्वर सिंह की कविताएँ ...
|
--
Untitled
Dr.Aditya Kumar
|
जीना सिखा दे
anamika ghatak
|
ठूँठ होना...ओम नागर
yashoda Agrawal
|
--
ग़ज़ल
कालीपद "प्रसाद"
|
बिकाऊ
वह जो बाज़ार में नहीं है,
यह मत समझना कि बिकाऊ नहीं है.
ग़लतफ़हमी में है वह,
ग़लतफ़हमी में हैं सभी
कि उसे ख़रीदना नामुमकिन है....
--
पाकिस्तान से रिश्ता क्या ...ला इलाही इल्लिल्लाह।
PAWAN VIJAY
|
सैनेटाइजर का प्रयोग ना हीं करें तो बेहतर है
गगन शर्मा, कुछ अलग सा
|
नयन में उमड़ा जलद है
Dr Varsha Singh
|
दोहे"लोकतन्त्र बीमार"
रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
|
स्वच्छता की ओर बढ़ते कदम
Lokendra Singh
|
कुण्डलियाँ"आज शाखाएँ बहकी"
रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
|
शुभ प्रभात.....
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुति
आभार..
सादर
बढ़िया लिंकों के साथ सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीय रविकर जी।
आदरणीय शास्त्री जी, मेरी रचना "मातृ-दिवस पर 15 अनमोल वचन" को "संघर्ष सपनों का ... या जिंदगी का; चर्चामंच 2629" शामील करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंबढ़िया सूत्र ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिंकों के साथ सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंbahut bahut aabhaar
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार रविकर जी!
जवाब देंहटाएं