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रविवार, मई 07, 2017

"आहत मन" (चर्चा अंक-2628)

मित्रों 
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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Yashwant Yash 
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Sudhinama पर sadhana vaid 
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बिकाऊ

वह जो बाज़ार में नहीं है, 
यह मत समझना कि बिकाऊ नहीं है. 
ग़लतफ़हमी में है वह... 
कविताएँ पर Onkar 
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अफसाना मौत का 

जिया जाता नहीं मरा जाता नहीं, 
अफसाना मौत का कहा जाता नहीं... 
Jayanti Prasad Sharma 
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यों ही काटते रहें..... 

रोहित कौशिक 

आओ हम यों ही मरते-कटते रहें 
और फूलने दें संतों की तोंद 
बढ़ने दे चोटी और तिलक की लंबाई 
फलने दें मौलवियों की दाढ़ी। 
कि जब तक सम्पूर्ण मानवता का रक्त 
संतों की तोंद में न समा जाए... 
मेरी धरोहर पर yashoda Agrawal  
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'फते' और 'फलास' 


शब्दों का सफर पर अजित वडनेरकर 
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समय गवाह है पर 


उलूक टाइम्स पर सुशील कुमार जोशी  
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ग़ज़ल 

आज़ाद हैं यहाँ सभी’ उल्फत ही’ क्यूँ न हो 
पावंदी’ भी को’ई नहीं’ तुहमत ही’ क्यूँ न हो... 
कालीपद "प्रसाद" 
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सभी को चाहिए - - 

सभी को चाहिए 
कहीं न कहीं कुछ पल 
सुकून भरा... 
Shantanu Sanyal 
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गर्मी ........ 

काका माहौल बहुत गर्म है। मनसुख ने रात में आंधी और बारिश से भर गए पत्ते और कीचड़ को साफ़ करते करते कहा। काहे रे रातिये तो बारिश हुआ है- हाथ में खैनी रगड़ते-रगड़ते काका ने पूछा। देखो कितना बढ़िया मौसम हो गया है। नहीं तो लग रहा था कि झुलसा देगा ... 
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ध्येय तुम्हारा है करना कर्म 

क्यों बैठे तुम निठठ्ले 
नहीं है कोई काम धाम 
कर्म की महिमा को समझो 
कर्म सुख की खान ... 
Ocean of Bliss पर Rekha Joshi 
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काश ग़ाफ़िल को कभी भी तो पुकारा होता 

कोई दुनिया में न तक़्दीर का मारा होता 
हर किसी को जो मुहब्बत का सहारा होता... 
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ 
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15 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात.....
    अच्छी प्रस्तुति
    आभार..
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. बढ़िया लिंक्स. मेरी कविता शामिल की. आभार.

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर रविवारीय चर्चा। आभार 'उलूक' के सूत्र को जगह देने के लिये।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुन्दर सूत्र शास्त्री जी ! आशा दीदी और मेरी दोनों की रचनाओं को आज की चर्चा में सम्मिलित करने के लिए हम दोनों की और से आपका बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार !

    जवाब देंहटाएं
  5. आभार गुरु जी. मेरी दोनों प्रविष्टियों को चर्चा में स्थान देने के लिए.
    चर्चामंच का सदैव ऋणी रहूंगा यहां मुझे साहित्यकारों की एक ऐसी मंडली मिली जिन्हें मैं कभी नहीं भूल पाऊंगा.

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  7. 'क्रांतिस्वर' व 'जो मेरा मन कहे ' की ब्लाग पोस्ट्स को इस अंक में स्थान देने हेतु सादर आभार।

    जवाब देंहटाएं
  8. Please Vsit My Blog...

    https://rahulhindiblog.blogspot.in/?m=1

    Thank you

    जवाब देंहटाएं
  9. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति । मेरी रचना को जगह देने के लिये बहुत बहुत धन्यवाद आपका ।

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति । मेरी रचना को जगह देने के लिये बहुत बहुत धन्यवाद आपका ।

    जवाब देंहटाएं
  12. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  13. बेहतरीन चर्चा प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  14. आदरणीय डॉ साहब आपके सतत उत्साहवर्धन का सदैव ऋणी रहूँगा | जय श्री कृष्ण !

    जवाब देंहटाएं

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