दोहे
रविकर
है पहाड़ सी जिन्दगी, चोटी पर अरमान।
रविकर झुक के यदि चढ़ो, हो चढ़ना आसान।।
गली गली गाओ नहीं, दिल का दर्द हुजूर।
घर घर मरहम तो नही, मिलता नमक जरूर।। |
परख :आशा बलवती है राजन् :हिमांशु पंड्या |
मां HAPPY MOTHER'S DAY
Dr Varsha Singh
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सबको ‘बेईमान’ बनाकर सत्ता हासिल करने वाला‘ईमानदार’ नेता आज ‘बेईमान’ बन गया
HARSHVARDHAN TRIPATHI
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माँ शब्द नहीं संबल है .....कोटिशः प्रणाम !
udaya veer singh
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मीठे बूँद
Rewa tibrewal
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अब भी
Aditi Poonam
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मदर्स डे कुछ सवाल भी तो उठाता है !
गगन शर्मा, कुछ अलग सा
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माँ....
रश्मि शर्मा
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दोहे "पुरखों की जागीर"
रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
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टेलीफोन की जुबानी,शीला, रूपा उर्फ रामूड़ी की कहानी
ताऊ रामपुरिया
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कस्तूरी मृग है - माँ
smt. Ajit Gupta
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रहेगी बात अधूरी
श्यामल सुमन
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विपक्षी बिखराव के तीन साल
pramod joshi
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दोहे"गिरवीं बुद्धि-विवेक"(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') |
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चयन
आभार
सादर
पठनीय लिंकों के साथ सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीय रविकर जी।
बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति fjk
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति।
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