फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

मंगलवार, मई 02, 2017

सरहद पर भारी पड़े, महबूबा का प्यार; चर्चामंच 2626



--

सिर्फ बेटियाँ ही नहीं, जाँय माइका छोड़- 

रविकर 
सिर्फ बेटियाँ ही नहीं, जाँय माइका छोड़। 
गलाकाट प्रतियोगिता, बेटों में भी होड़। 
बेटों में भी होड़, पड़ा है खाली कमरा । 
रैकट बैट गिटार, अजब सन्नाटा पसरा 
जींस शूज़ टी-शर्ट्स, किताबें कलम टोपियाँ। 
कहे आजकल कौन, रुलाती सिर्फ बेटियाँ।। 


उसे फिर गुनगुनाना तुम 

कहीं रुकना, कहीं झुकना, कहीं पर मुस्कुराना तुम 
अगर जीना, सलीके से, तरीका आजमाना तुम... 
मनोरमा पर श्यामल सुमन 

मै इस काया में कुछ इस तरह 

मेरे भीतर बहते खून का अंश 
नदियों से आता है 
इसलिये वह 
निस्तेज बहता रहता है... 
ज़िन्दगीनामा पर Sandip Naik  





नीव का पहला पत्थर पर कितना ज़रूरी ... 
क्यों नहीं होता उसका नाम ... 
निर्माण का सतत साक्षी होने के बावजूद भी वो नहीं होता कहीं ...  
वर्ग जो दब के रह जाता है अपने सृजन के सौंदर्य में ... 

Digamber Naswa 
--

सरहद पर भारी पड़े, महबूबा का प्यार। 

रविकर 
रोज शत्रु उकसा रहा, फिकरे कसे विपक्ष। 
कहो युधिष्ठिर मौन क्यूँ, रविकर यक्ष समक्ष।। 

मोदी सर हद से अधिक, ढीलापन बेकार। 
सरहद पर भारी पड़े, महबूबा का प्यार।। 

आ खेलते हैं .... ईश्वर -ईश्वर 

DrPratibha Sowaty 

धूलिकण :  

चितेरों की दृष्टि में डॉक्टर साहब 

Lokendra Singh 

मेरा जन्मदिन 

मेरे बारे में
जाले पर पुरुषोत्तम पाण्डेय 






समीक्षा -  

"ये तो मोहब्बत नहीं" -  

समीक्षक शालिनी कौशिक 

Ye To Muhabbat Nahi
Shalini Kaushik 

नहीं झुके हैं नहीं झुकेंगे हम वीर बलिदानी 
हम हिंदुस्तानी, हम हिंदुस्तानी, हम हिंदुस्तानी... 


Rajesh Tripathi 

7 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात !
    सुन्दर, सार्थक सूत्रों से सुसज्जित आज का मंच ! मेरे ब्लॉग के सूत्रों को स्थान देने के लिए आपका हृदय से धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी !

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति रविकर जी । आभार 'उलूक' के सूत्र को भी जगह देने के लिये।

    जवाब देंहटाएं
  3. विस्तृत चर्चा आज की ...
    आभार मुझे भी शामिल करने का ...

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  5. संकलन में बहुविध रचनाओं का चयन व्यंग, कवितायेँ, संस्मरण काजल कुमार और यशोदा अग्रवाल जी के कार्टून सभी सत्सय्या के दोहरे हैं, धन्यवाद.

    जवाब देंहटाएं

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।