दोहे
रविकर
कर रविकर अहसास तो, बने अजनबी खास।
अपने भी हों अजनबी, मरे अगर अहसास।।
मैया तो पाला करे, रविकर श्रवण कुमार।
पाला बदले किन्तु सुत, बदले जब सरकार।।
मैया है मेरी हँसी, बापू की मुस्कान।
छुटकी की शैतानियाँ, रविकर कुल सम्मान।।
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ब्यापार और ध्यान
J Sharma
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जीएसटी यानी एक नए युग में प्रवेश
pramod joshi
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व्यंग्य जुगलबंदी : बिना शीर्षक
Ravishankar Shrivastava
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(संपादकीय) सर्वश्रेयस्करीं सीतां नतोहं रामवल्लभां
ऋषभ देव शर्मा
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आइना संगसार करना था
कार्टून :-यलग़ाााार हो ...
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शुभ प्रभात.....
जवाब देंहटाएंसुरम्य रचनाएँ
आभार
सादर
सुप्रभात ! सुन्दर सार्थक सूत्रों का संकलन आज का चर्चामंच ! आज की चर्चा में मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार !
जवाब देंहटाएंसार्थ लिंको के साथ बढ़िया प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपका आभार रविकर जी
बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत ही शानदार प्रस्तुति। मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार...
जवाब देंहटाएंjay ho
जवाब देंहटाएंविविध ब्लॉग पुष्पों से सजा बेहतरिन गुलदान... सादर
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा रविकर जी।
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