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गुरुवार, जून 22, 2017

"योग से जुड़ रही है दुनिया" (चर्चा अंक-2648)

मित्रों!
गुरुवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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योग दिवस 

उठना जल्दी जागना ,रहना अगर निरोग। 
करते रहना रोज ही ,योग योग तुम योग... 
गुज़ारिश पर सरिता भाटिया 
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मेरी और तुम्हारी...!!! 

हर कोई पढ़ लेता है आँखे, 
मेरी और तुम्हारी... 
 हम बताये या ना बताये, 
लोग खुद ही कितने किस्से गढ़ लेते है... 
'आहुति' पर Sushma Verma  
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संताप से भरे पुत्र का पत्र 

कल एक पुत्र का संताप से भरा पत्र पढ़ने को मिला। उसके साथ ऐसी भयंकर दुर्घटना हुई थी जिसका संताप उसे आजीवन भुगतना ही होगा। पिता आपने शहर में अकेले रहते थे, उन्हें शाम को गाड़ी पकड़नी थी पुत्र के शहर जाने के लिये। सारे ही रिश्तेदारों से लेकरआस-पड़ोस तक को सूचित कर दिया गया था कि मैं पुत्र के पास जा रहा हूँ... 

शब्द कम रहें... न रहें... 

जीवन... बहुत बड़ा बवंडर है...  
एक सिरा हाथ आये दूसरा छूट जाता है...  
अनुशील पर अनुपमा पाठक 
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गर्म फुल्का ----  

लघु कथा 

आज चौथा दिन है जब मधु बिना रोटी बनाए सो गयी | रोज़ - रोज़ ब्रेड खाकर पेट नहीं भरा जा सकता | मानता हूँ कि वह भी नौकरी करती है और मेरे बराबर तनख्वाह पाती है, लेकिन वह अकेले ही तो नौकरी नहीं करती | कई औरतें नौकरी करती हैं और घर का काम भी करती हैं | बच्चे भी संभालती हैं | अभी तो हमारा बच्चा भी नहीं है | बच्चा होने के बाद कैसे मैनेज करेगी मधु ... 
कुमाउँनी चेली पर शेफाली पाण्डे 
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खुशियों का गाँव 


Fulbagiya पर डा0 हेमंत कुमार 
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आप -- 

'आप' ने झाड़ू को कचरे से उठाकर गली गली में पहुंचा दिया , 
झाड़ू हाथ में लेकर दिल्ली को 'हाथ' के हाथ से झटका लिया। 
मोदी जी को भी जब झाड़ू के चमत्कार का अहसास हो गया , 
तो भ्रष्टाचारी गंदगी पर झाड़ू लगाने का प्रस्ताव पास हो गया। 
नेता , अफसर , मंत्री , संतरी , सब के हाथों में झाड़ू आ गई... 
अंतर्मंथन पर डॉ टी एस दराल 
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टाइम मशीन 1ः फौलाद 

दोनों बालकों को दीवार में चिनवाया जा रहा था. मिस्त्री एक-एक ईंट रखता और दीवार ऊंची हो जाती. सरहिन्द के दीवान सुच्चा सिंह ने कई बार दोनों को समझाने की कोशिश की थीः इस्लाम अपना लो. आखिर, दोनों की उम्र ही क्या थी? बड़ावाला जोरावर सिंह करीब आठ साल का, और दूसरा फतेह तो सिर्फ छह का. लेकिन दोनों बालक तो मानो फौलाद के बने थे. डिगे तक नहीं. डिगते भी क्यों... 
गुस्ताख़ पर Manjit Thakur 
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5 टिप्‍पणियां:

  1. वाह्ह्ह...विविधतापूर्ण सुंदर पठनीय लिंकों का चयन मेरी रचना को मान देने के लिए बहुत बहुत आभार आदरणीय।

    जवाब देंहटाएं
  2. शुभ प्रभात....
    वाह....
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  3. सुन्दर प्रस्तुति आभार 'उलूक' के सूत्र को जगह देने के लिये।

    जवाब देंहटाएं

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