मित्रों।
सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
--
--
थिरकती रही ज़िंदगी
रंग बिरंगी ज़िंदगी ने
भर दिये जीवन में अनेक रंग
इंद्रधनुषी रंगों से कभी सजाया जीवन
कहीं छलके ख़ुशी के रंग...
Ocean of Bliss पर Rekha Joshi
--
--
के सिखेलकै ?
बाल कविता-161
के सिखेलकै चुट्टीकेँ जे चलै छै
एक्के पाँतीमे कौआ रहय उघारे
जखन अहाँ रहै छी
गाँतीमे के सिखेलकै...
नव अंशु पर Amit Kumar
--
--
--
--
--
--
जीवन-सार
नहीं पुष्प में पला,
नहीं झरनों की झर झर ज्ञात मुझे,
नहीं कभी भी भाग्य रहा
जो सुख सुविधायें आकर दे ।
इच्छायें थी सीमित, सिमटी,
मन-दीवारों में पली बढ़ीं, आशायें
शत, आये बसन्त, अस्तित्व-अग्नि शीतल कर दे
।।१।।....
प्रवीण पाण्डेय
--
--
--
अगर...
एक अरसे से
ख्वामख्वाह जीता रहा हूँ मैं,
तुम जो कभी कहती,
तो बेहिचक मर जाता।
वो जो कल
ठिठुरकर मर गया सड़क पर,
आप ही कहिए,
अगर जाता,
तो कहाँ जाता ?...
कविताएँ पर Onkar
--
--
--
--
--
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंसमसामयिक लिंक्स |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सर |
उम्दा प्रस्तुति...! मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद सर .
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा । आभार 'उलूक' का सूत्र 'जो जैसा था वैसा ही निकला था' को जगह देने के लिये ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन।
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा ...
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ! मयंक जी ! मेरी रचना ''मुक्त-मुक्तक : 676 आती हो बिन झझक क्यों ? '' को शामिल करने का ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन सुन्दर चर्चा ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा, मेरी रचना को शामिल करने के लिये धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा। बहुत ही अच्छे लिंक्स प्रस्तुत हुए हैं।
जवाब देंहटाएं