मित्रों।
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देकिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक्स।
--
शब्दों की तलवार
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgGe0HSLOpkuE-oijCB89eafS5I797POPX7iYax7Mnd6wG_EIWUgvgmLX1pGgnWoeO7jb5pI_oeccSS1FTxB2AQ9I-NUKx6nmhD6Mbz_8eaHlnR17S3hZfuFbyuPq_knjEyNxTsu2iMIUk/s320/images.jpg&container=blogger&gadget=a&rewriteMime=image)
आप बोलचाल में अक्सर किस तरह के शब्दों का प्रयोग करते हैं? अगर आप कम बोलते हैं तो नपा-तुला बोलते हैं.यदि आप बातूनी हैं तो शब्दों की तलवार भी चलाते रहते हैं.दरअसल बोलचाल में प्रयुक्त किये जाने वाले शब्द आपके व्यक्तित्व को भी उजागर करते हैं.विभिन्न क्षेत्रों में बोलचाल का लहजा भी भिन्न-भिन्न होता है. कई लोग शब्दों की तलवार चलाने में बड़े माहिर समझे जाते हैं.बात-बात में ही ऐसी बात कह देते हैं कि आप मन मसोसकर रह जाते हैं...
--
How to quickly minimize
all open windows
![](http://3.bp.blogspot.com/-NR32LXm-X04/VQpyXGomt-I/AAAAAAAABZI/yjQdHHQi-eM/s400/keyboard01.jpg&container=blogger&gadget=a&rewriteMime=image)
दोस्तों इस पोस्ट में एक छोटी सी टिप्स की जब बहुत सारी विंडोज खुली हो तो डेस्कटॉप पर कैसे पहुंचे तो इसके लिए आप तो तरह से पहुँच सकते हैं 1. कीबोर्ड से - कीबौर्ड शॉर्टकट होता है विंडो बटन और D बटन...
sanny chauhan
--
शायराना दिव्या
किसी व्यक्ति के जीवन भर की पूंजी, पैसा, जेवर, जमीन आदि को यदि एक ओर व दूसरी ओर एक सुसंस्कारी पुत्र को रख दिया जाये तो सुसंस्कारी पुत्र का पलड़ा भारी रहेगा। क्योंकि एक सुपुत्र ही किसी व्यक्ति के जीवन भर की एक महत्वपूर्ण कमाई है। कहा भी गया है ‘‘पूत सपूत काहे धन संचय, पूत कपूत काहे धन संचय‘‘ अर्थात पुत्र यदि सुसंस्कारी है तो हमें धन के संचय करने की क्या आवश्यकता है...
--
ऐसे भी और वैसे भी
गड्ढे में तो गिरना ही था,
ऐसे भी और वैसे भी
शादी मुझको करना ही था,
ऐसे भी और वैसे भी...
--
--
--
--
"....कुछ तर्बियत बची है कि नहीं कि सब घोल कर पी गये तुम लोग..." -पड़ोसी अब्दुल चाचा ने नन्हें को लानत भेजते हुए साधिकार कहा- " तुम लोगो को मालूम है कि नहीं कि भाई जान यानी तुम्हारे पिता जी एक हफ़्ते से खाट पकड़े है ...पंडित जी को कोई देखने वाला नही...और तुम लोग हो कि.."
पिछले हफ़्ते बाथरूम में फिसल गये पिता जी ---चोट गहरी लगी थी --खाट पकड़ लिया था । कोई देखने वाला नहीं--कोई सेवा करने वाला नही। शून्य में कुछ निहारते रहते थे। मन ही मन कुछ बुदबुदाते रहते थे एकान्त में...
पिछले हफ़्ते बाथरूम में फिसल गये पिता जी ---चोट गहरी लगी थी --खाट पकड़ लिया था । कोई देखने वाला नहीं--कोई सेवा करने वाला नही। शून्य में कुछ निहारते रहते थे। मन ही मन कुछ बुदबुदाते रहते थे एकान्त में...
--
--
भगवान ने तो सृष्टि में दो ही बनाए थे- स्त्री और पुरुष लेकिन कभी-कभी टेस्टिंग विभाग की तकनीकी खराबी के कारण इन दोनों के बीच की भी कोई चीज मार्किट में आ जाती है...
--
फ्री वर्डप्रेस होस्टिंग सर्विस
मैने कुछ वेबसाईट सर्च की हैं
जो कि फ्री होस्टिंग सर्विस उपलब्ध कराती हैं
खासतौर पर वर्डप्रेस पर
वेबसाईट शुरू करने वालों के लिये...
bhagat bhopal
मैने कुछ वेबसाईट सर्च की हैं
जो कि फ्री होस्टिंग सर्विस उपलब्ध कराती हैं
खासतौर पर वर्डप्रेस पर
वेबसाईट शुरू करने वालों के लिये...
bhagat bhopal
--
एक बार फिर
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjw-Tk3I7fWPa0ahDWANiFROFaRHU97Zs65qxyfRTJm0lkfqRrLZssBzcvV4qDVqGRFc0RKA0rLCPLhFTL0te-5b7lE1r8Skpk-LNfpcHdTTrKRePIgV_qjWR4NgsKQMpPuczX2HYcX7ime/s320/index.jpg&container=blogger&gadget=a&rewriteMime=image)
एक बार फिर लौटे हैं
एक और मुकाम से
जहाँ ढूँढते रहे हम
ज़मीं के चप्पे-चप्पे पर
तेरे कदमों के निशाँ...
--
--
--
--
--
--
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंसुन्दर पठनीय लिंक्स
उम्दा संयोजन |
लाजव़ाब! संयोजन....उम्दा रचनाए पढवाने के लिए आभार! आदरणीय!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा सूत्र.
जवाब देंहटाएं'देहात' से मेरे पोस्ट को शामिल कर,शीर्षक पोस्ट बनाने के लिए आभार.
Sunder Charcha Prastuti.....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सूत्रों से सुसज्जित आज का चर्चामंच ! मेरी रचना को शामिल करने के लिये हृदय से आभार !
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिंक्स के साथ सार्थक चर्चा प्रस्तुति ..आभार!
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को शामिल करने के लिये आभार !
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा | बधाई | जय हो - मंगलमय हो
जवाब देंहटाएंThanks Sir
जवाब देंहटाएं