फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

सोमवार, मार्च 16, 2015

"जाड़ा कब तक है..." (चर्चा अंक - 1919)

मित्रों।
सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
--
--
--

नई शुरूआत मोटो ई के साथ 

हमेशा दुनिया में आदमी को नया सीखने की चाहत होती है, और हर कोई नई तकनीक को अपनाना चाहता है जिससे वह भी सभ्य समाज में जाना जाये और उसकी समाज में अच्छी पहचान बने... 
Vivek Rastogi 
--

बीत गए दिन 

यूं ही कभी पर राजीव कुमार झा 
--
--
--

कान्हा पागल रोयेगा।। 

प्यासी प्यासी नदी रहेगी जंगल जंगल रोयेगा। 
सागर सा तन लिये उदासी मन गंगाजल रोयेगा।। 
बहते दरिया को गर यूँ ही जंजीरों में बाँधोगे, 
जिस दिन सावन आयेगा उस दिन ये बादल रोयेगा।।... 
PAWAN VIJAY
--

खुदा से खुशी की लहर माँगती हूँ 

खुदा से खुशी की लहर माँगती हूँ। 
 कि बेखौफ हर एक घर माँगती हूँ। 
अँधेरों ने ही जिनसे नज़रें मिलाईं 
उजालों की उनपर नज़र माँगती हूँ।... 
गज़ल संध्या पर कल्पना रामानी 
--

चोरों का देश 

कितने ईमानदार है हम ?इस प्रश्न से मै दुविधा में पड़ गई ,वह इसलिए क्योकि अब ईमानदार शब्द पूर्ण तत्त्व न हो कर तुलनात्मक हो चुका है... 
Ocean of Bliss पर Rekha Joshi 
--

हम हैं साथ-साथ 

दुःख हो या सुख,
हम होंगे साथ-साथ । 
धुप हो या छाँव,
देंगे एक दूसरे का साथ... 
हिन्दी कविता मंच पर ऋषभ शुक्ला
--

बहुत आसान लगता है ... 

बहुत आसान लगता है 
किसी लिखे हुए को पढ़ना 
किसी के लिखे हुए को 
अपना नाम देना 
लेकिन बहुत कठिन होता है 
उस लिखे को समझना... 
Yashwant Yash 
--

चन्द माहिया 

क़िस्त 17 

:1:
दरया जो उफ़नता है
दिल में ,उल्फ़त का
रोके से न रुकता है 
:2:
क्या कैस का अफ़साना !
कम तो नहीं अपना
उलफ़त में मर जाना
:3:... 
आपका ब्लॉग पर आनन्द पाठक 
--
--

कतरनें 

Akanksha पर Asha Saxena 
--
--
--

खांडवी 

आपकी सहेली पर jyoti dehliwal 
--
--

आये तुम 

स्वप्न देखने का जीवन में, साहस तो कर बैठे थे ।
आये तुम, पीछे पीछे, देखो स्वप्न और आ जायेंगे ।।... 
प्रवीण पाण्डेय 
--
--
--

तेरे लिखे हुऐ में 

नहीं आ रहा है मजा 

उलूक टाइम्स
उलूक टाइम्स पर सुशील कुमार जोशी 
--

हैंग-ओवर ... हैंग-ओवर ... 

अजीब बिमारी है प्रेम ... न लगे तो छटपटाता है दिल ... लग जाये तो ठीक होने का मन नहीं करता ... समुंदर जिसमें बस तैरते रहो ... आग जिसमें जलते रहो ... शराब जिसको बस पीते रहो ...
आँखों के काले पपोटों के सामने
टांग दिए तेरी यादों के झक्क काले पर्दे
बंद कर दिए इन्द्रियों के सभी रास्ते 
जेब कर दिए तुझे छूने वाले दो खुरदरे हाथ...
स्वप्न मेरे ...पर Digamber Naswa 
--

विरहन की आह सी बारिशें... 

Pratibha Katiyar 
--

दरारें 

sunita agarwal 
--

"बालगीत-मिलने आना तुम बाबा" 

पापा की लग गई नौकरी,
देहरादून नगर बाबा।
कैसे भूलें प्यार आपका,
नहीं सूझता कुछ बाबा।।
गर्मी की छुट्टी होते ही,
अपने घर हम आयेंगे,
जो भी लिखा आपने बाबा,
पढ़कर वो हम गायेंगे,
जब भी हो अवकाश आपको,
मिलने आना तुम बाबा।

12 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात
    उम्दा लिंक्स
    मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सर |

    जवाब देंहटाएं
  2. अच्छे लिंक्स।
    मुझे शामिल करने के लिए शुक्रिया।

    जवाब देंहटाएं

  3. उम्दा प्रस्तुति…मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  4. gud mrng..

    finallyy here is my new blog : The Mich http://lalitchahar.blogspot.in/
    special thnx to bloggers n here is first post of my blog:
    long way to go.. http://lalitchahar.blogspot.in/2015/03/happy-birthday-himani.html


    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति
    आभार!

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुंदर सोमवारीय चर्चा सूत्र.
    'यूँ ही कभी' से मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार.

    जवाब देंहटाएं
  7. sabhi links sarahniy hain .mere blog ko yahan sthan pradan karne hetu aabhar

    जवाब देंहटाएं
  8. सुंदर प्रस्तुति । आभार 'उलूक' के सूत्र 'तेरे लिखे हुऐ में नहीं आ रहा है मजा' को स्थान दिया ।

    जवाब देंहटाएं
  9. बहूत ही अच्छे अच्छे लिंक्स दिये हैं.
    धन्यवाद्.

    जवाब देंहटाएं
  10. सुन्दर सूत्रों से सजा चर्चा मंच ... आभार मुझे भी शामिल करने का ...

    जवाब देंहटाएं
  11. हमेशा की तरह मन को प्रभावित करने वाली प्रस्तुति काफी अच्छी लगी।मेरे पोस्ट पर आपकी उपस्थिति अपेक्षित है।शुभ संध्या।

    जवाब देंहटाएं
  12. सुन्दर कड़ियाँ | आनंदमय | मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए धन्यवाद | जय हो - मंगलमय हो

    जवाब देंहटाएं

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।