मित्रों।
मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए कुछ पोस्टों के लिंक।
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"ग़ज़ल-ये कैसी आजादी है"
अमर शहीद भगत सिंह :
हवा में जिसके विचारों की
खुशबू आज भी है,
वो रहे, रहे न रहे -
सरला माहेश्वरी
शहादत दिवस
Tushar Raj Rastogi
--"ग़ज़ल-ये कैसी आजादी है"
छूट रहा अपराधी है
ये कैसी आजादी है
सिसक रही है केशर-क्यारी
शासक तो उन्मादी है...
उच्चारण
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मन की बात ....
भाग २
प्रधानमंत्री जी मन की बात करने का हक़ सिर्फ आपको है जानते हैं न क्यों ..... उच्च पद स्वतः बन जाते हैं साक्षी मन की बात कहने के एक प्रश्न पूछूँ वैसे जानती हूँ जवाब नहीं मिलेगा मगर फिर भी पूछ ही लेती हूँ क्या आपने कभी सोचा मन क्या सिर्फ आपके पास है ? या फिर जनता के पास मन होता ही नहीं...
vandana gupta
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कल तक थे चार पुरुषार्थ
लेकिन अब हैं पाँच
श्रीराम और श्रीकृष्ण का जीवन देखिए, उनके जीवन का कृतित्व समझिए। उन्होंने राष्ट्र-सुरक्षा को ही सर्वोपरी माना और आततायियों का संहार ही उनका लक्ष्य रहा। रामायण और महाभारत काल इसी बात के साक्षी हैं कि सृष्टि पर श्रेष्ठ विचार पनपने चाहिए और निकृष्ट विचारों का नाश होना चाहिए। ना राम और ना ही कृष्ण ने कभी किसी कर्मकाण्ड या पूजा पद्धति को स्थापित किया, बस वे राष्ट्र की सुरक्षा के लिए ही संकल्पित रहे...
smt. Ajit Gupta
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इश्क में टूट कर गर बिखर जाउँगी
ये बताओ जरा मैं किधर जाउँगी
तेरी चाहतों को खुदा मैंने माना
तुझे पास पाकर मैं निखर जाउँगी...
ये बताओ जरा मैं किधर जाउँगी
तेरी चाहतों को खुदा मैंने माना
तुझे पास पाकर मैं निखर जाउँगी...
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पसीने से जब-जब नहाती है गर्मी
हवाओं से हमको मिलाती है गर्मी
उगे-भोर, चिड़िया बनी चहचहाती
चमन की तरफ लेके जाती है गर्मी...
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शीर्षकहीन
सुनीता वर्मा का एक नया काम अभी तुरंत ही पूरा होकर सामने आया है। उनकी यह नयी पेंटिंग उनके अपने कामों से कई तरह से अलग है, इसलिए अपनी ओर सहज ही ध्यान आकर्षित करती है। उनकी इस पेंटिंग के साथ कोई शीर्षक नहीं है लेकिन इसका संयोजन इसके विषय को ठीक-ठीक समझाता है। इस त्रिस्तरीय चित्र के केंद्र में अशोक वाटिका है। अशोक वाटिका में सीता हैं, हनुमान हैं। लेकिन इसमें आग की तरह दिखने वाले पुष्प, अंगारों की तरह लाल रंग में नहीं दहक रहे हैं, बल्कि संजीवनी बूटी की तरह चमक रहे हैँ।...
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मर मिटे आज़ादी पर मस्ताने
शहीद ऐ आज़म ''भगत सिहं , शहीद सुखदेव , शहीद राजगुरु ''की याद में जलते रहे शमा पर परवाने हुये शहीद वतन पर दीवाने शत शत करते देशवासी नमन मर मिटे आज़ादी पर मस्ताने 23 मार्च शहीद दिवस पर देश के अमर शहीदों को शत शत नमन...
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मेरा स्मार्टफोन, मेरी दुनिया
मैं जब भी कोई मोबाइल देखता,
तो उसे अपने हाथों मे लेना चाहा।
लेकिन छोटे होने की दलील,
सबने दिया और मैंने सहा...
तो उसे अपने हाथों मे लेना चाहा।
लेकिन छोटे होने की दलील,
सबने दिया और मैंने सहा...
ऋषभ शुक्ला
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मूल स्वरुप
बदलते तो हम खुद हैं,
और दोष बताते हैं उसका
और तालमेल बैठाने की जद्दोजहद में
वो इतना बदल चुका होता है कि,
अपने अस्तित्व को ही खो देता है,..
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सुप्रभात
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक्स
मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
sundar charcha.
जवाब देंहटाएंmayank ji merit rachana Ko sthan Dene ke liye dhanyavad.
सार्थक लिनक्स से सजी शानदार चर्चा ........आभार
जवाब देंहटाएंsundar charcha....meri rachna ko sthan dene kay liye shukriya
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा प्रस्तुति ...आभार!
जवाब देंहटाएंkya baat
जवाब देंहटाएंसभी लिंक्स बढ़िया ..
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंशुभ रात्रि।
धन्यवाद ! मयंक जी ! मेरी रचना ''नवगीत (34) सब कुछ वो मुझसे छीन... '' को शामिल करने का ॥
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