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सोमवार, मार्च 02, 2015

"बदलनी होगी सोच..." (चर्चा अंक-1905)

मित्रों।
सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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थिरकती रही ज़िंदगी 

रंग बिरंगी ज़िंदगी ने 
भर दिये जीवन में अनेक रंग 
इंद्रधनुषी रंगों से कभी सजाया जीवन 
कहीं छलके ख़ुशी के रंग...  
Ocean of Bliss पर Rekha Joshi 
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के सिखेलकै ? 

बाल कविता-161 
के सिखेलकै चुट्टीकेँ जे चलै छै 
एक्के पाँतीमे कौआ रहय उघारे 
जखन अहाँ रहै छी 
गाँतीमे के सिखेलकै... 
नव अंशु पर Amit Kumar 
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तब्दील

Sunehra Ehsaas पर 
Nivedita Dinkar 
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जीवन-सार 

नहीं पुष्प में पला, 
नहीं झरनों की झर झर ज्ञात मुझे, 
नहीं कभी भी भाग्य रहा 
जो सुख सुविधायें आकर दे । 
इच्छायें थी सीमित, सिमटी, 
मन-दीवारों में पली बढ़ीं, आशायें 
शत, आये बसन्त, अस्तित्व-अग्नि शीतल कर दे  
।।१।।.... 
प्रवीण पाण्डेय 
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ज़िन्दगी 

ज़िन्दगी ऐसी कि जैसे हो कोई मैला बिछौना , 
या कि चूल्हे पर चढ़ा जैसे कोई फूटा भगौना... 
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कशमकश 

Akanksha पर Asha Saxena 
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अगर... 

एक अरसे से 
ख्वामख्वाह जीता रहा हूँ मैं, 
तुम जो कभी कहती, 
तो बेहिचक मर जाता। 
वो जो कल 
ठिठुरकर मर गया सड़क पर, 
आप ही कहिए, 
अगर जाता, 
तो कहाँ जाता ?... 
कविताएँ पर Onkar
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9 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात
    समसामयिक लिंक्स |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सर |

    जवाब देंहटाएं
  2. उम्दा प्रस्तुति...! मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद सर .

    जवाब देंहटाएं
  3. सुंदर चर्चा । आभार 'उलूक' का सूत्र 'जो जैसा था वैसा ही निकला था' को जगह देने के लिये ।

    जवाब देंहटाएं
  4. धन्यवाद ! मयंक जी ! मेरी रचना ''मुक्त-मुक्तक : 676 आती हो बिन झझक क्यों ? '' को शामिल करने का ।

    जवाब देंहटाएं
  5. सुन्दर चर्चा, मेरी रचना को शामिल करने के लिये धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुंदर चर्चा। बहुत ही अच्‍छे लिंक्‍स प्रस्‍तुत हुए हैं।

    जवाब देंहटाएं

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