"चर्चा मंच" अंक - 103 |
चर्चाकार : रावेंद्रकुमार रवि आइए आज मुस्कराते हुए "चर्चा मंच" सजाते हैं, कुछ ऐसी मुस्कानों से, जिन्हें देखकर सबके मन सज जाते हैं मुस्कराती हुई ख़ुशियों से - |
सबसे पहले आपको दिखाते हैं पाखी की मुस्कान, जिसने 25 मार्च को अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में अपना जन्म-दिन मनाया है! पाखी बहुत धीरे से मुस्कराती है, पर बहुत अच्छे से मुस्कराती है - पाखी के जन्म-दिन की झलकियाँआज (25 मार्च) मेरा जन्म-दिन हैजन्म-दिवस पर पाखी के लिए उपहार |
अब मिलते हैं आदित्य की मुस्कान से, जिसे देखकर हम सबको हरपल मुस्कराते रहने की प्रेरणा मिलती है - बबुआ विल राईट फ्रॉम बैंकोक..नन्हा हीरो.. |
और अब मिलते हैं एक ऐसी ब्लॉगपरी से, जिसके मुस्कराने से झरते हैं ख़ुशियों के फूल - सलाम नमस्तेआपने की है कभी ऐसी शरारत ? |
अब आपको मिलवाते हैं बाल-उद्यान में उगे हुए आलू की अनोखी मुस्कान से जिसे देखकर बरबस ही मुस्करा उठते हैं हमारे ओंठ- मैं सभी सब्जियों का हूँ राजा |
और ये हैं माधव जिनकी मुस्कान से तो फूल भी मुस्कराना सीखते हैं! यक़ीन न हो तो ख़ुद ही देख लीजिए - पहली बार आइसक्रीम का लुत्फ़ |
और अब देखिए इन महाशय की मुस्कान, जो नन्हा मन के स्कूल में पिटकर भी मुस्करा रहे हैं - बंदर गया स्कूल |
फिरंगी भी मुसकराता है, नन्हे सुमन प्रांजल और प्राची के साथ उनकी गोद में लेटकर! कुछ इस तरह - वफादार है बड़े काम का |
और यह रही नित्या शेफ़ाली की मोहक मुस्कान, जिसमें नज़र आ रही है चंचल गौरैया की सुंदर मुस्कान - मेरी प्यारी गौरैया |
अब मैं सरस पायस को कैसे भूल सकता हूँ, जो हर पल सबके मन में सजाने को तैयार रहता है, ख़ुशियों से झिलमिलाती मनमोहक मुस्कान - मेरी शोभा प्यारी है |
वाह क्या कहने इन मुस्कानों के
जवाब देंहटाएंबहुत मासूम
सचमुच मुस्कानों की सुंदर झांकी है .. धन्यवाद !!
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंजिन्हें देखकर सबके मन सज जाते हैं!
जवाब देंहटाएंऐसी मुस्कानों से सजी
चर्चा को देख कर मन प्रमुदित हो गया!
प्रियवर रावेंद्रकुमार रवि जी!
चर्चा मंच का आमन्त्रण
स्वीकार करने के लिए
आभार!
ऊ ल ला, और क्या कहें
जवाब देंहटाएं---
अभिनन्दन:
आर्यभटीय और गणित (भाग-2)
अब तो मैं
जवाब देंहटाएंपंद्रह साल का होने जा रहा हूँ,
पर यहाँ तो
पाँच महीने का ही नज़र आ रहा हूँ!
--
वाह!
मज़ा आ गया!
अपना नन्हा-मुन्ना रूप देखकर!
waah ye to ekdam anokha raha ji..
जवाब देंहटाएंजैसे जैसे देखता गया मेरी मुस्कान गहरी होती गयी....
जवाब देंहटाएंरे वाह बड़ी मनभावन मुस्कानें हैं.
जवाब देंहटाएंवाह्! क्या बात है शास्त्री जी, आज तो बाल मुस्कानों से सजी इस चर्चा नें मन प्रफुल्लित कर दिया.....
जवाब देंहटाएंवाह जी वाह आज तो बहुत सुंदर सुंदर ओर मन भावन मुस्काने बिखएर दी आप ने, हम भी मुस्कुरा दिये, आप का धन्यवाद इस मुस्कान के लिये
जवाब देंहटाएंसुंदर अति सुंदर. वाकई बहुत ही मनमोहक.
जवाब देंहटाएंरामराम.
अले यहाँ तो मैं भी हूँ और भी कई भैया-दीदी लोगों से मुलाकात हो गई...कितना सुन्दर हैं ना.
जवाब देंहटाएंइन मुस्कानों से जीवन में मुस्कान आ जाती है...खूबसूरत झांकी के लिए आभार
जवाब देंहटाएंथैंक यू, रवि अंकल :)
जवाब देंहटाएंथैंक यू, रवि अंकल :)
जवाब देंहटाएंलविज़ा | Laviza
कौन कहता है -
जवाब देंहटाएंयहाँ मुस्कान आई है?
यहाँ तो -
मुस्कान की मुस्कान आई है!
मासूम मुस्कानों के क्या कहने ..
जवाब देंहटाएंसुंदर अति सुंदर. वाकई बहुत ही मनमोहक.
जवाब देंहटाएंmanmohak muskan.
जवाब देंहटाएंबच्चों को सच्चा प्यार करने वालों का ब्लॉग है ये....बधाई.
जवाब देंहटाएंhttp://deendayalsharma.blogspot.com
बहुत खूब..खूबसूरत मुस्कानों के क्या कहने..बिटिया अक्षिता (पाखी) की चर्चा के लिए विशेष आभार.
जवाब देंहटाएंमयंक जी बहुत दिनों से
जवाब देंहटाएंचर्चा करने का आग्रह कर रहे थे
और समयाभाव के कारण
मैं टालता जा रहा था!
--
29 की शाम को मैं बच नहीं पाया!
उन्होंने मुझे कंप्यूटर-चेयर पर बैठाया
और कमरा बाहर से बंद करके चले गए!
यह कहकर -
जब चर्चा पूरी हो जाए, तो बता देना!
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अब जब-जब
मुस्कानों की इस झाँकी को देखता हूँ,
तो आँखें, मन और साँसें
एक अनूठी ताज़गी
और प्रेरणा से भर जाती हैं!
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मैं इसे मयंक जी के आशीष
और स्नेह के रूप में स्वीकार कर रहा हूँ!
--
समय-समय पर ऐसी ही चर्चाओं के साथ
मुलाकात होती रहेगी!
यूँ तो हर दिन ही चिट्ठों की चर्चा देखती रहती हूँ, और चर्चाकारों की मेहनत और लगन को सलाम करती रहती हूँ...गाहे-ब-गाहे कई बार नए आइडिया देख कर ख़ुश भी होती हूँ...लेकिन आज की आपकी पोस्ट सारे आइडियास पर भारी पड़ गई ...इन बच्चो की मुस्कुराहटों के साथ हम भी मुस्कुराने लगे हैं...और लगा जीवन में मुस्कुराने के अवसर कितने कम हैं...
जवाब देंहटाएंरवि जी, शास्त्री जी आप दोनों का बहुत बहुत आभार...
.
आपने तो बहुत सुंदर-सुंदर चित्रों की एक माला ही बना दी। गुड
जवाब देंहटाएंकाव्य रचना:
जवाब देंहटाएंमुस्कान
संजीव 'सलिल'
जिस चेहरे पर हो मुस्कान,
वह लगता हमको रस-खान..
अधर हँसें तो लगता है-
हैं रस-लीन किशन भगवान..
आँखें हँसती तो दिखते -
उनमें छिपे राम गुणवान..
उमा, रमा, शारदा लगें
रस-निधि कोई नहीं अनजान..
पंछी बनकर कर कलरव
छेड़ रस भरी मीठी तान..
'सलिल' रस कलश है जीवन
सुख देकर बन जा इंसान..
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अरे वाह!! सब प्यारे प्यारे बच्चे एक जगह इक्कठे हुए हैं. मजा आ गया.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर!! आनन्ददायी.
आपकी चर्चा की शैली देख कर चमत्कृत और प्रभावित हुआ। कृपया बधाई स्वीकारें। एक संग्रहणीय मुस्कान चर्चा!!
जवाब देंहटाएंमुझे तो बंदर की मुस्कान सबसे प्यारी लगीं!
जवाब देंहटाएंअरे वाह!
जवाब देंहटाएंबंदर भी मुस्कराता है!
कितना क्यूट लग रहा!
चर्चा के लिए धन्यवाद ,वैसे आपकी मुस्कान भी किसी से कम नहीं .
जवाब देंहटाएं