"चर्चा मंच" अंक-81 चर्चाकारः डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक" आइए आज का "चर्चा मंच" सजाते हैं- निवेदन यह है कि यदि आप पल-पल! हर पल!!http://palpalhalchal.feedcluster.com/ में अपना ब्लॉग शामिल कर लेंगे तो मुझे चर्चा मंच में आपका लिंक उठाने में सरलता होगी। मित्रों! लगातार 5 दिन तक बाहर रहा। इस अवधि में "चर्चा मंच" सजाने की जिम्मेदारी मंच के योगदानकर्ता श्री ललित शर्मा जी ने स्वीकार की थी- ७:०९ AM मुझे: 5-6-7 मार्च को बाहर जा रहा हूँ! ७:१० AM shilpkarr: जी मुझे: आप चर्चा मंच की बागडोर अपने हाथ में रखेंगे तो नियमितता बरकरार रहेगी! shilpkarr: ठीक है कर देंगे मुझे: आपका आभार! शायद उनको भी कोई आवश्यक कार्य आड़े आ गया होगा। इसलिए मैं स्वयं ही 5 दिन बाद वापिस लौटकर "चर्चा मंच" लेकर आपके सामने हाजिर हूँ! बगीची हिन्दी और महिला की स्थिति एक समान है क्या - महिला दिवस पर चिंतन (अविनाश वाचस्पति) - इस चिंतन को यहीं पर आपके लिए छोड़ रहा हूं क्योंकि आज बहुत सारे लेख, कविताएं इत्यादि इसी विषय पर ही होंगे और मैं यह नहीं चाहता कि आप अधिक समय यहां पर लग.. |
उड़न तश्तरी .... यूँ बीत गया समय... - इधर मैं कुछ लिख नहीं रहा हूँ. *बिल्कुल चुप!* मैं तब भी चुप था, जब उसकी शादी होना तय हुआ था. उस रात चाँद खामोश था और मैं अपनी छत से कूद उसके छतरी वाले क.. | ताऊ डॉट इन ताऊ पहेली - 64 : विजेता : श्री दिनेशराय द्विवेदी - प्रिय भाईयो और बहणों, भतीजों और भतीजियों आप सबको घणी रामराम ! सभी को महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं. "मां काली कलकत्ते वाली" सबका कल्याण करें. हम आपकी से... |
गत्यात्मक ज्योतिष मदद करने वाले हाथ प्रार्थना करने वाले होंठो से अच्छे होते हैं .. आप 1098 (केवल भारत में )पर फ़ोन करें !! - रोजाना जो खाना खाते हो वो पसंद नहीं आता ? उकता गये ? ............ ... ........... .....थोड़ा पिज्जा कैसा रहेगा ? नहीं ??? ओके ......... पास्ता ? नहीं ??.. | मसि-कागद जो बिकाऊ नहीं उसे भारत रत्न नहीं मिलेगा क्या??------>>>दीपक 'मशाल' - जैसा कि दुनिया की आदत है हर बात पर दो खेमों में बँट जाने की और अपने खेमे को ही सच्चा-सच्चा चिल्लाने की, उसी आदत के चलते आजकल एक मांग जोर पकडती जा रही है और... |
saMVAdGhar संवादघर हमारी क़िताबों में हमारी औरतें - ~~~~कविता~~~~ औरतें खुश हो जाएं आखिर हमने ढूंढ ही निकाला पवित्र क़िताब की पृष्ठ-संख्या इतने के उतनेंवें श्लोक में लिखा है औरतों को दिए जाने चाहिए अधिकार और.. | Fulbagiya गोरी गोरी कोयल - ** ** * कोयल ने जब शीशा देखा हो गई वह तो बहुत उदास गोरी मैं कैसे बन जाऊं सोच के पहुंची वैद के पास। भालू वैद ने कूट पीस कर दे दी ढेरों क्रीम दवायें फ़ीस दवा .. |
दिनेश दधीचि - बर्फ़ के ख़िलाफ़ नुक्कड़ वाली तुलसी बाई - अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर एक बाल-कविता पैंट कमीज़ें और साड़ियाँ ले जाती है तुलसी बाई कपडे सभी इस्तरी करके लौटाती है तुलसी बाई . छोटा कद है, रंग साँवला म... | ज़िन्दगी टूटे टुकड़े - १) सुनो कुछ ख्वाब बोये थे तुम्हारे साथ जीने के बंजर ज़मीन में २) वेदनाओं के ताबूत में आखिरी कील जो लगायी तुमने रूह को सुकून आ गया ३) तेरी चाहत की बैस... |
झा जी कहिन कुछ नई रेलों की नई पटरियां (ब्लोग लिंक्स , दो लाईना , और क्या ) - आज बहुत दिनों बाद फ़िर पटरियां बिछाने का मन हुआ , मगर जब स्टेशन पर पहुंचा तो सोचा कि , सभी सुपर फ़ास्ट, शताब्दी , राजधानी, गरीब रथ , दोरांतो तो धडाधड दौडी ... | नन्हे पंख गाय ने कन्याओं को जन्म दिया तो पूजा करने जुटे लोग - गाय ने दो कन्याओं को जन्म दिया तो लोगों का हुजूम उन कन्याओं की पूजा करने के लिए सेक्टर 45, चेडीगढ़ के नगर निगम गौशाले में इक_ा हो गया। गौशाले के मालिक ने .. |
Kala Jagat मकबूल का यूं चले जाना - मुझे पता है कि यह हेडिंग अखबारों में आम तौर पर कब लगाई जाती है। मैं कलाकार हूं और किसी अन्य कलाकार के लिए इस तरह की बात करना भी नहीं चाहूंगी। चाहती हूं कि .. | आरंभ Aarambha क्रिकेट नेता एक्टर हर महफिल की शान, दाढ़ी, टोपी बन गया गालिब का दीवान : निदा फ़ाज़ली - पिछले दिनो एक मुशायरे मे भाग लेने के लिये देश के प्रख्यात गज़लकार निदा फ़ाज़ली जी भिलाई आये थे. उनके इस प्रवास का लाभ उठाने नगर के पत्रकार और उत्सुको की टो... |
अविनाश वाचस्पति शब्द झड़ आता है (अविनाश वाचस्पति) - पतझड़ न बदले रूप कभी ऐसा कि बन जाये शब्दझड़ गर झड़ें भी शब्द तो यूं ही न झड़ें भावों की चाशनी में पगे हों उपमाएं, प्रतीक उनमें रले मिले हों झड़ना शब्दों क... | *होशोहवास/HOSHOHAWAS* स्त्री सशक्तिकरण नहीँ, पुरुष सशक्तिकरण की जरुरत - स्त्री सशक्त है ही क्योँकि वह सीधी, सरल और सच्ची है। पुरुष कमज़ोर है इसलिए वह स्त्री पर हिँसा का प्रदर्शन करता है। |
कर्मनाशा वह अब भी पत्थर तोड़ रही है - *आज पुरानी डायरी से अपनी एक पुरानी कविता ...* वह अब भी इलाहाबाद के पथ पर पत्थर तोड़ रही है। और अब भी ढेर सारे निराला उस पर कविता लिख रहे हैं। अब भी नहीं . | नीरज किताबों की दुनिया - 25 - मित्रो आज जिस किताब का जिक्र करने का मन है उसे चुनने के पीछे दो कारण हैं. पहला तो ये के अब तक की पुस्तक चर्चा में हमने सिर्फ और सिर्फ शायरों की किताबों की .. |
शब्द-शिखर अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस का शतक - अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की शुरूआत 1900 के आरंभ में हुई थी। वर्ष 1908 में न्यूयार्क की एक कपड़ा मिल में काम करने वाली करीब 15 हजार महिलाओं ने काम के घ.. | इयत्ता मीनाक्षी के बाद - मीनाक्षी के बाद मंदिर से निकलते-निकलते अंधेरा हो चुका था । विद्युत प्रकाश में नहाया हुआ मीनाक्षी सुन्दरेश्वर मंदिर प्रांगण के बाहर से और भी मनमोहक लग रहा था.. | कुमाउँनी चेली महिला दिवस पर ...कुछ पुरानी, कुछ नई ,कुछ - महिला दिवस पर ......साथियों महिला दिवस पर सभी महिलाओं को मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ ... एक बार फिर पुरानी डायरी से कुछ पन्नों को निकाल लाई हूँ ... रोना ..... |
Dr. Smt. ajit gupta संस्मरण – चुड़ैल समझकर लड़के डर गए - रात गहराती जा रही थी। सड़क कब से सुनसान पड़ी थी। एक पीपल का पेड़ था जो बड़े से एक चबूतरे से मढ़ा था। उस चबूतरे पर हम तीन महिलाएं, अपनी ही दुनिया में मस्त बस हँ.. | वीर बहुटी कविता--व्यंग महिला दिवस - दो दिन दिल्ली गयी थी इस लिये किसी ब्लाग पर नही आ सकी और न ही कुछ नया लिख सकी। फिर भी महिला दिवस हो तो सोचा कुछ तो लिखना ही चाहिये। इस लिये एक पुरानी कविता .. | GULDASTE - E - SHAYARI - देखे किधर, हम किसको बुलाए, कितने अकेले देखो, हम हो गए, बैठे तन्हा, बार बार ये सोचे, प्यार करने की भूल हम क्यूँ किए ! |
कुछ इधर की, कुछ उधर की महिला सशक्तिकरण और महिला आरक्षण..अब पुरूषों का रूख इनके मार्ग में बाधा पहुँचाने का नहीं वरन् उदारतापूर्ण सहयोग देने का ही होगा -महिला जागरण! महिला सशक्तिकरण----जिसके लिए चिरकाल से छिटपुट प्रयत्न होते रहे हैं। न्यायशीलता सदा से यह प्रतिपादन करती रही है कि "नर और नारी एक समान" का तथ्य... | अंधड़ ! आतंक की हद ! - आज अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस पर मैं कुछ भी बोलने लायक नहीं हूँ, क्योंकि जो मैंने आज यहाँ अपने ब्लॉग पर लोगो के लिए बोलना था वह मेरी धर्म-पत्नी सुबह-सुबह मेर.. | उच्चारण “व्यापार हो गये हैं” - *सम्बन्ध आज सारे, व्यापार हो गये हैं। अनुबन्ध आज सारे, बाजार हो गये हैं।।* * न वो प्यार चाहता है, न दुलार चाहता है, जीवित पिता से पुत्र, अब अधिकार चाहता ... |
my own creation नमन करता हूँ-महिला दिवस पर कुछ ख़ास! - तस्वीर वतन की जिस में है, कोई और नहीं वो औरत है, माँ की परछाई जिस में है, कोई और नहीं वो औरत है, ममता का सागर नैनों में, कोई और नहीं वो औरत है, लज्जा सर्वप्र.. | आदित्य (Aaditya) नया स्टंट - ये तस्वीरें मेरे नये स्टंट की... इस स्टंट के बाद झूले पर थोड़ी सख्ती हो गई है... *नये वाक्य* कल शाम बाबा के साथ बाजार जा रहा था.. बाबा ने पूछा.. "आदि ... | Gyanvan i पुरुष ब्लोगर ...महिला ब्लोगर ...सिर्फ ब्लोगर क्यों नहीं ...? - आप बहुत अच्छा लिखते/लिखती हैं .... मैं आपकी पोस्ट कई बार पढता/पढ़ती हूँ ..... आपकी सारगर्भित टिप्पणी और विवेचना और बेहतर लिखने को प्रोत्साहित करती है ....... |
' हया ' महिला दिवस पर मेरी एक गुज़ारिश - *मेरी तमन्ना है की हर हिन्दुस्तानी इस पोस्टर को पढ़े और इसे अमल में लाये* साफ़ साफ़ पढने के लिए: आप मेहरबानी करके इस पोस्टर पर क्लिक करें और जितने लोगों .. | अंतर्मंथन ऐसी होती है नारी --- - आज महिला दिवस के अवसर पर , एक छोटी सी रचना , नारी के विभिन्न रूपों को समर्पित : मात पिता को पुत्री बेटा बन कर संभालती सेवाभाव में न हारी , ऐसी होती है नारी.. |
Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून कार्टून:- NGO के डंडे, झंडे और फंडे... | हिंदी का शृंगार मधु वधू या मधू वधु - आज बस इतना ही करना है - नीचे लिखे दो शब्दों में से एक सही शब्द चुनकर उसके बारे में कुछ बताना है - पहला शब्द : मधू दूसरा शब्द : वधु नन्हें सुमन ‘‘पतंग का खेल’’ ** * ** * *लाल और काले **रंग वाली, * *मेरी पतंग बड़ी मतवाली।* *मैं जब विद्यालय से आता,* *खाना खा झट छत पर जाता।* *** * *पतंग उड़ाना मुझको भाता, * *बड़े चाव से प.. bhartimayank "रविवासरीय साप्ताहिक पहेली-23" (अमर भारती) - * रविवासरीय साप्ताहिक पहेली-23 में * आपको पहचान कर निम्न चित्र का नाम और स्थान बताना है। *उत्तर देने का समय 10 मा... |
मेरी चुप्पी रहेगी तुम्हारा जवाब ...
थे अपने मेरे कल सुनो बेहिसाब
आज खड़ी मैं अकेली बताइये जनाब
हम नज़र में किसी के थे माहताब,
लगा डूबने क़िस्मत का आफ़ताब……
कल से प्रातः और सायंदोनों समय"चर्चा मंच"सजाने काप्रयास करूँगा!
क्या मुक्ति का मार्ग बताएगा....
भक्ति का जो व्यापार करे ??
पोंगा पंडित बीन बजाते
अंधों की टोली नाच रही
अधर्मी धर्म का पाठ पढ़ाते
वाहजी.. ये भी क्या बात रही
भोग विलास न खुद ने छोड़ा
और त्याग का राग आलाप रहा
और त्याग का राग आलाप रहा
कामनाओं के वश में भान नहीं
क्या पुण्य हुआ क्या पाप रहा
माया के जाल में फंसा हुआ खुद
क्या मोह तुम्हे छुड़वाएगा....
आज की चर्चा कोयहीं पर देता हूँ विराम!राम-राम!!
bahut hi gazab ki charcha ki hai shastri ji.........aabhar.
जवाब देंहटाएंहम तों इन्तजार में बैठे थे कि कब शास्त्री जी आयें और कब चर्चा बाँचने को मिले......
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढिया चर्चा......
बहुत बढ़िया चर्चा ... महिला शक्ति को प्रणाम
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच का सूनापन समाप्त हुआ!
जवाब देंहटाएंपुन: सुंदर चर्चा देखकर प्रसन्नता हुई!
स्वागत और बधाई!
शास्त्री जी,
जवाब देंहटाएंजब आपसे चर्चा हुयी उसी के बाद हमारे
कंप्यूटर की हार्ड डिस्क तबाह हो गई, फिर मदरबोर्ड में भी समस्या आ गई,
हमारा नया कम्प्यूटर बनने में समय लग गया, इस लिए हम चर्चा नहीं कर पाए.
अब कल हमारा सिस्टम सही होगा तो हमारी पोस्ट भी लगेगी और चर्चा भी होगी.
शुक्रिया
चलिए देर आए दुरूस्त आए .. अच्छी लगी चर्चा !!
जवाब देंहटाएंललित जी!
जवाब देंहटाएंमैंने तो चर्चा में पहले ही आशंका व्यक्त कर दी है कि "शायद उनको (ललित जी) भी कोई आवश्यक कार्य आड़े आ गया होगा।
बहुत बेहतरीन चर्चा की है आपने!
जवाब देंहटाएंचलिए चर्चा मंच का सूनापन समाप्त तो हुआ!
जवाब देंहटाएंWAH..WAH..
जवाब देंहटाएंBAHUT BADHIYA LINK MIL GAYE.
charcha achhi rahi.
जवाब देंहटाएंkafi link mile padhane ke liye.
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