"चर्चा मंच" अंक-92 चर्चाकारः डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक" आइए आज का "चर्चा मंच" सजाते हैं- |
Dr. Smt. ajit gupta हमारे लेखन का भविष्य? - हम रोज ही कितना कुछ लिखते हैं। अपने लिखे को लेकर झगड़ा भी करते हैं। कभी कोई हमारे साहित्य की चोरी कर लेता है तो हम उसे धमकाते भी हैं। कभी कोई कागज उड़कर इधर... |
उड़न तश्तरी ....![]() शब्दचित्र कलाकृति हैं.. - कहते हैं शब्दचित्र कलाकृति हैं, हृदय में उठते भावों के रंग से कलम की कूचि से कागज पर चित्रित. कवि, शब्दों को चुनता है, सजाता है, संवारता है और उन्हें एक... |
ताऊ डॉट इन "रिश्ते" - “रिश्ते” रिश्तों के ये बंधन क्या एक नाजुक डोर जैसे होते हैं जो हल्की सी तकरार की आंधी में चरमरा कर टूट जाए या फिर सूखे पत्तों की तरह एक हवा के झौंके संग बह निकलें. कभी सोचता हूं रिश्ते क्या ताश का महल होते हैं? जो एक कम्पन भर में बिखर जाये या फिर इतने कमजोर की रेत के बने घरोंदे की तरह बरखा की चंद बूंदों में ढह जाये पता नही ये रिश्ते क्या होते हैं? आभार : सुश्री सीमा गुप्ता Labels: poem |
काव्य मंजूषा![]() इतना तन्हाँ है, कितना तन्हाँ होगा... - अब और इस दिल का क्या होगा इतना तन्हाँ है, कितना तन्हाँ होगा सारे के सारे अक्स मुझे फ़रेब लगे कोई चेहरा तो कहीं सच्चा होगा मुझे सच का आईना दिखाने वाले ... |
देशनामा![]() दम ले ले घड़ी भर, ये आराम पाएगा कहां...खुशदीप - समुद्र किनारे मछुआरों के सुंदर से गांव में एक नौका खड़ी है... एक सैलानी वहां पहुंचता है और मछुआरों की मछली की क्वालिटी की बड़ी तारीफ़ करता है... सैलानी ... |
मिसफिट:सीधीबात![]() '' कुपोषण कोई बीमारी नहीं, बल्कि बीमारियों को भेजा जा रहा निमंत्रण पत्र है - |
कर्मनाशा![]() हिन्दी , भूमंडलीकरण ,अनुवाद , कविता ,ब्लागिंग और उर्फ़ मेरठ विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय सेमीनार की याद - *पिछले माह की १२ - १४ तारीख को चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग द्वारा 'भूमंडलीकरण और हिन्दी' विषयपर आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमीनार सफ.. |
मुसाफिर हूँ यारों रॉक गार्डन, चण्डीगढ - चण्डीगढ जाना तो कई बार हुआ; शिमला गया, तो चण्डीगढ; धर्मशाला गया, तो चण्डीगढ; सोलन गया, तो चण्डीगढ; एकाध बार ऐसे-वैसे भी चला गया था। लेकिन चण्डीगढ ही नहीं द... |
अविनाश वाचस्पति![]() नोटों के हार की निराली माया (अविनाश वाचस्पति) - नोटों के हार की निराली माया नोट सदा से करामाती रहे हैं। ये नोट ही हैं जिनसे करारी मात दी जा सकती है। आज नोट चर्चा में हैं। वैसे शायद ही कोई पल रहा होगा जब ... |
ज़िंदगी के मेले![]() जिसके बिना इक पल चैन नहीं, उसे मैं बधाई देना भूल गया! - एक अनोखा जनमदिन बीत गया 15 मार्च को। यह* पोस्ट लिखी पड़ी थी पूरी की पूरी, बस ध्यान ही नहीं रहा प्रकाशित करने का।* अब इसे ज्यों का त्यों पब्लिश कर रहा हूँ। ... |
भारतीय नागरिक - Indian Citizen![]() क्या हमारे देश को भी ऐसा ही देखना चाहते हैं राजनीतिबाज.? - इन चित्रों को देखिये. यह एक अफ्रीकी देश के चित्र हैं, जिसकी जनसंख्या के अनुपात में खाद्यान्न उपलब्ध नहीं है. लोग बहुत गरीब हैं. धरती भी बंजर हो चुकी... |
कुछ इधर की, कुछ उधर की![]() बडे बडे फन्ने खाँ ब्लागर यहाँ एक कौडी में तीन के भाव बिक रहे हैं-- (आह्वान) - *प्रभो!* आओ, आओ.....हम इस समय तुम्हे बडे दीन होकर पुकार रहे हैं। तुम तो दीनों की बहुत सुनते थे। सुनते क्या थे, तुम तो दीनों के लिए थे ही। क्या हमारी न सुन... |
Albelakhatri.com![]() गुलाबी नगर में ठंडा डोसा खा कर एकान्त अभिलाषी गर्म जोड़े के लिए खलनायक बने आशीष खंडेलवाल और मैं - कल महामना आशीष खण्डेलवालजी से संक्षिप्त परन्तु सार्थक और सुमधुर मुलाकात हुई । मौके तो पहले भी बहुत आये थे मगर कभी ये संयोग हो न पाया, कल चूँकि मैंने उन्हें... |
नन्हें सुमन![]() ‘‘मेरा बस्ता कितना भारी’’ - *मेरा बस्ता कितना भारी।* *बोझ उठाना है लाचारी।।* * * *मेरा तो नन्हा सा मन है।* *छोटी बुद्धि दुर्बल तन है।।* * * *पढ़नी पड़ती सारी पुस्तक।* *थक जाता है मेरा... |
लड्डू बोलता है ....इंजीनियर के दिल से..... मायावती की माला, आधी बिल्ली और इंजीनियर--.........व्यंग्य - *मायावती** **की** **माला**, **आधी** **बिल्ली** **और** **इंजीनियर* डेढ़ बिल्ली.... डेढ़ चूहे..... डेढ़ दिन.... में खाती है तो पांच बिल्ली पांच चूहे कितने दि... | अंधड़ ! मुस्लिम बुद्धिजीवियों से सिर्फ एक सवाल ! - नोट: फिलहाल टिप्पणी सुविधा मौजूद है! मुझे किसी धर्म विशेष पर उंगली उठाने का शौक तो नहीं था, मगर क्या करे, इन्होने उकसा दिया और मजबूर कर दिया ! हमारे मुस्लि... |
युवा दखल दुनिया रोज़ बदलती है! - ;qok laokn] Xokfy;j *;qok laokn dk jkT; lEesyu dy ls* Xokfy;j 18 ekpZA युवा संवाद का *तीसरा राज्य सम्मेल*न 20 मार्च से आयोजित किया जाएगा। रेसकोर्स रो... | उच्चारण “ होली के हुड़दंग में:मदन विरक्त” - *होली के हुड़दंग में घोटी गई भंग में पीकर जब नाचता है भ्रष्ट आदमी तब लगता है बन गया हो बाप अपने बाप का उससमय आती है याद परदेशी समाज की चोरी-छिपे राज... |
मुझे शिकायत हे. Mujhe Sikayaat Hay. बहुत दिन हो गये अन्ताक्षरी खेले हुये - बहुत दिन हो गये हैं ना अन्ताक्षरी खेले हुये, तो आईये आज फिर से खेलते हैं। आप क्यो नही आते अन्ताक्षरी खेलने, एक बार आओ फ़िर देखे केसे आप बचपन मै लोट जाते है... | गीत सुनहरे शहीद - ए - आजम भगत सिंह - 6 - शहीद - ए - आजम भगत सिंह - 6 नियति ने की थी घड़ी जो नियत, कण कण जिसके लिये था सतत . निशि दिन देखते कब से राह, अरुण उदय होता नित ले चाह . चंद्र किरण फिर, लगे ... |
chavanni chap (चवन्नी चैप) शीर्षक में सेक्स लिखने का साहस - -अजय ब्रह्मात्मज हिंदी फिल्मों में सेक्स की चर्चा बार-बार होती रहती है, लेकिन सेक्स का तात्पर्य सिर्फ उत्तेजक, कामुक, मादक और वासनात्मक दृश्यों से रहा है... | मुसाफिर हूँ यारों रॉक गार्डन, चण्डीगढ - चण्डीगढ जाना तो कई बार हुआ; शिमला गया, तो चण्डीगढ; धर्मशाला गया, तो चण्डीगढ; सोलन गया, तो चण्डीगढ; एकाध बार ऐसे-वैसे भी चला गया था। लेकिन चण्डीगढ ही नहीं द... |
मानवीय सरोकार विज्ञान और ज्योतिषशास्त्र - -डॉ० डंडा लखनवी आजकल अनेक टी०वी० चैनल पर ज्योतिषशास्त्र से जुडे़ कार्यक्रम प्रमुखता से प्रसारित हो रहे हैं। प्राय: ऐसा टी०आर०पी०... | शब्दों का सफर तूफान, बंवडर और चक्रवात - [image: Sea-Spray] *तू** फान* हिन्दी का आम शब्द है। तेज हवा या *चक्रवात* के लिए इसका इस्तेमाल होता है। पारिभाषिक रूप में समुद्री सतह पर तेज बारिश के साथ चल.. |
हिन्दी साहित्य संगम जबलपुर हिन्दी साहित्य संगम जबलपुर के आयोजन में वरिष्ठ साहित्यकारों, चित्रकारों और संगीतज्ञों की बहुआयामी गोष्ठी ( भाग- दो ) - *हमने शनिवार, २७ फरवरी २०१० की पोस्ट " हिन्दी साहित्य संगम जबलपुर के आयोजन में वरिष्ठ साहित्यकारों, चित्रकारों और संगीतज्ञों की बहुआयामी गोष्ठी (भाग- एक) "... | saMVAdGhar संवादघर![]() पुरस्कार का बहिष्कार और अखिल-भारतीय अरण्य-रोदन - गधा ऐसे सम्मेलन में कोई पहली बार नहीं आया था। जब भी वह मानवता, ईमानदारी प्रेम वगैरह जैसी दकियानूसी, पुरातनपन्थी, आउट आॅफ डेट, आउट आॅफ फैशन हो चुकीं बातों क... |
खामियों से लथपथ मैं लोकतंत्र हूँ---->>>दीपक 'मशाल' Mar 18, 2010 | Author: दीपक 'मशाल' | Source: मसि-कागद 1- मैं अबोला एक भूला सा वेदमंत्र हूँ, खामियों से लथपथ मैं लोकतंत्र हूँ. तंत्र हूँ, स्वतंत्र हूँ द्रष्टि में मगर ओझल मैं आत्मा से परतंत्र हूँ. कहने को बढ़ रहा हूँ मैं. पर जड़ों में न झांकिये वहां से सड़ रहा हूँ मैं. लोक को धकेलता परलोक की मैं राह में, कुछ मुसीबतों की आँख में गड़ रहा हूँ मैं. हूँ तो मैं कुँवर कोई सलोना एक चाँद सा, पर ग्रहणों की छाया से पिछड़ रहा हूँ मैं. मैं अश्व हूँ महाबली, पर सामने नदी चढ़ी भ्रष्टों की खेप की, झूठ की फरेब की, जो घुड़सवार मेरा है उसको फिक .. | एक नयी शुरुआत ...... Mar 18, 2010 | Author: देवेश प्रताप | Source: विचारों का दर्पण आज ''विचारों का दर्पण '' के सदस्यों द्वारा .....एक नए ब्लॉग की शुरुआत की जा रही है http://manoranjankadarpan.blogspot.com/ इस ब्लॉग पर चर्चा होगी मनोरंजन से जुड़े सभी पहलूओं की .......आप सब के आशीर्वाद की ज़ुरूरत है ..........बहुत बहुत धन्यवाद “पं. नारायणदत्त तिवारी के साथ एक शाम”** * पिछले सप्ताह अमृतसर पंजाब में 6-7 मार्च को प्रजापति संघ का एक बड़ा कार्यक्रम था। उसमें मुझे भी भाग लेने के लिए जाना था। मे... |
टैक्स बचाना है तो अभी भी है वक्त Mar 17, 2010 | Author: Incredible Inspirations Finvest Pvt. Ltd. | Source: Incredible Inspirations इनकम टैक्स बचाने के लिए अगर आपने अभी तक इनवेस्टमेंट नहीं किया है, तो जागिए। अब जरा-सी लापरवाही आपकी जेब में सुराख कर सकती है| जिन लोगों ने इनवेस्टमेंट से जुड़े दस्तावेज समय रहते ऑफिस में जमा नहीं कराए हैं, वे टीडीएस कटा ही रहे होंगे। ऐसे लोगों ने अगर 31 मार्च तक टैक्स सेविंग इंस्ट्रूमेंट्स में इनवेस्ट नहीं किया, तो कट चुके टीडीएस का रिफंड भी नहीं पा सकेंगे। ऐसे में सब काम छोड़कर पहले इनवेस्टमेंट के मोर्चे पर भिड़ जाइए। टैक्स बचाऊ इनवेस्टमेंट के कुछ तरीके | यार तुम सोचते बहुत हो? Mar 18, 2010 | Author: RAJNISH PARIHAR | Source: ये दुनिया है.... आजकल ये हमारे यहाँ खूब चल रहा है!आप कोई भी बात करो अगला यही कहता है!अब मामला चाहे आंतकवादियों का हो या आई पी एल का ..जवाब तैयार है!मैंने कहा आंतकवादियों को पाकिस्तान रोक नहीं रहा,आई पी एल में खिलाडी घायल होते रहे तो वर्ल्ड कप में क्या होगा?बस इतने में तो आ गया जवाब..यार तुम सोचते बहुत हो? अरे मैं नहीं सोचूं ,तुम नहीं सोचो ..तो फिर कौन सोचेगा? नेता तो पहले से ही कुछ नहीं सोचते...सरकार सोचने क़ि इस्थिति में ही नहीं है!विपक्ष सरकार गिराने के अलावा कुछ नहीं सोचता!तो फिर इस देश का क्या होगा? |
हरि शर्मा - नगरी-नगरी द्वारे-द्वारे: आओ ना मितवा अभी मन है प्यासा Mar 18, 2010 | Author: HARI SHARMA | Source: हरि शर्मा - नगरी-नगरी द्वारे-द्वारे हरि शर्मा - नगरी-नगरी द्वारे-द्वारे: आओ ना मितवा अभी मन है प्यासा | ३०- आँगन में बासंती धूप : अजय गुप्त Mar 17, 2010 | Author: नवगीत की पाठशाला में हम सीखेंगे | Source: नवगीत की पाठशाला शिखरों से घाटी तक सोना सा बिखर गया, आँगन में बासंती धूप उतर आई है |
कार्टून : अब पता चलेगा बाबा रामदेव को . ![]() बामुलाहिजा >> Cartoon by Kirtish Bhatt | यह कैसी प्रतीक्षा.. Mar 17, 2010 | Author: RaniVishal | Source: Hindi kavya sangrah पल पल अविरल निर्बाध सदा भावो में बहता रहता है पग पग पर हर दम मखमल सा राहों में साथ वो रहता है कण कण में पृथ्वी के जिसका अस्तित्व समाहित है तृण तृण के मूल में छुपा हुआ उसका सन्देश कुछ कहता है कस्तूरी से मृग का ज्यूँ ऐसा अपना भी नाता है गिर गिर कर फिर उठजाने का जो हमको पाठ पढ़ाता है कौन ठौड़ मिल पाऊ उसे कोई दे यह शिक्षा खुद से खुद के मिलजाने की यह कैसी प्रतीक्षा कहो कैसी प्रतीक्षा ....!! हो गई आज की चर्चा पूरी! शेष कल……..! नमस्ते जी! |
बेहतरीन चर्चा के लिए आभार , शास्त्री जी
ReplyDeletenice
ReplyDeleteबहुत बढ़िया चर्चा रही शास्त्री जी..
ReplyDeleteआपका आभार..
हमेशा की तरह बढ़िया चर्चा....शुक्रिया
ReplyDeleteबढ़िया चर्चा सर . कुल मिलाकर फिर भी कहूंगा इन सबके बावजूद हिंदी का भविष्य उज्जवल है ...आभार
ReplyDeleteवाह! एकदम फैन्टास्टिक चर्चा शास्त्री जी........
ReplyDeleteआभार्!
बहुत बढ़िया चर्चा
ReplyDeleteआज की इस चर्चा से
ReplyDeleteकई महत्त्वपूर्ण रचनाएँ पढ़ने को मिलीं!
यथा -
हमारे लेखन का भविष्य!
बढ़िया चर्चा रही..आपका आभार!!
ReplyDeleteआपने मेरी पोस्ट को विषय बनाया इसके लिए आभारी हूँ। चर्चा करते समय यदि आप कुछ पंक्तियों में आमुख भी लिखें तो सोने में सुहागा हो जाएगा। वैसे आपके परिश्रम को नमन करती हूँ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर चर्चा.
ReplyDeleteरामराम.
बहुत ही विस्तृत चर्चा…………………॥आभार्।
ReplyDeleteOTP in Hindi
ReplyDeleteMS-DOS in Hindi
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