"चर्चा मंच" अंक-79
चर्चाकारः डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"
आइए आज का "चर्चा मंच" सजाते हैं-
सभी ब्लॉगर्स को “होली की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!”
निवेदन यह है कि यदि आप
पल-पल! हर पल!! http://palpalhalchal.feedcluster.com/
में अपना ब्लॉग शमिल कर लेंगे तो
मुझे चर्चा मंच में आपका लिंक उठाने में सरलता होगी।
होली तो हो ली मगर इस बार की होली में ताऊ ने न जाने कितने ब्लॉगर्स के लिंग परिवर्तित कर दिये!
सबसे पहले देखिए कनाडा के समीर लाल जी की पोस्ट!
इनके सुन्दर गीत को अपना मधुर स्वर दिया है
“अदा” जी ने-
गीला रंग मोहे लगाई दो!!
Author: Udan Tashtari | Source: उड़न तश्तरी ....
पिछले साल होली पर यह गीत लिखा था किन्तु इस साल अदा जी की आवाज और संतोष जी की म्यूजिक नें इस गीत में चार चाँद लगा दिये. बिना किसी की भूमिका के आप आनन्द उठायें.
| ताऊ पहेली - 63 : होलीनुमा जवाब मे श्री प्रकाश गोविंद विजेता
Author: ताऊ रामपुरिया | Source: ताऊ डॉट इन
हैल्लो एवरीवन...हाऊ आर यू? कोई बात नही जी, आप जैसे भी होंगे आज तो भंग-भवानी के नशे में अंटाचित ही होंगे...जैसे मैं हूं...असल में ताऊ का हीरामन जिम कार्बेट पार्क की सैर को निकल गया, होली की छुट्टियों में, तो ताऊ पहेली - 63 के रिजल्ट की जिम्मेदारी मुझे दी गई है...आप पूछेंगे की संतू जी...ताऊ पहेली ...
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“एक पुराना गीत” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)
| Author: डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक | Source: उच्चारण
"दिल किसी काम में नही लगता, याद जब से तुम्हारी आयी है।
|
Veer Bahuti
सच्ची साधना{आखिरी किश्त } pपिछली किश्तों मे आपने पढा कि शिव दास कैसे साधू बना और उसे फिर भी सँतुष्टी नही मिली तो वापिस अपने गाँव लौटा। जहाँ उसे राम किशन { अपने बचपन के दोस्त} का जीवन और लोक सेवा देख कर उसे कैसे बोध हुया कि सच्ची साधना वो नही जो वो कर रहा
Veer Bahuti
निर्मला कपिला |
देश की अखंडता के सामने ना ही किसी धर्म का कोई मोल है ना ही मज़हब का ..देश और देशवासियों की सुरक्षा से पहले कुछ भी नहीं आना चाहिए ...फिर चाहे वो हुसैन हों या फिर शाहरुख़ या फिर बाल ठाकरे ....जब किसी की बात या अभिव्यक्ति देश के तंतुओं को तार-तार करने लगे तो वह व्यक्ति निश्चित तौर पर धिक्कार का पात्र है...मकबूल फ़िदा हुसैन एक ऐसा ही नाम है ...
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'ओ पालनहारे निरगुन और न्यारे ,
तुम्हारे बिन हमरा कौनु नाहीं,
हमरी उलझन सुलझाओ भगवान,
तुम्हारे बिन हमरा कौनु नाहीं....
गुनगुनाती धूप..
अल्पना वर्मा

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आओ सीखें हिंदी
फागुन आया - फागुन आया, फागुन आया, आओ मिल सब खेलें होली। रंग लगाएं, धूम मचाएं, हम बच्चों की है ये टोली। हर घर में और हर गली में, हम बच्चों के दंगे होंगे। ढोल बजेंगे ... | Rhythm of words...
नासमझी - जब दूर बहुत दूर तुम अपने ही ख़्वाबों में मशगूल थे मेरे ख्वाब तुम्हारे न होने को दे रहे तूल थे ॥ उलझ रहे थे बेवजह ही मेरी अपनी तन्हाई से खुश नहीं थे वो शायद ... |
ललितडॉटकॉम
ब्लागवाणी से एक प्रश्न-------यह क्यों हो रहा है?--------(ललित शर्मा) - *ब्लाग वाणी* पर एक चमत्कार हो रहा है और मेरी समझ में नहीं आ रहा कि क्यों और कैसे हो रहा है? *२५/०२/२०१० को रात ९ बजे करीब मैंने ब्लाग वाणी खोली तो उस पर अ...
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देखो फिर से वसंती हवा आ गयी।
तान कोयल की कानों में यूँ छा गयी।
कामिनी मिल खोजेंगे रंगीनियाँ।।
इस कदर डूबी क्यों बाहरी रंग में।
रंग फागुन का गहरा पिया संग मे।
हो छटा फागुनी और घटा जुल्फ की,
है मिलन की तड़प मेरे अंग अंग में।
दामिनी कुछ कर देंगे नादानियाँ।।
…..
|
प्रकाश गोविन्द
'घर' एक वास्तु मात्र न होकर भावसूचक संज्ञा भी है ! घर से अधिक सजीव एवं घर से अधिक निर्जीव भला क्या हो सकता है ! अनगिनत भावनाओं और प्रतीकों का मिला-जुला रूप है घर !
"कमरा नंबर एक / जहाँ दो-दो सड़कों के दुःशासनी हाथ / उसकी दीवारें उतार लेने को / लपके ही रहते हैं / / कमरा नंबर दो / जहाँ खिड़की से आसमान दिखता है / धुप भी आती है / कमरा नंबर तीन जो आँगन में खुलता है / जिसका दरवाजा पूरे घर को / रौशनी की बाढ़ में तैरा सकता है !! मगर अफसोस कि / रौशनी के साथ-साथ / पडोसी घरों का धुआं भी / भीतर भर आता है "…. |
जब से इस बेकार से शहर में आकर बस जाने टाईप की मजबूरी हो गई तभी से सारे त्यौहारों के मायने ही बदल गए हैं ,न मुई ये होली रंगीन लगती है न ही दिवाली की चमक बरकरार है । कहने को तो सब कुछ हो ही रहा होगा मगर हम का करें कि ई ससुर दिल जो बिहारी रह गया है ।
|
होली के हुडदंग के साथ आज फगुआ भी अपनें चरम पर पहुंच गया .आज से ही चैत मॉस का आरम्भ हो गया।
गांव में फाग गायकों की टोली अभी आठ दिन तक धमाल मचाती रहेगी,जिसे आठो चैता के नाम से जाना जाताहै। आठो चैता के समापन के साथ ही फागुन के यह दिन चार बीत जायेंगे,फिर से अगले बरस आने के लिए।
आज गांव में भी फाग गायन मंडली जगह -जगह जमीं और एक बैठकी सदा की तरह मेरे घर पर भी हुई ।…
| ऎसी स्थिति स्वभावत: किसी के भी मन को असमंजस में डाल देती है कि मन्त्र-तन्त्र, कर्मकांड,भक्ति,पूजा-उपासना इत्यादि की एक जैसी ही प्रक्रिया का अवलम्बन करने पर भी एक व्यक्ति को तो लाभ हो जाता है, जब कि दूसरे किसी अन्य को कोई सफलता नहीं मिलती, ऎसा क्यों?। एक को सिद्धि, दूसरे के हाथ निराशा, ऎसा किसलिए?। वही देवता, वही मन्त्र, वही विधि---एक को सफलता ओर दूसरे को असफलता क्यूं?। यदि पूजा पाठ, उपासना,भक्ति, धर्म-कर्म अन्धविश्वास है तो फिर उससे कितने ही लोग लाभान्वित क्यों होते हैं?…… |
ये आघात जनक समाचार है. समीरलाल उड़नतश्तरी वाले आत्महत्या का विचार कर रहे हैं, वहीं दुर्योधन के हाथों पीटे शिवकुमार मिश्र दवा-दारू में व्यस्त बताए जा रहे हैं. इधर अनूप शुक्ल को एटीएस ने गिरफ्तार किया है.

श्री संजय बेंगाणी
| जज़्बात
मन भीगे तो होली है ~~ - [image: image] धरती के आंचल में आज, रची हुई रंगोली है तन भीगे से क्या होता है, मन भीगे तो होली है! * जो चूल्हा नाराज न होवे, गर तवा न आपा खोवे, सु...
श्री एम वर्मा |
कुछ पुरानी यादे
टेलिविज़न के वे पुराने दिन भले ही तकनीकी रूप से आज के प्रोग्राम के बराबरी नही कर सके पर उनमे एक ताजगी एक सुकून का अहसास होता था उसके उलट आज २४ घंटो चलने वाले प्रोग्राम सिवाय दिमाग को तनाव ग्रस्त , प्रदूषित करने के आलावा कुछ नही करते
..

श्री जितेंद्र
|
"शब्द भी रोने लगे "
निष्प्राण हृदय के ज़ीने पे,
अनुभूतियों के मानचित्र
विद्रोह कर
अपना अस्तित्व संजोने लगे
विवश हो,
अभिव्यक्तियों के काफिले भी
साथ होने लगे......

सुश्री सीमा गुप्ता
|
विकसित होने से पहले
कुचल जाते हैं
कुछ शब्दों के भ्रूण
बाहर आने से पहले
फँस जाते हैं होठों के बीच
कुछ जवाब
…..

श्री दिगम्बर नासवा
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आज से बीस साल पहले जब कॉलेज छोड़ा(छोड़ना पडा) तो हम दोस्तों ने यह फैसला किया कि संपर्क जरूर रखेंगे| ऐसे ख्वाम्ख्याली वाले बहुत से फैसले हम शुरू से ही लेते रहे हैं| वैसे भी ये थ्योरी हम उसी समय प्रतिपादित कर चुके थे कि हमारा(हमारे आयु वर्ग वालों का) जन्म ***

श्री मो सम कौन?
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में सिर्फ १४११ बाघ ही बचे है यह गिनती सही है या गलत इस पर सवाल उठाया जा सकता है पर यह सच है कि हमारे देश के जंगलों व अभ्यारण्यों में तस्करों द्वारा किये गए अवैध शिकार के चलते बाघों की संख्या में तेजी से गिरावट आई है और यही हाल रहा तो वो दिन दूर नहीं जब बाघ सिर्फ चिड़ियाघरों तक ही सिमित हो जायेंगे | हमारे नन्हे ब्लोगर आदि की आशंका...

श्री रतन सिंह शेखावत
|
मैं बात कर रहा हूँ रिश्तों के एक झटके में मर जाने की. ये थोड़ा कठिन मसला लगता है, यहाँ अगर मौत हो भी गयी तो वापस जिंदगी डाली जा सकती है. क्या कहा आपने गाँठ पड़ जायेगी? नहीं ! मैं रहीम बाबा के 'टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गाँठ पड़ जाए' से पूर्णतया सहमत नहीं हूँ. कम से कम एक झटके में सब ख़त्म तो नहीं हो सकता. अगर किसी गलतफहमी से चटक के टूट भी गया तो सच्चाई सामने आने पर क्या और और मजबूत नहीं हो सकता? अब ऐसा मसला है तो मन तो भटकेगा...

श्री अभिषेक ओझा
|
दीदी “समता” की एक रचना-
बीते दिनों को याद करते है हम,
वक्त कुछ कम न था,
ओह !!! कुछ और सँवर गये होते ।
हँसी जो ठहाको में बदल जाती थी,
मगर थी सूखी और बेवजह की,
कुछ वजह होती और मुस्करा लिये होते,
कुछ और सँवर गये होते ।……
श्री चंदन कुमार झा
|
तेरे हुस्न ने मोहब्बत को मेरे दिल का पता दिया
मेरी उलझी जिन्दगी को तेरी उलफ़त ने सुलझा दिया
तेरी मोहब्बत के आफ़ताब ने हर सुबह को खिला दिया
मेरी दीवानगी के माहताब ने हर रात को शायराना बना दिया …..
श्री यशवंत मेहता “फ़कीरा”
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महाशिवरात्रि के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं!
हर हर महादेव
कल महाशिवरात्रि का पर्व हर्षौल्लास, उपवास, पूजा,अर्चना, मंगल आरती, जागरण और भजन से पुरे देश मे मनाया जायेगा. बाबा भोलेनाथ से यही प्रार्थना है कि वो हम सब पर अपने आशीष और कृपा बनाए रखे. सब करकमल जोड़ कर बोलिए:
हर हर महादेव कि जय !रुद्राष्टकम
सुश्री रेखा प्रहलाद
| Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून

सभी कार्टून-चित्र ताऊ डॉट इन से
साभार !
अब दीजिए आज्ञा…….! |
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लाजबाब कमाल ताऊ का भी और आपका भी शास्त्री जी !
ReplyDeleteशास्त्री जी
ReplyDeleteआपकी वो वाली फ़ोटो
(इन्ही लोगों ले लीना दुप्पटा मेरा) धमाल है।
आपका ही कमाल है।
अभी चढा हुआ बुखार
नही उतरा अभी खुमार
जोर दार चर्चा सजाई है
होली की बधाई है।
ha ha ha ha ha ha
ReplyDeleteha ha ha ha ha ha
kya kalakriti dikhaai hai aapne ..hamari hansi hi nahi ruk rahi aapki aur sameer ji ki tasveer jisne bhi banai bas kamal banayi hai , vats ji ki bhi ...main hairaan hun aap ki kalpanasheelta par bahut hi dhaansoo rahi ye charch...ekdam rangarang..
waah...ghazab...!!!
बहुत मजेदार !!
ReplyDeleteहोली खेलने के बाद
ReplyDeleteसजे रहे
चर्चा बनाने में
लगे रहे
मन से नहीं उतरेगा
जो रंग जमाया है।
बहुत सुन्दर चर्चा...मनभावन !! एक बार पुन: सभी को सपरिवार व इष्टमित्रों सहित होली की ढेरों शुभकामनायें !!
ReplyDeleteab tak ki sabse sundar charcha hai ye........vaise aapka dulhani roop to bahut hi pasand aaya..........is baar ki bloggeri holi to hamesha yaad rahegi..........bahut hirang bikhre hain.
ReplyDeleteवाह शाश्त्रीजी आज तो छा गये आप. कमाल की चर्चा की है आज तो.
ReplyDeleteरामराम.
ब्लॉगर मित्रों!
ReplyDeleteपुनः स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि
सभी कार्टून-चित्र ताऊ डॉट इन से
साभार लिये गये हैं!
वाह्! शास्त्री जी! आज तो चर्चा में भी होली का रंग चढा हुआ है....ताऊ भी बस ताऊ ही है :-)
ReplyDeleteतस्वीर मे आप तो ऎसे लग रहे हो कि मानों दुल्हन विदाई के इन्तजार में बैठी हो :-)
वाह शास्त्री जी बहुत ही बढ़िया चर्चा रहा! कमाल कर दिया है आपने! होली पर ये ख़ास चर्चा बहुत खूब रही !
ReplyDeleteबहुत अच्छी चर्चा की है.
ReplyDeleteरंगोत्सव की रंगबिरंगी ....nayee पुरानी पोस्ट के साथ !
लाजबाब !
सतरंगी रंगों में रंगी रंगीली चर्चा।
ReplyDeletenice
ReplyDeleteवाह आज तो चर्चा भी रंगमयी हो गयी . आभार
ReplyDeletecharcha manch par jikra ke liye shukriya aur bacchon ke dil ki halchal ko apni rachna mein aapne bakhoobi piroya hai :)
ReplyDeleteशास्त्री जी, दिवाली आ रही है और होली के मौके पर की गई चर्चा पर आज धन्यवाद दे रहा हूँ। मालूम ही आज चला है। बेवकूफ़ी पर हंस सकते हैं।
ReplyDeleteबहुत आभार आपका।
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ReplyDeletetechappen
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ReplyDeletereally very nice artical
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