"चर्चा मंच" अंक-99 चर्चाकारः डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक" आइए आज का "चर्चा मंच" सजाते हैं- आज का "चर्चा मंच" 99 के फेर में है जी- देखिए दिन भर के कुछ चुने हुए लिंक्स- |
सबसे पहले नम्बर पर चर्चा में है नम्बर-1 के हिन्दी ब्लॉगर उड़न तश्तरी वाले समीर लाल जी..इन्हे भी अनिद्रा की बीमारी ने घेर लिया है.. निंदिया न आये-जिया घबराए - देर रात गये सोने की कोशिश मे हूँ. नींद नहीं आती तो ख्याल आते हैं. अकेले में ख्याल डराते है और *इंसान अध्यात्म की तरफ भागता है भयवश... |
में 2 नम्बरी हिन्दी के ब़्लॉगर ताऊ की पोस्ट का भी आनन्द जरूर लीजिए- वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता में : सुश्री निर्मला कपिला - प्रिय मित्रगणों, "वैशाखनंदन सम्मान पुरस्कार प्रतियोगिता" के अंतर्गत आज पढिये सुश्री निर्मला कपिला की व्यंग कविता लेखिका परिचय : निर्मला कपिला पंजाब सरकार ... |
नम्बर 3 के ब्लॉगर ज्ञानदत्त पाण्डेय जी ने 2 दिन पूर्व मानसिक हलचल... पर जो पोस्ट लगाई थी वह ये रही- ईर्ष्या करो, विनाश पाओ!महाभारत के तीन कारण बताये जाते हैं। शान्तनु का काम, दुर्योधन की ईर्ष्या और द्रौपदी का क्रोध। शान्तनु का काम भीष्म-प्रतिज्ञा का कारण बना। दुर्योधन की ईर्ष्या पाण्डवों .. |
आज नं. 4 के ब्लॉगर हिन्द-युग्म.. लिखते हैं- बाढ़ एक ख़बर है, और ख़बर के बाहर कुछ नहीं. पर नियंत्रक । Admin बहुत लम्बे समय से हमने अपनी ओर से पाठकों को कुछ नहीं पढ़ाया। इसलिए हमने सोचा कि इसकी दुबारा शुरूआत बहुत असरकारी कविताओं से होनी चाहिए। बहुत पहले युवा कवि अच्युतानंद .. |
5 नम्बरी ब्लॉगर |
और 6वें नम्बरी ब्लॉगर अनूप शुक्ल फुरसतिया... नेफ़ुरसतिया ब्लॉग पर 5 दिन पूर्व यह पोस्ट लगाई थी-
विता का मसौदा और विश्व गौरैया दिवसमैं पिछले कई दिन से कविताई के मूड में हूं। कविताई के मूड में मतलब कविता लिखने के मूड में। सब मसाला भी सोच रखा है और हर पल लगता है कि बस अब हुआ तब हुआ। कविता निकाल ... |
और अभी-अभी 7वें नम्बर वाले बाराबंकी के ब्लॉगर Suman जी ने लो क सं घ र्ष !... पर लिखा है-
भारत सरकार का विज्ञापन है या निम्नकोटि के शोहदों... पहले माओवादियों ने खुशहाल जीवन का वादा किया फिर, वे मेरे पति को अगवा कर ले गए फिर, उन्होंने गाँव के स्कूल को उड़ा डाला अब, वे मेरी 14 साल की लड़की को ले जाना चाहते .. |
सक्रियता क्रमांक 8 पर चल रहे ने 1 दिन पूर्व सारथी... पर लिखा है फलों से डर लगता है!प्रभू की दया से हम सब लगभग सामान्य लोग हैं। किसी तरह की विकलांगता का अनुभव नहीं करते है। लेकिन इसका दूसरा पहलू यह है कि समाज का एक बहुत बडा तबका जो पूर्ण रूप .. |
9वें नम्बर पर चल रहे चिट्ठा चर्चा... पर अनूप शुक्ल जी ने कल लिखा था- ...और ज़िन्दगी को जी भर के जियें!
आज रामनवमी है। आप सभी को रामनवमीं मुबारक। खासकर उनको जिनकी आज छुट्टी है। हमें तो आज भी ऑफ़िस जाना है सो सिर्फ़ मुबारकबाद देकर निकल लेंगे। वैसे आप मीनू खरे जी . |
9 के बाद अब देखिए कुछ और शानदार लिंक्स- |
परछाईयों का शहर 1 - "रुको!!" "ए! तुम!!" "रुक जाओ!!" जैसे जैसे आवाज़ पास आ रही थी, उसके कदम और तेजी से आगे बढ़ रहे थे, पर पीछा करने वाले के कदमों की गति हवा की तरह रही होगी ज.. |
शादी बिनु राधा किशन - अक्सर हो पाता नहीं मन से मन का मेल। प्रायः अपने यूँ दिखे ज्यों पानी में तेल।। निन्दा में संलग्न हैं लोग कई दिन रात। दूजे का बस नाम है कहते अपनी बात।। चमके .. |
कभी-कभी मेरे दिल में .... - *आजादी की लड़ाई से अब तक, इन अपने सेकुलर नेताओं की शक्ले और करतूते देखते-देखते तो आप भी पक चुके होंगे, मगर क्या कभी आपने भी ऐसा सोचा कि अगर सुभाष चन्द्र बोस.. |
लड्डू बोलता है ....इंजीनियर के दिल से..... यह पोस्ट केवल सफल ब्लॉगर ही पढ़ें...नए ब्लॉगर को यह धरोहर बाद में काम आएगा..... - ब्लॉगिंग को लेकर मेरे मन में बहुत सवाल है. मेरी समझ है कि केवल सफल लोग ही मेरे सवालों का सही जबाव दे पायेंगे. आलतू-फालतू लोगों से पूछ कर मैं अपना समय और अ.. |
मत काटो इन्हें !! - मत काटो इन्हें, मत चलाओ कुल्हाडी कितने बेरहम हो, कर सकते हो कुछभी? इसलिए कि ,ये चींख सकते नही? ज़माने हुए,मै इनकी गोदीमे खेलती थी, ये टहनियाँ मुझे लेके.. |
सबको चखना है मौत का मज़ा। - विज्ञान की अजीब Theories (4)मौत के बारे में सोचते ही दिल काँप उठता है। यह भी तय है कि हर व्यक्ति को एक न एक दिन मरना है। हर चीज़ का एक अन्त है। यहाँ तक कि हम... |
ताहि बिधि 'मस्त' रहिये... - [समापन किस्त] एक दिन पिताजी राजेन्द्र बाबू के पास पहुंचे, तो उनके आसपास अधिक भीड़-भाड़ नहीं थी। वह हलके-फुल्के मूड मे थे। संभवतः, अलभ्य-से फुर्सत के क्षण.. |
हैप्पी बर्थडे टू पाखी - आज 25 मार्च को हमारी बिटिया रानी अक्षिता (पाखी) का जन्म-दिन है. आज पाखी 4 साल की हो जाएँगी. पिछला जन्म-दिन कानपुर में तो इस बार अंडमान में. नौ दिन के नवरात... |
आज हमारा घर देखिये - यह पोस्ट अपने तय समय से कुछ विलम्ब से छप रही है। क्योंकि नीचे दिये गये ज्यादातर फोटू होली पर खींचे गये थे। उस समय खेतों में बहार आयी हुई थी, सरसों मस्ती मा... |
मैनेजिंग एडिटर और मैनेजिंग रिपोर्टर - आजकल अखबारों और टीवी चैनलों में एक नया दौर शुरू हो गया है। पहले संपादक और रिपोर्टर थे, अब प्रबंध संपादक और प्रबंध रिपोर्टर की फौज मैदान में है जिनका काम पत... |
सर्वनाम /दून्या मिख़ाइल की कविता - *विश्व कविता के पाठकों / प्रेमियों के लिए दून्या मिखा़इल कोई नया नाम नहीं है। १९६५ में जन्मी अरबी की इस युवा कवि को दुनिया भर में प्रतिरोध की कविता के एक म.. |
उसका अहसास... - रिश्तों का कारोबार चलता ही है अहसास के सिक्कों से जज़्बात के गुँचे खिले नहीं कि मोहब्बत परवान चढ़ गयी फिर जलने लगे दिलों में दर्द के दीये बातें, ... |
मंहगी दवाई, मंहगा इलाज-कौन पोंछे गरीबों के आंसु? - सुबह अस्पताल पहुँचा एक मित्र का हाल चाल पुछने तो देखा कि अस्पताल के गेट पर सुखवंतिन खड़ी-खड़ी रो रही थी। मै उसे पुर्व से जानता था, वह हमारे गांव की ही रहने ... |
कविता----------------->>>>दीपक 'मशाल' - ज़िन्दगी वेताल बनके हर रोज़ सुनाती रहती है एक नई कहानी उसे और शाम को.. जब वो उसका बोझ ढोते-ढोते थक जाता है तो भयानक अट्टहास के साथ लगती है पूछने रहस्यमय ... |
दुष्ट महान हैं ........... - नवरात्र के नौ दिन श्रीराम को समर्पित रहे ...ये सच है कि इससे पहले इतना डूब कर श्री रामचरित मानस का पाठ कभी नहीं किया (जय हो ब्लोगिंग देवा ...गंभीरता से पढ़न... |
[नामपुराण-3] हरिद्वार, दिल्लीगेट और हाथीपोल - *पिछली कड़ियां-A.[नामपुराण-1]****B.[नामपुराण-2]***[image: DSCN0514] प र्वत भी मनुष्य का प्रिय आश्रय रहे हैं। पहाड़ी कंदराओं में सुरक्षित निवास तलाशने के ... |
धीरे-धीरे चल....जिंदगी को जी...... - भाग रहा है इन्सान दौड़ रहा है अनचाहे सपनों के सड़क पर कभी दायें तो कभी बायें मुड़ता फिर भी नहीं पहुँचता मंजिल पर सबको पीछे छोड़ने कि ठसक सबसे आगे दिखने.. |
यार आईपीएल मे छत्तीसगढ की टीम कब खेलेगी? अबे सब क्रिकेट खेलने लग जायेंगे तो ……………… - एक बहुत बड़ी बात कहने के लिये एक बहुत ही छोटी सी पोस्ट।आईपीएल का बुखार सारे देश मे सिर चढ कर बोल रहा है।पुणे और कोच्ची की टीमें भी बिक गई और वे भी खेलती नज़र.. |
साधो इसकी नंबरदारी........ - -डा0 डंडा लखनवी कमप्युटर के माउस को तक, कहते डंडाधारी। दुनिया के कोने - कोने मे इसकी नम्बरदारी।। ... |
ओेए लक्की, लक्की ओए...खुशदीप - अपना लक पहन कर चलो...ये पढ़ कर आपको ज़रुर याद आ गया होगा कि मैं लक्स कोज़ी की एड का ज़िक्र कर रहा है...लेकिन कुछ पहनने से लक बदलता है या नहीं, ये मैं नहीं .. |
मैं कुछ नहीं ! - चलते-चलते सांय-सांय सी ख़ामोशी और वक़्त के आईने में मैं ! बहुत धुंधला नज़र आता है सबकुछ डर लगता है ! जीत की ख़ुशी और अल्पना पर प्रश्नों के रंग बिखरे होत... |
भारतीय नागरिक - Indian Citizen ज न्यूज की समाचार वाचिका और सम्पादक को चित्र और प्रतिमा में अन्तर नहीं पता - जी हां, पूरी तरह से सत्य है. ज. न्यूज की समाचार वाचिका समाचार पढ़ रही थीं कि सचिन ने स्व०राज सिंह डूंगरपुर की प्रतिमा का अनावरण किया जबकि वास्तव में वह एक .. |
Mar 25, 2010 | Author: sidheshwer | Source: कबाड़खाना *** फागुन तो कबका बीत गयाअपने पीछे छोड़करअबीर - गुलाल के रंग भरे चिह्न - निशानअब चैत आया हैतपती गर्मियों से ठीक पहले की एक सुखद छाँव की तरह।दिन अलसाने लगे हैंरातों में बाकी है हल्की खुनक.... क्या किया जाना चाहिएऐसे में आजआइए सुनते हैंवही स्वरवही आवाजजिसे सुन कर जुड़ा जाता हृदय धन्य होते हैं कान................... ....................................तो फिर सुना जाय पं० छन्नूलाल मिश्र जी के स्वर में ……. |
वो शख्स जिसे मेरा कभी होना नहीं है Mar 25, 2010 | Author: singhanita | Source: संवेदना दिल से मेरे लिपटा वो किसी राज की सूरत वो शख्स जिसे मेरा कभी होना नहीं है इश्को मोहोब्बतों के है किस्से बड़े अजीब पाना भी नहीं है उसे खोना भी नहीं है समझेगा मुझे पागल हर देखने वाला चहरे से कुछ बयान तो होना ही नहीं है हम उनको बुलाने का तकाजा नहीं करते [... |
धीरे-धीरे चल....जिंदगी को जी...... Mar 24, 2010 | Author: Tej Pratap Singh | Source: साहित्य योग भाग रहा है इन्सान दौड़ रहा है अनचाहे सपनों के सड़क पर कभी दायें तो कभी बायें मुड़ता फिर भी नहीं पहुँचता मंजिल पर सबको पीछे छोड़ने कि ठसक सबसे आगे दिखने कि जिद में क्यों है तैयार बिकने को खो गाया है तू कहीं इन्सान क्या हो गया है तुझे!! .... खोज रहा है गेहूं भूसे में पानी में चला रहा है तलवार थोडा तो बदल गाया इन्सान वो दिन ना आये जब तू थक जाये रिश्ते भी दामन छोड़ दें.... अकेला पड़ जाये और रास्ते भी बंद हों मन को थाम ले अभी भी है समय धीरे-धीरे चल जिंदगी को जी.... |
“एक मुक्तक” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”) जल रहा स्वेद है चरागों में, पल रहा भेद है समाजों में! सूखती जा रही सजल सरिता, खल रहा छेद है रिवाजों में! डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक” |
राम लक्ष्मण बन्धन में - युद्धकाण्ड (8) इस प्रकार से युद्ध चल ही रहा था कि सूर्यदेव अस्त हो गये तथा प्राणों का संहार करने वाली रात्रि का आगमन हो गया। दोनों पक्ष के योद्धा बड़े भयंकर थे तथा अपनी-अपनी विजय चाहते थे; अतः उनके मध्य रात्रियुद्ध होने लगा। दोनों पक्ष के मध्य घनघोर युद्ध मच गया, जी.के. अवधिया |
ख़बरदार आतंकियों के निशाने पर आप CARTOON TIMES by-manoj sharma Cartoonist |
कार्टून : ... तो मुलायमसिंह जी की प्रॉब्लम ये है ????!!!!! Mar 25, 2010 | Author: Kirtish Bhatt, Cartoonist | Source: Cartoon, Hindi Cartoon, Indian Cartoon, Cartoon on Indian Politcs: BAMULAHIJA बामुलाहिजा >>
Cartoon by Kirtish Bhatt |
आज निकल गये हैं 99 के फेर से ! कल का "चर्चा मंच" सजायेंगे- 100वीं चर्चा के साथ ! |
हर बार की तरह एक सार्थक चर्चा....
जवाब देंहटाएंसभी लिंक्स लाजवाब लगे...
आपका आभार..
बहुत ही गज़ब की चर्चा लगायी है………………काफ़ी लिंक तो यही मिल गये………………॥शुक्रिया।
जवाब देंहटाएंअब शतक का इंतज़ार है।
बढ़िया चर्चा के लिए शुक्रिया शास्त्री जी !
जवाब देंहटाएंचर्चा सार्थक लगी।
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा के लिए शुक्रिया..
जवाब देंहटाएंसार्थक चर्चा....आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सार्थक चर्चा .. शतकीय पोस्अ का इंतजार है!!
जवाब देंहटाएंआप निरंतर अच्छे प्रयोग कर रहे हैं 'मयंक' सर.. शामिल करने के लिए बहुत बहुत आभार..
जवाब देंहटाएंbahut hi bhadiya aur vishtrat charcha ank aaj ka bhi ek se ek links ka sankalan hai..dhanywad.
जवाब देंहटाएंअति उत्तम...लेकिन इतनी विस्तृ्त कि चर्चा बांचते बाँचते हमारा तो आधा दिन निकल गया :-)
जवाब देंहटाएं@पं.डी.के.शर्मा"वत्स" जी!
जवाब देंहटाएंचर्चा तो सायं को आई थी! मगर आपका आधा-दिन कैसे निकल गया?
मेरा नम्बर कब आएगा! :-)
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी,
जवाब देंहटाएंबस यही कामना है कि आप चर्चा के ऐसे शतक पर शतक लगाते चलें और हम कृतार्थ होते रहें...
जय हिंद...
बहुत लाजवाब चर्चा.
जवाब देंहटाएंरामराम.