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शनिवार, मार्च 20, 2010

“वक़्त वक़्त की बात है..” (चर्चा मंच)

"चर्चा मंच" अंक-94
चर्चाकारः डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"
आइए आज का "चर्चा मंच" सजाते हैं-

साथियों आप सबकी प्रविष्टियों पर तो में पूरे-पूरे पृष्ठ के
लेख और कविता भी लिख सकता हूँ!
परन्तु मेरी चर्चा का यह उद्देश्य नही है!
मेरा उद्देश्य तो यह है कि आप इन पोस्टों पर जायें
और अपने मन की टिप्पणियाँ दें!
 
SPANDAN

वक़्त वक़्त की बात है.. - कल हमारी बेटी के स्कूल में पेरेंट्स मीटिंग थी ..,जब हम वहाँ पहुंचे तो देखा कि अजब ही दृश्य था ...एक हॉल में कचहरी की तरह लगीं कुर्सी- मेज़ और खचाखच भरे ...
गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष   
क्‍या कहता है आपकी जन्‍मकुंडली का केमद्रुम योग ?? - काफी दिनों तक ज्‍योतिष के अध्‍ययन और मनन में रत होने के बाद भी सटीक भविष्‍यवाणियां करने में विफल रहे कुछ लोगों से अक्‍सर हमारी मुलाकात हो जाती है , जो अपनी त...


 हरि शर्मा - नगरी-नगरी द्वारे-द्वारे: कुछ बातें अपने मन की
हरि शर्मा - नगरी-नगरी द्वारे-द्वारे: कुछ बातें अपने मन की
नुक्कड़  HARI SHARMA
Albelakhatri.com
जब एक कबूतर ने समीर लाल जी की बैंड बजा दी .....

. - अपने समीर लाल जी सुबह सुबह 'सेहत बनाओ' अभियान के तहत गार्डन में टहल रहे थे कि अचानक एक कबूतर ने उड़ते उड़ते ही उन पर "गुड मोर्निंग" कर दी जिससे उनकी कमीज़ ...
काव्य मंजूषा  
व्यवस्था..........

- व्यवस्था के मोहरे व्यवस्था की आड़ में व्यवस्था के सहारे नित नई व्यवस्थित चाल चल रहे हैं और भेंट चढ़ जाते हैं कितने ही व्यवस्थित जीवन, समझ कहाँ पा...
ताऊ डॉट इन

ताऊ पहेली - 66 - प्रिय बहणों और भाईयों, भतिजो और भतीजियों सबको शनीवार सबेरे की घणी राम राम. ताऊ पहेली *अंक 66 *में मैं ताऊ रामपुरिया, सह आयोजक सु. अल्पना वर्मा के साथ आपका ...
घुघूतीबासूती 
एक टिप्पणी, एक लेख .....................घुघूती बासूती - इस लेख में बहुत कुछ जोड़ भी सकती हूँ किन्तु वह फिर कभी। यह बस यूँ ही नारी पर टिपियाते हुए (स्त्री के मन से अनायास निकला हुआ) कह दिया। जोड़ने को माँ के साथ हु...
अंधड़ !

खूब मजे लूट रहा, घर के भी, घाट के भी ! - *छवि गुगूल से साभार !* ** * सुना था, जब-जब अराजकता के बादल घिरते है, यहाँ, आवारा हर कुत्ते के दिन फिरते है ! * *कमोबेश, कुछ ऐसा ही परिस्थिति अबकी भी बार ...
शब्दों का दंगल   
“हिन्दी व्याकरण”   “हिन्दी में रेफ लगाने की विधि”   *अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत गल्तियाँ करते हैं। उनके लिए व्याकरण के कुछ सरल गुर प्...
नन्हें सुमन

‘‘टेली-विजन’’ - *मेरा टी0वी0 है अनमोल।* *खोल रहा दुनिया की पोल।।* * * *इसमें चैनल एक हजार।* *इसके बिन जीवन बेकार।।* * * *कितना प्यारा और सलोना।* *बच्चों का ये एक खिलौना।।*...
लड्डू बोलता है ....इंजीनियर के दिल से.....
विश्व गौरैया दिवस-- गौरैया...तुम मत आना.... - हे गौरैया....तुम मत आना आज है विश्व गौरैया दिवस.... पर तुम मत आना...भूल कर भी मत आना बचपन में तुम मेरे घर आती थी... लेकिन अब ..घर..”घर” कहाँ रहा? अब तो मकान ..
यशस्वी

नैनीताल के राजभवन में स्थित गोल्फ कोर्स का इतिहास - पिछली एक पोस्ट में मैंने नैनीताल के राजभवन के बारे में बताया था। इस पोस्ट में मैं राजभवन में बने गोल्फ कोर्स के बारे में कुछ। राजभवन का निर्माण 1900 में...
शिखा दीपक
  कितनी अजीब शै ..........जिन्दगी - बिछड़ चला है तो मेरी दुआएं लेता जा वहाँ वहाँ मुझे पाए जहाँ जहाँ जाए !!! कुछ लोग चंद लाइनों में कितना कुछ कह देते हैं। पुरानी डायरी के पन्ने पलट रही थी तो..
GULDASTE - E - SHAYARI

- दिल तो होगा पर न होगी उसमें जान, सांसें तो होगी पर न होगा अरमान, ख़्वाब जो था पर अब न होगा आशियाँ, लिख दी है हमनें रुसवाई की दास्तान !
मेरी भावनायें...

दिल की बात ! - मेरा दिल करता है तुम्हें अमलतास का पेड़ बना लूँ किसी गांव की अल्हड़ बाला सी तुमको पकड़कर घूमती जाऊँ घूमती जाऊँ जब तक तुम्हारी शाखाएं मुझे थाम न लें ...
Science Bloggers' Association

जब 'गौरैया' ने हमारे घर में घोंसला बनाया था, ऐसा लगा मानो घर में कोई मेहमान आया था: "विश्व गौरैया दिवस" पर विशेष -सर्वप्रथम मैं जनाब केके मिश्रा और जनाब डीपी मिश्रा को धन्यवाद कहना चाहता हूँ जो dudhwalive.com व अपने ब्लॉग के माध्यम से निरन्तर प्रकृति के प्रति जागरूकता फै..
आदित्य (Aaditya)

आदि को पकड़ो आदि भम्म हो रहा है.. - अब बहुत सारे वाक्य बना लेता हूँ में.. पापा मम्मी हैरान हो गए.. जब उन्होंने सूना.. *"आदि को पकड़ना, आदि भम्म हो रहा है.."* और ये वाक्य निकला पलंग के किनारे ..
ज़िंदगी के मेले

क्या आप ब्लॉगरों की खुशियाँ साझा करने वाले इस नन्हे-मुन्ने को बधाई नहीं देंगे!? - यह न तो कोई पहेली है और न ही किसी तरह की प्रतियोगिता। इसके बावज़ूद मैं यह यह कहना चाहूँगा कि क्या आप अंदाजा लगा सकते हैं कि आज किसका जनमदिन है? मुझे मालूम ...
देशनामा
 इसे पढ़ कर आपका ख़ून भी खौलने लगेगा...खुशदीप - *मातृभूमि की सेवा करने वाले सैनिक क्या अलग मिट्टी के बने होते हैं...क्या वो आपके-हमारी तरह इंसान नहीं होते...सरहद पर दुश्मन से मोर्चा लेते हुए शहीद होने वा..
मिसफिट:सीधीबात 
जाग उठा मातृत्व उसका अमिय-पान भी कराया उसने -
अमीर धरती गरीब लोग
भले ही रोमेंटिक मूड़ की ऐसी की तैसी हो गई पर मेरी छाती पर कोई बोझ नही बढा! - दो दिनों से अच्छा-खासा रोमेंटिक मूड़ मे चल रहा था कि आज अचानक़ एक एमरजेंसी मीटिंग आ गई।पुराने दिनो की खूबसूरत यादों के नख्लिस्तान मे चैन की बंसी बजाता देख शा..
Alag sa
एक ई-मेलीय सवाल, माँ का हाल पूछने की फुरसत कहाँ है? - क्या जिंदगी इसी का नाम हैं.....? शहर की इस दौड़ में, दौड़ के करना क्या है? जब यही जीना है दोस्तों तो फ़िर मरना क्या है? पहली बारिश में ट्रेन लेट होने की फ़िक्..
भाई - विनम्रता बोले तो ...?
Mar 20, 2010 | Author: MUMBAI TIGER मुम्बई टाईगर | Source: MUMBAI TIGER मुम्बई टाईगर
मुन्नाभाई ओर सर्किट दोनों ही पिछेले दिनों दुनिया भर की पार्लियामेंट के दोरे पर  थे. कई देशो की पार्लियामेंट में जाकर मुन्नाभाई ने जो देखा वो भारतीय ससंद एवं विधान सभाओं में अक्शर देखने को मिलता. है. राजनिक  बहसों में गांघीवादी  विचार धारा  को मिलाने का उनका सपना साकार ना हो सका. -सर्किट! साला ये नेता तो सभी एक दुसरे की ठुकाई करने में लगे है ? भाई!  बोले तो एक-एक के कान की पिछु राफसिक लगाना मंगता है. सर्किट अपुन शिष्टाचार के दोरे पर है विनम्रता का प्रयोग करने का ! भाई - विनम्रता बोले तो ---- ...
मुंबई आतंकी घटना के सूत्रधार को भारत सरकार देश में लाने में असफल
Mar 20, 2010 | Author: Suman | Source: लो क सं घ र्ष !
भारत सरकार ने अपनी गुटनिरपेक्ष नीति को छोड़ कर अमेरिकन साम्राज्यवाद के साथ अप्रत्यक्ष रूप से रहना स्वीकार कर लिया है। अमेरिकन साम्राज्यवाद की दोहरी नीतियों का खामियाजा हमारे देश को भुगतना पड़ रहा है। मुंबई आतंकी घटना के सूत्रधार व एफ.बी.आई मुखबिर व अमेरिकन नागरिक डेविड कोलमेन हेडली भारत सरकार प्रत्यर्पण करने में असफल है क्योंकि प्ली अग्रीमेंट से हेडली सजा ऐ मौत नहीं दी जा सकती है। अब उसे अधिकतम सजा उम्रकैद की ही हो सकती है और इस प्ली अग्रीमेंट के तहत उसको पाकिस्तान भारत व डेनमार्क को नहीं सौंप ..
नहीं चाहिये आदि को कुछ....
Mar 20, 2010 | Author: वन्दना अवस्थी दुबे | Source: किस्सा-कहानी
"ये क्या है मौली दीदी?" " आई-पॉड है." "ये क्या होता है?" " अरे!!!! आई-पॉड नहीं जानते? बुद्धू हो क्या?" इतना सा मुंह निकल आया आदि का. क्या सच्ची बुद्धू है आदि ? क्लास में तो अच्छे नंबर पाता है.....हाँ, कुछ चीज़ों के उसने नाम सुने हैं, लेकिन देखा नहीं है. "अरे पागल, ये आई-पॉड है, इसमें बहुत सारे गाने भरे हैं. पांच सौ से ज्यादा गाने डाउन-लोड कर सकती हूँ मैं इसमें. और हाँ ये एम्.पी. फ़ोर है." " इत्ते सारे गाने? इसमें??? ..............वैसे मौली दी, ये एम्. पी. फ़ोर क्या है......?" पूछत ...
इन्सान सिर्फ चिन्तन से ही वास्तविक ज्ञान की प्राप्ति कर सकता है!!!!
मनुष्य एक चिन्तनशील प्राणी है। चिन्तन करना उसका स्वभाव भी है और धर्म भी। संसार के विषयों का चिन्तन मनुष्य का उन विषयों से परिचय बढाता है और उन्हे सांसारिक कार्यों में सफलता दिलाने में सहायक होता है, धार्मिक/आध्यात्मिक चिन्तन परमार्थ का साधन है। जो मनुष्य 

धर्म यात्रा
   पं.डी.के.शर्मा"वत्स
गौरैया आयी है .......
शहरों में,समाचार पत्रों में और ब्लागजगत में भी आज गौरैया चिंतन छाया रहा .घरों में फुदकने वाली गौरैया का आज दिन जो था .दिन-भर विश्वविद्यालय से लेकर शहर तक कि पर्यावरण विदों से मुलाकात हुई,इसी विषय पर बात हुई और अंततः कमोबेश बात इसी बात पर खत्म हुई कि  
मा पलायनम !
     डॉ. मनोज मिश्र
“चलना ही है जीवन!”
जीवन पथ पर, आगे बढ़ते रहो हमेशा, साहस से टल जायेंगी सारी ही उलझन। नदी और तालाब, यही देते हैं सन्देशा, रुकना तो सड़ना है, चलना ही है जीवन।। पोथी पढ़ने से  जन पण्डित कहलाता है, बून्द-बून्द मिलकर ही सागर बन जाता है, प्यार रोपने से ही आता है     
uchcharan
चौंकिए मत, ये उत्तर प्रदेश है और यहां दलित हुक्मरान है
उत्तर प्रदेश का सोनभद्र जिला सुलग रहा है। गांव मगरदहा में आदिवासियों पर वनकर्मियों के हमले को 48 घंटे हो चुके हैं। हर बीतते पल के साथ वनकर्मियों के जुल्मों के नए-नए किस्से सामने आ रहे हैं। बुधवार को कोन के घने जंगलों में मगरदहा की ही लकिता अगरिया बेहोश  
जनतंत्र ब्लाग       
आवेश तिवारी
पियर्स का है सोप हर जगह...
उर्दू अदब में तंजो-मिजाह की एक कद्दाबर शक्शियत अकबर इलाहाबादी का मुख़्तसर परिचय और उनकी शायरी के चंद नमूने आपकी नजर कर रही हैं मंजू बेंकट ! 1846 में इलाहाबाद के दाद बारहनामी गाँव में उनकी पैदाइश हुई। वकालत की तालीम हासिल की और इलाहाबाद हाई कोर्ट के सेशन     
मनोज       
करण समस्तीपुरी
Kajal Kumar's Cartoons
काजल कुमार के कार्टून

कार्टून:- पुंगी वालों के खेल...
पाकिस्तान में भी अच्छी कविता होती है ..
शरद कोकास
                    नवरात्रि पंचम दिवस । अब तक आपने पढ़ा - फातिमा नावूत ,विस्वावा शिम्बोर्स्का और अन्ना अख़्मातोवा की कविता पढ़ने के बाद कल नवरात्रि के चौथे दिन आपने लातीन अमेरिका की कवयित्री गाब्रीएला मिस्त्राल की कविता “अपना हाथ मुझे दो “ पढ़ी । कविता के असली कदरदान - इस कविता पर समीर लाल,सुमन ,गिरिजेश राव ,कुलवंत हैप्पी , संजय भास्कर ,वन्दना ,खुशदीप सहगल , रश्मि रविजा ,सुशीला पुरी ,वन्दना अवस्थी दुबे , शिखा वार्ष्णेय ,रचना दीक्षित चन्दन कुमार झा , हिमांशु और बेचैन आत ...                

आज की चर्चा समाप्त!

18 टिप्‍पणियां:

  1. मैं सोचकर कुछ और आया था, और निकला कुछ और। जो भी निकला अच्छा निकला।


    वैसे मैं ढूँढने के लिए आया था।


    वक्त की वक्त से मुलाकात थी

    वक्त को वक्त न मिला
    वो भी वक्त की बात थी।

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  2. सुन्दर चर्चा और पोस्ट चुनाव की विविधता. बधाई.

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  3. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  4. हर बार नया कलेवर आपकी चर्चा की विशेषता है!
    --
    मेरा उद्देश्य तो यह है कि आप इन पोस्टों पर जायें
    और अपने मन की टिप्पणियाँ दें!
    --
    आपका यह कथन पूर्णत: सही है!

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  5. चर्चा का यह क्लेवर अधिक पठनीय व सुंदर लगा. आभार.

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  6. विश्व गौरैया दिवस पर लिखे वेदना भरी कविता को चर्चा मंच में स्थान देने के लिए धन्य बाद....
    बहुत अच्छी चर्चा......
    .........
    लड्डू बोलता है...इंजीनियर के दिल से.....

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  7. शानदार चर्चा,मेहनत साफ़ नज़र आ रही है,बधाई।

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  8. हर बार की तरह कमाल की आनन्ददायक रही ये चर्चा शास्त्री जी!...
    आभार्!!

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  9. बहुत ही बढ़िया चर्चा...
    आपकी चर्चा देखना सुखकर होता है शास्त्री जी...
    धन्यवाद...

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