"चर्चा मंच" अंक-101 चर्चाकारः डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक" आइए आज का "चर्चा मंच" सजाते हैं- देखिए कुछ चुने हुए लिंक्स- |
मसि-कागद अंग्रेजी घर तो चकाचक हिंदी के कमरे रीते हैं------->>>दीपक 'मशाल' - आबादी में इतने आगे होकर भी आबाद नहीं सरकारी एडों में सुनते हम बिलकुल बर्बाद नहीं सुनते हैं इतिहास मगर अब कहते हम इरशाद नहीं तन से तो हम मुक्त हो गए मन से पर... |
अंधड़ ! अर्थ हावर ???? - जानना चाह रहा था कि आज अर्थ हावर के दौरान मैं सड़क पर ड्राइव कर रहा हूँगा, क्या गाडी लाईट बंद करके चलानी पड़ेगी ? |
प्रतिभा की दुनिया ...!!! रेनर मरिया रिल्के की कविता- निष्ठा - मेरी आंखें निकाल दो फिर भी मैं तुम्हें देख लूंगा मेरे कानों में सीसा उड़ेल दो पर तुम्हारी आवाज़ मुझ तक पहुंचेगी पगहीन मैं तुम तक पहुंचकर रहूंगा वाणीहीन मै.. |
कुछ इधर की, कुछ उधर की मेर धर्म महान!!! - *चींटी का धर्म* *पंक्तिबद्ध हो चलना.........* *हाथी का धर्म* *समूह में विचरना..........* *वानर का धर्म* *डाली डाली उछलना..........* *मानव का धर्म* *सर्वधर्म .. |
गीत-ग़ज़ल थपक कौन सी - ** *चुनरी सितारों से जड़ा रक्खी है बिरहन ने कोई अलख जगा रक्खी है रात कटती नहीं सब्र भी टूटा नहीं दिल के साज पे बाशिन्दों को थपक कौन सी सुना रक्खी है बिरहन .. |
chavanni chap (चवन्नी चैप) फिल्म समीक्षा : वेल डन अब्बा: - हंसी-खुशी के बेबसी -अजय ब्रह्मात्मज इन दिनों हम कामेडी फिल्मों में क्या देखते-सुनते हैं? ऊंची आवाज में बोलते एक्टर, बैकग्राउंड का लाउड म्यूजिक, हीरोइन... |
नन्हा मन गधे नें बसता एक लिया - गधे नें बसता एक लिया विद्यालय में पहुंच गया ए.बी.सी. जब बोली मिस लिया वहां से गधा खिसक बसता कक्षा में ही छोडा देख रहा था सब कुछ घोडा गधे की जगह पे जाकर ब... |
आदित्य (Aaditya) बबुआ विल राईट फ्रॉम बैंकोक.. - सभी तैयारी हो चुकी है.. सामान पैक हो चुका है.. दादा दादी.. नाना नानी.. चाचा चाची.. मामा मामी.. मासी.. और सभी से जोधपुर में मिल लिया..आज मम्मी के साथ जोधपुर.. |
रचनाकार यशवन्त कोठारी का व्यंग्य : लोकतंत्र की लँगोट - [image: Image025 (Mobile)] किसी देश के किसी प्रांत की किसी राजधानी में एक विधान सभा थी। विधान सभा वैधानिक कार्यों के लिए थी मगर प्रजातंत्र का आनंद था। स... |
ताऊ डॉट इन ताऊ पहेली - 67 - प्रिय बहणों और भाईयों, भतिजो और भतीजियों सबको शनीवार सबेरे की घणी राम राम. ताऊ पहेली *अंक 67 *में मैं ताऊ रामपुरिया, सह आयोजक सु. अल्पना वर्मा के साथ आपका ... |
ताऊजी डॉट कॉम वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता में : सुश्री रानी विशाल - प्रिय ब्लागर मित्रगणों, हमें वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता के लिये निरंतर बहुत से मित्रों की प्रविष्टियां प्राप्त हो रही हैं. जिनकी भी रचनाएं शामिल की गई है... |
भारतीय नागरिक - Indian Citizen कितनी मेहनत करती है - कितनी मेहनत करती है, फूलों-फूलों फिरती है. करती है मकरन्द इकठ्ठा, मधु जिससे बनता है.मम्मी-पापा, दादा-दादी सबको अच्छा लगता है…. |
Gyanvani लापता हुए गाँवों और कस्बों का पता ...लापतागंज में जरुर देखे .... - गाँधीजी का कहना था कि " भारत का ह्रदय गांवों में बसता है"। आज भी हमारी ८५ प्रतिशत आबादी गांवों में रहती है। गाँव में ही भारत की सच्ची तस्वीर देखी जा सकती ह... |
काव्य मंजूषा तन्हाई, रात, बिस्तर, चादर और कुछ चेहरे.... - तन्हाई, रात, बिस्तर, चादर और कुछ चेहरे, खींच कर चादर अपनी आँखों पर ख़ुद को बुला लेती हूँ ख़्वाबों से कुट्टी है मेरी और ख्यालों से दोस्ती जिनके हाथ थामते... |
साहित्य योग तुम्ही निकले ........... - सुख चैन छीन कर कहते हो सजा तो नहीं है जलाकर कपूर कहते हो राख तो नहीं है जाऊं भी तुम्हे छोड़ कर तो कहाँ जाऊं *मंदिर, मस्जिद और भगवान भी तुम्ही निकले * अ.. |
अमीर धरती गरीब लोग जो दवा के नाम पे ज़हर दे? - इस देश मे नियम बनने के पहले ही उसके तोड़ ढूंढ लिये जाते हैं।और उसी तोड़ की आड़ मे बड़े-बड़े खेल किये जाते हैं मगर ये सब बड़े लोगों के लिये ही है,छोटे-मोटे लोग अग... |
देशनामा बड़े घर की बेटी...खुशदीप - आज आपको एक सच्चा किस्सा सुनाने जा रहा हूं...ये मेरे एक नज़दीकी रिश्तेदार के घर की बात है...इसे पढ़ने के बाद आपको लगेगा कि हमारे बुज़ुर्गों में भी कितना गजब... |
कुमाउँनी चेली हो कहीं भी जूतियाँ, लेकिन पैर में ही रहनी चाहिए. - सीटियाँ प्रतीक हैं राष्ट्र की एकता का अखंडता का और साम्प्रदायिक सौहार्द का| सीटी बजाने वाले की जाति या मजहब नहीं पूछी जाती | यहाँ ना कोई छोटा होता है ना.. |
आरंभ Aarambha सामूहिकता का आनंद और संस्कार - क्षमा करें मित्रों मैं मित्रों के कुछ सामूहिक ब्लॉगों, जिनसे मैं बतौर लेखक जुडा था, से अपने आप को अलग कर रहा हूँ, वैसे भी मैं इन सामूहिक ब्लॉगों में कोई .. |
"सच में!" कातिल की बात ! - मैं कभी करता नहीं दिल की भी बात, पूछते हो मुझसे क्यूं,महफ़िल की बात? दिलनशीं बुतो की परस्तिश तुम करो, हम उठायेगें, यहां संगदिल की बात। ज़ालिम-ओ-हाकिम यहां.. |
"पति-पत्नी के निजी एकांतिक संसार की तरह बच्चो में भी प्राइवेसी का आग्रह बढ़ने लगा है "----------मिथिलेश दुबे Mar 27, 2010 | Author: Mithilesh dubey | Source: Dubey सभ्यता और संस्कृति के विकास का आरंभ परिवारसंस्था के साथ जोड़ा जा सकता है । पौराणिक और आध्यात्मिक दृष्टि से इसके उद् भव की जो भी गाथायें या कारण हैं, समाज शास्त्रीय दृष्टि से मनुष्य के भीतर जन्मे सहयोग और अनुराग को परिवार का आधार कहा जाता है । सहयोग और सदभाव का जन्म ना होता तो न स्त्री-पुरुष साथ रहते , न संतानों का जिम्मेदारी से पालन होता और न ही इस तरह बनं कुटुंब के निर्वाह के लिए विशिष्ट उद्दम करते बनता । बच्चो को जन्म और प्राणी भी देते है । एक अवस्था तक वे साथ रहते हैं और अपना आहार खुद लेन ... |
'एम. एफ. हुसैन को अदालत या देश का प्रधानमंत्री भी भारत लौटने पर मजबूर नहीं कर सकता': सुप्रीम कोर्ट Mar 27, 2010 | Author: लोकेश Lokesh | Source: अदालत सुप्रीम कोर्ट ने 26 मार्च को कहा कि निर्वासित जीवन बिता रहे मशहूर पेंटर एम. एफ. हुसैन को अदालत या देश का प्रधानमंत्री भी भारत लौटने पर मजबूर नहीं कर सकता। यह कहते हुए अदालत ने हुसैन के खिलाफ देश में चल रहे आपराधिक मामलों को रद्द करने संबंधी जनहित याचिका भी खारिज कर दी। जेएंडके पैंथर्स पार्टी के मुखिया और वरिष्ठ अधिवक्ता भीम सिंह ने हुसैन के खिलाफ चल रहे केसों को खत्म करने के लिए जनहित याचिका दाखिल की थी। अदालत ने कहा कि अगर कोई इंसान दोहा (कतर की राजधानी) में रहने का फैसला करता है तो उसमें ... |
“बहारों के बिना सूना चमन है” Mar 27, 2010 | Author: डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक | Source: उच्चारण “गज़ल” सितारों के बिना सूना गगन है। बहारों के बिना सूना चमन है।। भजन-पूजन, कथा और कीर्तन हैं, सुधा के बिन अधूरा आचमन है। बहारों के बिना सूना चमन है।। |
मिलने जब आउंगा Mar 27, 2010 | Author: अजय कुमार | Source: गठरी सुन लो हे प्राणप्रिये , मिलने जब आउंगा । सारी रात पूनम की , जाग कर बिताउंगा ॥ |
शब्द नहीं चित्र---मौसम है विचित्र Mar 27, 2010 | Author: ललित शर्मा | Source: ललितडॉटकॉम शब्द नहीं चित्र---मौसम है विचित्र |
धर्म के बारे में लिखने ..एवं ..टिप्पणी करने बाले.. तोता-रटंत.. के बारे में यह पोस्ट .... Mar 27, 2010 | Author: कृष्ण मुरारी प्रसाद | Source: लड्डू बोलता है ....इंजीनियर के दिल से..... जीसस जन्म से क्रिश्चन नहीं ...यहूदी थे. ....पैगम्बर मोहम्मद जन्म से मुसलमान नहीं थे....भगवान बुद्ध जन्म से बौद्ध नहीं थे.....भगवान महावीर जन्म से जैन नहीं थे......गुरू नानक जन्म से सिक्ख नहीं थे....हिंदू धर्म में भी बहुत सी धाराएं हैं......कई वेद...कई पुराण....कई उपनिषद.....कई ग्रन्थ हैं...... |
कार्टून : वो कांग्रेसी अमिताभ की फिल्म देख रहा था !!! Mar 27, 2010 | Author: Kirtish Bhatt, Cartoonist | Source: Cartoon, Hindi Cartoon, Indian Cartoon, Cartoon on Indian Politcs: BAMULAHIJA बामुलाहिजा >> Cartoon by Kirtish Bhatt | अर्थ आवर ( सायं 8.30 से 9.30 ) Mar 26, 2010 | Author: देवेश प्रताप | Source: विचारों का दर्पण विकास पाण्डेय यादव राजनेताओं का बहिष्कार ?? Mar 27, 2010 | Author: Ram Shiv Murti Yadav | Source: यदुकुल जाति या समुदाय किसी भी व्यक्ति की बड़ी ताकत होती है। जाति के पक्ष-विपक्ष में कहने वाले बहुत लोग मिलेंगे, पर इसकी सत्ता को कोई नक्कार नहीं सकता। यह एक आदर्श नहीं व्यवहारिकता है। यही कारन है कि जातीय-संगठन भी तेजी से उभरते हैं. सबसे ज्यादा संगठन आपको ब्राह्मणों और कायस्थों के दिखेंगें. ये संगठन जहाँ सामाजिक आधार प्रदान करते हैं, वहीँ कई बार राजनीति में भी अद्भुत गुल खिलाते हैं. आज की चर्चा यहीं पर समाप्त! राम-राम! |
बहुत बढ़िया/ विस्तत चर्चा. अच्छी लगी.
जवाब देंहटाएंअति सुंदर और विस्तृत चर्चा.
जवाब देंहटाएंरामराम.
विस्तृत चर्चा,बहुत बढ़िया.
जवाब देंहटाएंbahut badhiya charcha.
जवाब देंहटाएंपूरे इत्मीनान से विस्तार से की गयी सुंदर चर्चा !!
जवाब देंहटाएंManmohak charcha.. sabhar
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंअति सुंदर और विस्तृत चर्चा.
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रविष्टियों की समग्र विवेचना के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंसुंदर और सम्पूर्ण चर्चा
जवाब देंहटाएंविस्तृत चर्चा,बहुत बढ़िया.
जवाब देंहटाएंविस्तार से की गई बेहद सुन्दर चर्चा!!
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