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सोमवार, जनवरी 10, 2011

साप्ताहिकी फिर आ गयी है…………चर्चा मंच

स्वागत है आप सबका सोमवार की चर्चा में ---------दोस्तों आज वक्त नहीं है इसलिए सीधे चर्चा की ओर चलिए

  सुशील कुमार छौक्कर at तलाश
मैं सुखी होना चाहता हूँ। घंटे भर के लिए नहीं। न ही एक या दो दिनों के लिए। बल्कि पूरी जिंदगी के वास्ते। मेरा ख्याल है हर इंसान सुख प्राप्त करना चाहता है।... दुनिया के अंदर सुख हासिल करने के उतने ही तरीके ...

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नारी के महान बलिदान योगदान के कारण ही भारत प्राचीन में समपन्न और विकसित था . प्राचीन काल में नर-नारी के मध्य कोई भेद नहीं था और नारियां पुरुषों के समकक्ष चला करती थी फिर चाहे वह पारिवारिक क्षेत्र हो या धर्...


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कॉल बेल बजी, मैने उठकर दरवाजा खोला। सामने प्रतिहार था, करबद्ध स्वर्णखचित संदेश पेटिका लिए। उसने कहा-“भन्ते! आपके लिए आम्रपाली का विशेष संदेश है।“ ऐसा कहकर उसने रेशम के कोमल सुगंधित कपड़े में लिपटा हुआ पत्...

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नये साल की पहली सुबह सात बज कर अट्ठावन मिनट पर सूरज मियां कोहरे से जूझ रहे थे दोपहर बारह बजे पीला रंग फोटोजेनिक हो चला ... ये जनाब तो पोज पे पोज देने पर उतारू हैं एक और पोज ओह गुलाबी तुम भी , श...




 

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फिल्म की शुरुआत में ही रिलायंस ग्रुप का बोर्ड लगा दिखे तो ये चिंता दूर हो जाती है कि आप जिस फिल्म को देखने जा रहे हैं, वो बेहद तंगहाली में बनाई गई होगी, इसलिए अच्छी हो या बुरी, निर्देशक के साथ सहानुभूति ज...





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गुनाहगार हूँ मैं..?नव वर्ष के पहले ही दिन मुझसे एक बड़ा गुनाह हो गया है, पर मैंने जानबूझकर ऐसा नहीं किया फिर भी मेरी आत्मा मुझे धिक्कार रही है , आप सोचते होंगें आखिर ऐसा क्या हुआ ? तो जो कुछ हुआ ,बता रहा हूँ- लगभग दो माह पहल...

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मौत के बाद कोई और ज़िंदगी है या नहीं, और अगर है तो कैसी है? यह सवाल हकीक़त में हमारी साधारण सोच और इल्म के दाइरे की समझ के बाहर...


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shikha kaushik at भड़ास blog
एक नए शोध की आवश्यकता है .भ्रष्टाचारी और ह्रदय रोग .जब भी कोई भ्रष्टाचार के आरोप में पकड़ा जाता है उसके दिल में दर्द शुरू हो जाता है .ऐसा क्यों होता है ? यही शोध क़ा विषय होना चाहिए .जिस जनता क़ा शोषण कर ये...

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देवेन्द्र पाण्डेय at बेचैन आत्मा
.................................................................... यादें-7(लीलो लीलो पहाड़िया) से.... चीयाँ पिल्लो की तरह लीलो लीलो पहाड़िया भी एक अलग तरह का खेल हुआ करता। इसका यह नाम क्यों पड़ा यह तो ...

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पी.सी.गोदियाल "परचेत" at अंधड़ !
दक्षिणी दिल्ली के महारानी बाग स्थित उसके उस किराये के फ्लैट का मुख्य दरवाजा आधा भिडा देख दिल को एक अजीब किस्म की तसल्ली सी हुई थी, और शकून भी मिला था कि चलो अपनी मेहनत,अपना खर्च किया पेट्रोल और शनिवार का अ...

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जय कुमार झा at अजय कुमार झा
अभी फ़िलहाल जो स्थिति है उसमें ..दो बातें एक आम आदमी के ज़ेहन में आ रही हैं ..। पहली ये कि …हां गुनाह भी छुपाया जा सकता है और दूसरी ये कि नहीं कानून के हाथ बहुत लंबे नहीं होते हैं …। आज पूरे देश में चर्चा

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उन्होंने कहा था कि मैं उनका *म्यूज* हूँ ,पत्र खालिस अंगरेजी में था.हिन्दी में उनकी कोई गति नहीं थी (अब थोड़ी है ) ...हालांकि वे हिन्दी की दुर्गति नहीं करती थीं -मगर उस सहजता के साथ नहीं लिख पाती थीं जैसी कि...

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  एस.एम.मासूम at अमन का पैग़ाम
*पेश के खिदमत है "अमन के पैग़ाम पे सितारों की तरह चमकें की सत्ताईसवीं और नव वर्ष २०११ की पहली पेशकश ..*संगीता पुरी जी. [image: sangeeta puri] पोस्‍ट-ग्रेज्‍युएट डिग्री ली है अर्थशास्‍त्र में .. पर स...

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*कॉलेज के दिनों के सब के कुछ न कुछ ऐसे पल जरुर रहते हैं, जो जब याद आते हैं तो हंसी रूकती ही नहीं.अभी कल शाम को यही हुआ.पता नहीं अचानक किस बात पे कॉलेज की दो बातें याद आ गयीं, फिर क्या था अपने परम मित्र अकर...

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  vinay bihari singh at divya prakash
विनय बिहारी सिंह एक राजा को तर्क करने का शौक था। वह रोज शिव मंदिर में जाता था। भगवान शिव की विधिवत पूजा करता था। इसके बाद जलपान और राज्य का कामकाज। एक दिन उसने मंदिर के पुजारी से पूछा कि ओउम क्या है। पु...

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  अविनाश वाचस्पति at नुक्कड़
हमारा भला करो ब्‍लॉगरोंएक ख्‍यातिप्राप्‍त राष्‍ट्रीय हिन्‍दी दैनिक में किशोरों और युवाओं के लिए उपयोगी ब्‍लॉगों की जानकारी देने वाला स्‍तंभ शुरू किया जा रहा है। जिसमें उन ब्‍लॉगों पर आलेख प्रकाशित किए जाय...
 

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....गतांक से आगे ..... वर्ष-२०१० की शुरुआत में जिस ब्लॉग पर मेरी नज़र सबसे पहले ठिठकी वह है शब्द शिखर , जिस पर *हरिवंशराय बच्चन का नव-वर्ष बधाई पत्र !!* प्रस्तुत किया गया ।हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग का कोई भी ...

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नीरज बसलियाल at कबाड़खाना 
[कहानी अधूरी है , पूरी कब तक होगी , होगी भी या नहीं , पूरे विश्वास से नहीं कह सकता | अधूरे ड्राफ्ट पढ़ने का भी अपना मजा है | सोचते रहो , अंदाजे लगाते रहो,  कहानी पूरी करो , आपके अन्दर भी तो एक अफ़सानानिगार छ...

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  मनोज कुमार at मनोज
लघुकथा:: वास्तव में…..! *सत्येन्द्र झा* नाटक चल रहा था। नायक नायिका से कहता है, "मेरा और तुम्हारा साथ तो जन्म-जन्मों का है। तुम्हारे प्यार के बिना तो अब एक पल भी जीना मुमकिन नहीं.... !" नाटक समाप्त ...

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डॉ टी एस दराल at अंतर्मंथन 
दिसंबर का अंतिम सप्ताह । यानि बच्चों के साथ खुद भी अवकाश पर । शायद सरकारी नौकरी में यही मज़ा है कि जब चाहो छुट्टियाँ ले लो। बस लिख कर देना पड़ता है कि क्यों ले रहे हो । अब आखिर घरेलु कामों के लिए भी तो छुट्...

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राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ- द्वारा गोहत्या के विरोध मंे चलाये जा रहे अभियान का उद्वेश्य इस प्रश्न पर जन जागरण करना, सम्पूर्ण देश के वयस्क व्यक्तियों के हस्ताक्षरों के रूप में जनमत को अभिव्यक्त करना और दुधारू य...

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  kshama at BIKHARE SITARE
(गतांक: मेरे बारे में ये बात मेरी उस सहेली ने मेरे बचपन के दोस्त,अजय को भी बता दी. अजय ने ब्याह नही किया था. वो अचानक एक दिन मेरे पास पहुँचा और कहने लगा, तुम अपने बच्चों को लेके इस घर से निकल पड़ो. छोड़ दो ...

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  रश्मि प्रभा... at वटवृक्ष
माँ , तुमने महिषासुर का संहार किया नौ रूपों में अपने नारी की शक्ति को समाहित किया ! अल्प बुध्धि - सी काया दी वक्त की मांग पर तेज़ जब-जब अत्याचार बढ़ा तुमने काया कल्प किया ! रक्त में ज्वाला आँख में अग्नि मस्...

24)

  बी एस पाबला at ब्लॉग बुखार
अब शुरूआत हो चुकी है ब्लॉगिंग के लिए सरकारी लाइसेंस लेने की! संभवत: विश्व में पहली बार ऐसा हो रहा है। ताज़ा समाचारों के अनुसार सऊदी अरब के संस्कृति और सूचना मंत्रालय द्वारा अब ब्लॉग, ऑनलाइन समाचार पत्र य...

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  नीरज बसलियाल at कबाड़खाना
[पिछली किश्त से आगे] अगले दिन दरवाजे पर हुई थाप से सुधीर यकबयक चौंक कर उठा | दरवाजा खोला तो प्रोफ़ेसर और मिस अर्चना खड़े थे | "जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई हो भई डॉक्टर " प्रोफ़ेसर ने हाथ आगे बढ़ाया |सुधीर अभी ...

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सर्जना शर्मा- at रसबतिया
मेरे सभी ब्लॉगर साथियों को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं । मैं अपने उन सभी नए ब्लागर मित्रों से पहले तो क्षमा मांगनी चाहूंगी कि उन्होने रसबतिया को हाथों हाथ लिया और मेरी हौसला अफजाई की लेकिन मैं धन्यवाद भ...

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घर बैठे करें अंतरिक्ष की सैर
Computer Duniya  आसमान का अध्ययन इंसान का संभवतः सबसे पुराना शगल रहा है। प्रागैतिहासिक काल से मनुष्य आकाश मे असख्या रहस्यों का पता लगाने मे जुटा है। आखिर आकाश कितनी उचाई पर है, जो नीली छतरी दिखाई देती है, उसके उपर क्या

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  करण समस्तीपुरी at मनोज
-- करण समस्तीपुरी *हमारे ब्लॉग के पांच सौवीं पोस्ट के उपलक्ष्य में आपका अभिनन्दन है। यह सफ़र इतना आसां न होता गर आप न होते। आज का देसिल बयना आपके प्यार और स्नेह के नाम !!* आह.... ई सर्दी तो बड़ा बेदर्द...

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तिरंगा फहराने के जिद की जीतशिरीष खरे

नागपुर । छोटी-छोटी बातों से जिंदगी बनती है और छोटे-छोटे सिरों से कहानी। यह छोटी-सी कहानी भी एक छोटे-से सिरे से शुरू होती है। लेकिन सबको एक बडे जज्बात से जोडती है। नागपुर की गंगानगर बस्ती में कभी तिरंगा नहीं फहराया था।

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  Rahul Kumar at RELIGION, A SILENT CONSPIRACY
स्त्रीवाद तार्किक है और सही है. शायद इसलिए आकर्षक, प्रभावी और बौधिक भी लगता है. एक समाज जो हजारों साल से पुरुष प्रधान और पितृ सत्तात्मक रहा है, वहां आजकल नौजवानों-नवयुवतियों का स्त्रीवादी रुझान वाकई आशाती...

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  वाणी गीत at ज्ञानवाणी
कड़ाके की ठंड पड़ रही है भी दिनों ...शादियों का मौसम भी कुछ समय लिए थमा हुआ है ....हिन्दू समाज में मल मास में शादियाँ या अन्य शुभ कार्य नहीं किये जाते हैं ...मौसम के मिजाज़ को देखते हुए यह ठीक भी है .... ...

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  Puja Upadhyay at लहरें
वो: क्या लिख रही हो? मैं: कुछ वो: कुछ माने? तुमको पता नहीं है कि क्या लिख रही हो. मैं: नहीं वो: तो फिर क्यों लिख रही हो? लिखने का कोई मकसद, कोई मंजिल होनी चाहिए ना? मैं: अच्छा? ऐसा होना जरूरी है ...

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  करण समस्तीपुरी at मनोज
*आँच-51 ‘मेरा गला घोट दो माँ**’* -- हरीश प्रकाश गुप्त निखिल आनन्द गिरि की कविता* **‘**मेरा गला घोट दो माँ**’** *उनके अपने ब्लाग * ‘**आपबीती**’* पर 1 जनवरी 2011 को प्रकाशित हुई थी। यह कविता आज के आँच के ...

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  डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक" at उच्चारण
** *हिन्दी भाषा और साहित्य के विकास में * *ब्लॉगिंग की भूमिका* * * हिन्दी ब्लॉगिंग की आयु सात वर्ष से की हो गई है! जबकि अंग्रेजी ब्लॉगिंग की अवस्था इससे दूनी है! 1997 में अंग्रेजी ब्लॉगिंग शुरू हुई थी और...

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 दो नितांत अजनबी व्यक्तियों के दिलों के तार गिनी चुनी फोन कॉल्स और चंद दिनों की यदा कदा चैटिंग के बाद स्नेह के सुदृढ़ सूत्र में कैसे बँध जाते हैं और कैसे मात्र एक ही मुलाकात युग...

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सुना है नया साल आया है। पहले इस दिन यूरोपियों का नया साल होता था अब हमारा भी इस दिन होता है और याद आ जाए तो उस दिन भी जिस दिन पुरखे मनाते थे और उस दिन भी जिस दिन आस पास के लोग मनाते हों। अभी दो दीपावली पहल...

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  राज भाटिय़ा at पराया देश
पिछले दिनों छत्तीसगढ़ की एक अदालत ने मानवाधिकार कार्यकर्ता और ग़रीबों के बीच में एक अर्से से काम कर रहे डॉक्टर बिनायक सेन को देशद्रोह के लिए आजन्म कारावास की सज़ा सुनाई. उनके साथ माओवादी पार्टी के नेता नार...

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यदि आप एक पालक हैं तो आपके मन में अपने बालक के लिये कई उम्मीदें होंगी कि वह एक डॉक्टर, एक अभियंता, वैज्ञानिक या कोई यशस्वी व्यवसायी बने। मेरा मानना है कि आपकी ये उम्मीदें आपक�...


सेनसेक्स से सन्यास तक [व्यंग्य] - आलोक पुराणिक

यह निबंध उस छात्र की कापी से लिया गया है, जिसने निबंध प्रतियोगिता में टाप किया है। निबंध का विषय था-सेनसेक्स।सेनसेक्स के बारे में, जैसा कि सब जानते हैं, कोई नहीं जानता।सेनसे�...


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लग रहा है जैसे घर भाँय भाँय कर रहा है। दिन भर घर में एक उत्पात जैसा मचाये रखने वाला लड़का!! भैया की शादी के समय वह लखनऊ में थे, और इधर शादी हुई और भैया का पोस्टिंग पटना हो गया। पापा-मम्मी भी खुश, भैया-भाभी...

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आज वो ऐसे धर्मसंकट में थी जहाँ एक तरफ उसके पति की अंतिम इच्छा थी तो दूसरी तरफ पति का ही वचन था किसे वो ज्यादा महत्व दे , बस इसी निर्णय पर पहुँच की कोशिश में वो समय के उस मोड पर पहुँच गयी जहाँ पर उसने ...

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दफ्तर जाने के पहले रवि रोज की तरह अपने बिमार पिता के कमरे में गया। पिता रोज की तरह आंखें बंद किए पड़े थे। दरवाजे से ही मुड़ कर वह अपने काम पर चल दिया। अभी दफ्तर पहुंचा ही था कि पत्नि जया का फोन आ गया, पिताजी...

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कभी नहीं सोचा था, 'अवैध ' या 'विवाहेतर सम्बन्ध ' जैसे विषय पर कभी कुछ लिखूंगी...इसलिए भी कि यह एक रोग मध्यम वर्ग से कुछ दूर ही रहता है. मध्यम वर्गीय पुरुष, कैरियर बनाने में...सर पर एक छत की जुगाड़ में.....

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  सुज्ञ at सुज्ञ
*अपने पिछले लेख और उस पर आयी प्रतिक्रियाओं से चर्चा आगे बढाते हुए………एक नज़र जो विचार प्रस्तुत हुए…* *“……सिर्फ कमेन्ट पाने या खुद को बौद्दिक रूप से संपन्न दिखाने जैसे कारणों या इच्छाओं की पूर्ति के लिए के...

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posted by D.D. Uikey at स्वतंत्र विचार - 3 hours ago
१. संस्कार संक्रमित होते है। जनवरी सन् 1948 को कोच्ची में संघ-स्वयंसेवको के अनुशासन, प्रामाणिकता, समर्पण भाव आदि की सराहना करते हुए सुविख्यात मलयालम लेखक श्री पी.राम मेनन ने श्री गुरुजी से पूछा- इन उत्तम संस...

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posted by Raviratlami at रचनाकार - 3 hours ago
*देह मण्‍डी का आंचिलक सौंदर्य* [image: clip_image004] अजीब विडंबना है कि भारत के कुछ समाजों में समय और समाज ने देह व्‍यापार के अभिशाप को भी सामाजिक संस्‍कार का रूप दिया हुआ है। मध्‍यप्रदेश के सागर जिल...

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कहानी - आत्मतत्व की तलाश ...
 महेन्द्र मिश्र at समयचक्र 
एक पंडितजी थे और उनका स्वभाव बड़ा सरल और सौम्य था साथ ही साथ वे मिलनसार भी थे . पंडितजी कर्मकांड कराने में बड़े दक्ष थे . वे हमेशा कर्मकांड बड़ी ईमानदारी के साथ करते थे . उनकी गृहस्थी ठीक ठाक चल रही थी और ...

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 Raviratlami at रचनाकार 
जैसा कि आप जानते हैं, लोग जो हैं, वो वास्‍तव में बड़े होते हैं। कुछ लम्‍बाई में बड़े होते हैं, कुछ शरीर में और कुछ ओहदे में बड़े होते हैं। आज मैं उन लोगों का जिक्र करूंगा जो ओहदे में बड़े होते हैं, और सा...

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होमियोपैथी अन्य चिकित्सा पद्धतियों की अपेक्षा एक कम खर्चीली और गरीब जनता को स्वास्थ्य लाभ पहुँचाने वाली चिकित्सापद्धति है। आज भाई सतीश सक्सेना जी ने होमियोपैथी के उपयोग से उन की पुत्री के थॉयरॉयड की परेशान...

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इस संसार में कलुषित वाणी बोलने वालों की कमी नहीं है। उससे भी अधिक संख्या तो उन लोगों की है जो दूसरे के दुःख पर हंसते हैं। किसी की परेशानी आने पर उसका मजाक उड़ाते हैं। अगर हम देखें तो आम इंसान सबसे ज्यादा इस...

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नये साल की ये पहली पोस्ट है... तो सबसे पहले तो इस्तक़बाल... ख़ैर मक़दम... ख़ुश आमदीद... २०११ में आप सब का स्वागत है... नये साल की ढेर सारी शुभकामनाएँ आप सभी को... हाँ बाबा, माना ये शुभकामनाएँ थोड़ी सी पुरान...

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  देवेन्द्र पाण्डेय at बेचैन आत्मा
......................................... आनंद की यादें से.... मकर संक्रांति का त्योहार ज्यों-ज्यों करीब आता त्यों-त्यों पक्के महाल के घरों की धड़कने तेज होती जातीं। बच्चे पतंग उड़ाने की चिंता में तो माता-...

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  परमजीत सिँह बाली at ******दिशाएं******
मन की थाह पाना कठिन है पता नही ये सर्दी गर्मी उसको लगती है या शरीर को...अब स्व को कौन समझाये कि तुम्हे जो कहना है कहो....किसी की फिक्र क्या करनी? क्यों उलझते रहते हो इन पचड़ों में। जिसे जैसा मन होगा अपनी स...

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एक बीज बड़ते हुए कभी आवाज़ नहीं करता , मगर एक पेड़ जब गिरता है तो ............. जबरदस्त शोर और प्रचार के साथ ..........! इसलिए विनाश मै शोर है परन्...

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युवा कहानीकार (और मेरे साथी) गौरव सोलंकी को राजस्थान पत्रिका ने इस कहानी के लिए **विशेष सम्मान** दिया है....क्या इत्तेफाक है कि कुछ दिन पहले ही उनकी कहानियों को मेरे ब्लॉग पर डालने के लिए हम दोनों ने समीक...

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पीलिया
जनवरी के वे खास दिन चल रहे थे जब सुबह, दुपहर, शाम,रात सब ठंढ के मोमजामें में लिपटे ठिठुर रहे होते हैं और जगह जगह अलाव पीलिया जैसी बीमार सूरत लिये बुझे बुझे से नज़र आते हैं जिन्हें तापते ऐसा लगता है जैसे स...
 

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posted by दीपशिखा at पंजाबी लघुकथा - 3 hours ago
डॉ. पूनम गुप्त दौरे से वापस आया तो बड़े भाई साहब का फोन मिला, “तीन दिन हो गए नीरजा आई हुई है।” आठ महीने पहले ही नीरजा की शादी हुई थी। नीरजा भाई साहब की इकलौती बेटी है। नाम के अनुरूप ही सुंदर और समझदार। ...

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  पं.डी.के.शर्मा"वत्स" at कुछ इधर की, कुछ उधर की
संसार में उसी व्यक्ति को पूर्ण रूप से सुखी कहा जा सकता है, जो कि शरीर से निरोगी हो. ओर निरोगी रहने के लिए यह आवश्यक है कि बच्चों को उनकी बाल्यावस्था ही से स्वस्थ रखने का ध्यान रखा जाए, उनको संयमी बनाया जा...

59)
  Raviratlami at रचनाकार
*कहानी * *स्वप्न * [image: swapna] उस दिन सुना वह चली गई। जाना तो उसका तय था पर वह ऐसे चली जाएगी मैंने कभी स्वप्न में भी नहीं सोचा था। दरअसल मैं उससे प्रेम करता था और वह भी मुझसे उतना ही प्रे...

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 jindaginama at भड़ास blog
राजकुमार साहू, जांजगीर, छत्तीसगढ़ देश में अभी महंगाई चरम पर है और प्याज है कि लोगों के साथ-साथ सरकार को भी खून के आंसू रूला रहा है। जब से प्याज की दर में इजाफा हुआ है, तब से उसका दर्शन दुर्लभ हो गया है। पिछ...
 

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 shikha varshney at स्पंदन SPANDAN 
क्रेमलिन - वर्ल्ड हेरिटेज साईट में शुमार. घर की मुर्गी दाल बराबर .बस यही होता है. जो चीज़ हमें सहजता से सुलभ हो जाये उसकी कदर ही कहाँ करते हैं हम. और यही कारण होता है कि जिस जगह हम रहते हैं वहां के दर्शन...


62)
*अब ना कोई चाहत ना कोई खोज शायद यही होता है खुद को पाना जहाँ पहुच कर हर चाह मिट जाये जहाँ "मैं "का भास हो जाये हर चिन्ह , हर परछायीं फिर चाहे वो खुद की ही क्यूँ ना हो कोई ना डरा पाए जहाँ "तू" और "मैं"...


63) 
और अंत में दोस्तों मैं ये चाहूंगी कि आप सब इस पोस्ट को पढ़ें और जरूर पढ़ें.........अपने विचारों से लेखक को अवगत कराएं ...........यहाँ लेखक ने एक ऐसा मुद्दा उठाया है जो सबके नज़रिए से अलग अलग हो सकता है ..........सबकी सोचअलग होती है और मुझे लगा कि ये मुद्दा सबके समक्ष  आना चाहिए ताकि इस पर कुछ विचार विमर्श हो सके..................


भाई साहब........एक जानी पहचानी सी आवाज़... अरे.....हर्ष....तुम और यहाँ....? कब आये...? आज सुबह..... सूचना दे देती होती...तो मैं स्टेशन आ जाता......आओ अंदर आओ.....अरे मालिन माँ.....जरा दो कप बढ़िया सी चा...

कहीं ऐसा तो नहीं है...हर्ष की प्रार्थना ने तुम्हारा प्रेम आग्रह.....स्वीकार नहीं किया इसलिए तुम ऐसे हो गए हो..... नहीं ज्योति.....प्रेम किसी पर थोपा तो नहीं जा सकता......मान लो की तुम किसी को प्रेम करती ह...


दोस्तों आज kii  चर्चा को यहीं विराम दे रही हूँ .अगले सोमवार फिर मुलाकात होगी.

24 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छे लिंकों से सजी सुन्दर और विस्तृत चर्चा क लिए आभार!

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  2. अरे आपने तो बहुत लिंक दे डालीं ! आभार !

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  3. इतनी व्यस्तता के बावज़ूद भी मंच को सजाना आपके समर्पण और निष्ठा की मिसाल ही है।
    मंच पर मेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद !
    बिना कमेन्ट के भी मै खुश हु।

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  4. अच्छे लिंकों से सजी सुन्दर चर्चा

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  5. bahut sundar sajai hai sath hi striyon ki post ko aapne pramukhta se sthan dekar ullekhniy karya kiya hai .hamare samaj ki yahi sabse badi vidambna hai ki yahan stri hi stri ki dushman ke roop me sthapit kar di gayee hai aise me aap aur yadi aur bhi mahila lekhika mahilaon ko variyata dengee to uttam rahega.anya links bhi bahtareen hain ab unhi ka avlokan karne ja rahi hoon...aabhar....

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  6. आज पहली बार मेरा यहाँ आना हुआ क्युकी अभी कुच्छ ही समय हुआ हैं ब्लॉग कि दुनियां मै आये हुए पर आप एक ओरत होते हुए हम सबके लिए इतना समय निकाल रही हैं जानकर बहुत ख़ुशी हुई आप सच मै बहुत मेहनती हैं दोस्त ! हम दिल से चाहते हैं कि आप एसे ही आगे बढती रहेँ !
    हमारी पोस्ट यहाँ तक लाने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद !

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  7. itni sardi me kaise kar leti hai itni vistrit charcha ?bahut mehnat ke sath ki gai charcha .mere aalekh ko charcha me sthan dene ke liye hardik dhaywad .

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  8. वंदना जी,

    चर्चा मंच पर मेरी कहानियों का लिंक देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया , हालांकि मुझे लगता नहीं कि लोग लम्बी कहानी पढेंगे | आपने पढ़ी हो तो उसके लिए भी बहुत आभार |

    आपकी मेहनत की प्रशंसा करता हूँ |

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  9. बहुत सुन्दर और सार्थक चर्चा ....सप्ताह भर पर नज़र रख कर अच्छे लिंक्स का संयोजन किया है ...

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  10. वंदना जी,
    आप सचमुच बधाई की पात्र हैं चर्चा मंच के लिए ब्लॉग चुन कर निकालना उस पर चर्चा करवाना , एक तो समय बहुत चाहिए आप इतना समय हम सब के लिए निकालती हैं धन्यवाद , मेरे जैसे नए ब्लॉगर को च्रर्चा मंच के प्रतिष्ठत पन्ने पर स्थान दे कर आपने मुझे प्रोत्साहित किया है . आज की सभी रचनाएं उम्दा है सबता अपना फ्लेवर है . हम सबको आपको एक दिन सम्मानित करना होगा आपको ब्लॉग श्री या ब्लॉग रत्न से नवाजेंगें एक दिन एक बार फिर बधाई

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  11. आपकी चर्चा चिट्ठाजगत की कमी पूरी कर देती है.
    बहुत आभार अच्छी चर्चा के लिए.

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  12. अच्छे लिंकों से सजी विस्तृत और सुन्दर चर्चा, वन्दना जी ! व्यस्तता की वजह से ब्लॉग भ्रमण ना के बराबर होने के लिए क्षमा चाहता हूँ !

    जवाब देंहटाएं
  13. बहुत मेहनत से की गई चर्चा के लिए वन्दना जी को वन्दन ॥

    जवाब देंहटाएं
  14. इतने सारे लिंक कैसे सहेज लेते हैं आप लोग :)
    नि:संदेह बहुत कामगार. धन्यवाद.

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  15. बहुत मेहनत से तैयार की गयी सुंदर पोस्‍ट .. सप्‍ताह भर के महत्‍वपूर्ण लिंक पढने को मिले .. आपका आभार !!

    जवाब देंहटाएं
  16. जबरदस्त मेहनत का ही नतीजा है जो
    इतनी सुन्दर चर्चा निकलकर सामने
    आई है, बेहतरीन लिंक्स मिले..आभार !

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  17. बहुत सुन्दर चर्चा वन्दना जी ! मेरे आलेख को आपने इसमें स्थान दिया इसके लिये आभारी हूँ ! सभी लिंक्स बेहतरीन हैं ! आपका धन्यवाद एवं शुभकामनायें !

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  18. bahut sundar charchaa .. aur links kee fuljadiyaan.. Vandnaa ji kamaal... sundar charcha... Dr Nutan Gairola

    जवाब देंहटाएं
  19. बहुत अच्छी विस्तृत चर्चा ...
    आभार !

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  20. इतने सारे सुन्दर लिंक्स को एक जगह एक अच्छे प्रस्तावना के साथ सजा लेना बड़ी मेहनत का काम है आपको कोटिश बधाई।

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  21. नये साल में नया कलेवर ,अच्छी चर्चा

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  22. आदरनिया वन्दना जी..

    नमस्कार..

    प्रतिक्रिया में देरी के लिए क्षमा चाहता हूँ.. मै व्यक्तिगत कारणों से बाहर होने के कारण सोमवार को चर्चा मंच पर मेरे एक साथ 2 लेख शामिल किए जाने पर धन्यवाद नही दे पाया..
    मुझे बहुत खुसी है कि हमारे संपूर्ण संसार की देव आत्मावो के शक्ति पुंज की प्रतीक हमारी गोमता को समर्पित मेरा लेख और श्री गुरुजी जिन्होंने राष्ट्र सेवा और जागरण हेतु अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर दिया उनसे संबंधित लेख आपकी चर्चमंच में शामिल किया गया..
    कंप्यूटर केए उतनी जानकारी नही होने और शिक्षक जैसा जिम्मेदार दायित्व कंधे पर होने के कारण होने वाली व्यस्तता के कारण मै आप लोगो के संपर्क में आने के लिए थोड़ा आश्रित हो जाता हूँ.. फिर भी के.आड़.बारस्कर जी जिन्होंने संचार क्रांति के इस बड़े माध्यम से मुझे परिचित कर उसमें मुझे शामिल करने हेतु प्रोत्साहित कर पूर्ण सहयोग दिया ..इनके सहयोग से मै अपनी लेखनि को आप लोगो तक पहुँचा पा रहा हूँ... और आप जैसे महान अनुभवी ब्लॉगर मेरी लेखनि को आपने साथ चर्चा में शामिल करते है तो मुझे बहुत गर्व मेह्सूस होता है..

    आपका ही

    डी.डी. उइके

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  23. What's up, this weekend is pleasant in support of me, for the reason that this time i am reading this enormous educational article here at my house.
    My webpage: taken from

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