चलें फिर चर्चा मंच की ओर .............आपकी दिनचर्या आपका इंतज़ार कर रही है इसलिए कोई गप्पबाजी नहीं ............सीधे चलिए और अपनी पसंद को चुनिए
अपना थका शरीर तुम्हें सौपने के लिए कितनी वजह काफी है
ये तो पता नही
तो चाँद क्या करेगासिर्फ़ आहें भरेगा
क्या मैं सच में आत्मा से मिली थी...सर्जना शर्मा
ऐसा होता है………
लॉफ्टर की ट्रिपल डोज़...खुशदीप
दीजिये …………हम तैयार हैं
***गुरु गोबिंद सिंह जी ***
नमन है
सिर्फ सेहत के सहारे जिन्दगी कटती नहीं
बात तो सही है …………और भी बहुत कुछ चाहिये
आत्ममंथन की प्रक्रिया मे……………………(2)
लगे रहो ………शायद कुछ हाथ लग जाये
कवि १९७०
कुछ कहने लायक छोडा ही नही
कहो कि जीना है-
कैसे?
सुख ! चैन ! प्यार ! नदिया के पार।
बिल्कुल सही
शमा हूँ मैं.........
जलना मेरी फ़ितरत्……मगर जला भी सकती हूँ
रिल्के उदासियों के बीच
कितनी गहरी………।
एक-खबर पर इंसानियत बेखबर
इंसानियत कब सोचती है?
मुहब्बत नहीं है, तो फिर और क्या है ?
बिल्कुल जी………मोहब्बत ही है
"और बच्चे बड़े हो गए"
देखा पता भी नही चला
इंतज़ार रहता है
यही ज़िन्दगी का सच है
यूं ही जननी नही कहते सब ....
ये तो सही बात है
ज़रूरी है अब, ब्लॉगिंग के लिए सरकारी लाइसेंस!!
और क्या क्या जरूरी होने वाला है एक बार मे बता दो ………क्यों तडपा तडपा के मार रहे हैं
"क्या पार करेगा" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
जिसने बनाया संसार है
उसकी रचना का ना पाया पार है
फिर कैस तू भव से पार है
आईटी की पीड़ा
जब सभी पीडित हैं तो ये क्यों पीछे रहे…………
टिप्पणियों की अनिवार्यता और माडरेशन का नकाब ?
वक्त की जरूरत
मैं एक विस्फोट भी हूँ
सही कह रहे हैं
भाई एक अमीर आदमी
इससे अमीर और कौन्………आज के ज़माने मे
ओ महाकाल -- अम्बर का आशीष से ----- ललित शर्मा
गज़ब है
नरक ही है, तुम्हारे लिए किताबी, उनके लिए जवाबी(?) - पहला भाग
ये क्या कह दिया
इस फोन काल से सचेत रहें
बिल्कुल रहेंगे जी
उफ्फ़ यह ठंड तो आइडियाज् तक को जमा देती है... टैंट के भीतर से एक पोस्ट खास आपके लिये !
लगे रहो मुन्ना भाई………जब तक नही मैडम आतीं
लगे रहो मुन्ना भाई………जब तक नही मैडम आतीं
गृह निर्माण एवं गृह प्रवेश में मुहूर्त विचार
जानिये ये भी
कड़कड़ाती ठण्ड : गरीबों के लिए अब आग तापना दिवास्वप्न से कम नहीं हैं,,,,
बिल्कुल सही बात
जानिये ये भी
कड़कड़ाती ठण्ड : गरीबों के लिए अब आग तापना दिवास्वप्न से कम नहीं हैं,,,,
बिल्कुल सही बात
जलती मशाल
दीदार-ए-युसुफ खान
ओये -होए.......... क्या बात है
कल्पना नहीं कर्म ................संजय भास्कर
सच कहा
अतुल जी का जाना,एक अपूर्णीय क्षति
नमन
बयाना ........मेरी स्मृति में.
बता दीजिये
बादल (बाल -कविता )
कारे कारे बदरा
अलबेला जी ने मचाई धूम सांपला में
और आपने क्या किया ?
बस पराई पीड़ देख
तो फिर अपनी का क्या होगा?
दो दीवारों सी जिन्दगी..
अब दीवारों के पार कुछ दिखाई नहीं देता
चलिए दोस्तों हो गयी आज की दिनचर्या पूरी .........अब फिर मिलेंगे तब तक के लिए ..........सायोनारा
सुप्रभात शास्त्री जी //
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर चर्चा ...विविध रंगों की
मैं वंदना जी का बहुत aabhari hun ...चर्चा manch me aane ke baad mere paathak varg me badhotari aaii hai
ReplyDeleteइतनी ठण्ड में भी ब्लॉग पढ़ लेती हो ...
ReplyDeleteशुभकामनायें !
बहुत बढ़िया चर्चा .... पोस्ट को सम्मिलित करने के लिए आभार ....
ReplyDeleteअच्छी पोस्टें .
ReplyDeleteपर्याप्त और अच्छे लिंक उपलब्ध कराए हैं, पर फोन्ट साइज बहुत बड़ा है।
ReplyDeletecharcha manch par aapki post ka intzar karna hi aadat me shamil ho gaya hai.aapki mehnat se charcha manch me char chand lag jate hain.sarthak links.sundar prastuti.aabhar...
ReplyDeleteअच्छी रचनाएं मिली,आभार।
ReplyDeleteसायोनारा......बहुत बढ़िया चर्चा
ReplyDeleteek aur kadkadati thand to ek aur jalti mashal,
ReplyDeletemila kar bhinna links ko aapne kar diya kamal.
meri 2-2 post lene ke liye hardik dhanyawad.aabhar.
वंदना जी बहुत बहुत आभार आपका इन सब पोस्टो को एक ही जगह इतने सुन्दर तरीके से प्रस्तुत करने के लिए !
ReplyDeleteऐसे में एक ही सवाल जहेन में आता है कि जब कुछ लोग यह कह रहे हो कि आजकल हिंदी ब्लॉग जगत में चर्चा करने योग्य पोस्ट लिखी ही नहीं जा रही है ऐसे में क्या हम लोग पाठको को रोज़ रोज़ नए नए पोस्ट से रूबरू नहीं करवा रहे है ? क्या जिन पोस्टो के लिंक हम देते है वह उम्दा दर्जे की नहीं है ... क्या उन पोस्टो के लेखक इतने दिनों से बेकार में ब्लोगिंग कर रहे है ? हिंदी ब्लॉग जगत में यह कैसा चलन चल निकला है कि अपने को बड़ा बताने के लिए बाकी सब को छोटा कर दो !! ज़रा सोचियेगा !
बहुत ही सुन्दर चर्चा ...वन्दना जी आपका श्रम सार्थक हुआ ....बधाई इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिये ।
ReplyDeleteवाह जी, बक बक की भी चर्चा ......
ReplyDeleteब्लोगिंग का बुखार.....
जय राम जी की.
आज की दिनचर्या देर से शुरू हुई ...
ReplyDeleteकुछ पढ़ी हुई हैं , कुछ पढ़ते हैं बारी- बारी !
Is vistrit charcha ke liye abhar ... kai acche rachnaon ko samete hain aapne ...
ReplyDeletemeri rachna ko bhi sthaan dene ke liye shukriya !
आज का अंक देरी से प्राप्त हुआ । आपके चुनिन्दा परिश्रम के साथ अनपढी रचनाओं पर अब नजर दौडाते हैं ।
ReplyDeleteमेरे आलेख "टिप्पणियों की अनिवार्यता और माडरेशन का नकाब" को चर्चामंच में स्थान देने के लिये आपका आभार...
अच्छी चर्चा अच्छे लिंक्स।
ReplyDeleteसप्ताह में दो दिन नियम से अच्छी चर्चा करने के लिए यह नाजीज आपका आभारी है!
ReplyDeletebahut badhiya aur sarthak charcha...abhi links tak jaana sambhav nahi hai ..fir bhi bahut se padh liye hain ..bas tippni nahi kar paayi :)
ReplyDeleteबहुत ही नायाब अंदाज़ है,चर्चा का...
ReplyDeleteबढ़िया पोस्ट्स के ढेरों लिंक मिले.
रंग विरंगी सार्थक चर्चा.
ReplyDeleteसुन्दर चर्चा!
ReplyDeleteपढने को बहुत सारे लिंक मिले .. आपका आभार !!
ReplyDeleteइस सुंदर चर्चा में सम्मिलित करने के लिए आपका हार्दिक आभार।
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर चर्चा ..
ReplyDeletepriya bandana ji
ReplyDeletesadar pranam !
bahut sundar srijano ka sanyojan . sundar prayas ke liye
bahut -2 badhayi
charcha-manch men man dene ke liye ,aabhar .
इस सुंदर चर्चा में सम्मिलित करने के लिए आपका हार्दिक आभार।
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर चर्चा ..शुभकामनायें !
ReplyDeleteare wah...ye to khubsurat rachnao se saja khubsurat guldasta jaisa hai...bahot achcha laga charcha manch...meri rachna ko bhi shamil karne ka dhanyawaad bandna jee.
ReplyDeleteवंदना जी चर्चा अच्छी रही..लिंक देख रही हूँ.. बदिया चयन है.. शुभप्रभात
ReplyDelete.
ReplyDelete.
.
हा हा हा,
अच्छा है,
'मुन्ना भाई' का शुक्रिया कुबूल फरमायें!
...
सुन्दर सार्थक ब्लोग चर्चा.. और पठनीय सामाग्री एक ही स्थल पर उपलब्ध करवाने के लिये आभार
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