नमस्कार मित्रों! कल शाम चर्चा करते करते कुछ ज़रूरी उलझनों से चर्चा पूर्ण नहीं कर सका, इसलिए क्षमायाचना सहित अधूरी चर्चा पेश कर रहा हूं।
१. Rajiv की चाहत
जहाँ चलते हैं / लू के बेरहम थपेड़े / गर्म हवाओं में बहता है / पानी का भरम.
२. पं.डी.के.शर्मा"वत्स" लेकर आए हैं
३. Kusum Thakur सुना रही हैं विद्यापति गीत ( कनक भूधर ) :: कवि कोकिल विद्यापति मिथिला के घर घर में अब भी अपनी रचनाओं के माध्यम से बसे हैं . ऐसा कोई भी शुभ कार्य नहीं जहाँ विद्यापति की रचनाओं को ना गाया जाता हो . शुभ कार्यों में भगवती या देवी स्तुति तो आवश्यक है . मिथिला वासी शिव शक्ति की पूजा करते हैं और हर शुभ कार्य का प्रारंभ देवी की स्तुति से होता है .
४. वन्दना अवस्थी दुबे का मन है कि पढी हुई कहानी सुन भी लें..... :: कहानी सुनवाने की इच्छा को, वरिष्ठ जनों के आग्रह ने और हवा दी. असल में ये सब एक साजिश है, आपको दोबारा कहानी झेलवाने की :) चलिये, सुन ही लीजिये, इस कहानी का प्रसारण दो साल पहले आकाशवाणी से हुआ था!!!!
५. कुमार राधारमण बता रहे हैं पोलियो उन्मूलनःलक्ष्य और उपलब्धियां :: यह आमजन के लिए अत्यंत चिंता का कारण हो सकता है कि पोलियो पर हमारे देश का ३.८५ करोड़ रुपए प्रतिदिन का खर्च जो प्रतिवर्ष १४०० करोड़ रुपए होता है, को बचा कर देश के अन्य स्वास्थ्य कार्यक्रमों में खर्च कर सकेंगे।
६. शिक्षामित्र बता रहे हैं पढ़ाई पर छिड़ी लड़ाई :: इस तरह के टकराव की शुरुआत दिल्ली में तो हो भी चुकी है। दिल्ली में निजी स्कूलों में २५ प्रतिशत सीटें गरीब परिवारों के बच्चों के लिए के आरक्षित करने के सवाल पर दिल्ली सरकार और निजी स्कूलों के संचालकों में ठन गई है।
७. Rangnath Singh बता रहे हैं पश्चिम से हम क्या सीख सकते हैं ? – 3 :: किसी प्रगतिशील समाज का सबसे महत्वपूर्ण गुण उन लोगों के प्रति सम्मान है,जिन्होंने उससे ज्यादा उपलब्धि हासिल की है,और उनसे सीखने की इच्छा है। इसके विपरीत,हमारे नेता हमें विश्वास दिलाते हैं कि दूसरे समाज ऐसा कुछ नहीं जानते जो अपनाने लायक हो।
८. चला बिहारी ब्लॉगर बनने की सज़ा :: सजा के तौरपर उनका तबादला इलाहाबाद कर दिया गया, सिर्फ एक महीना के लिये. एक महीना के बाद फिर से कानपुर में बहाली. इलाहाबादमें उनको कोई काम नहीं दिया गया. सिर्फ बईठकर एक महीना का बेतन मिलना था उनको.
9. पवन *चंदन* ऐलान करते हैं हिन्दी का प्रयोग न करने को देश में क्राइम घोषित कर दिया जाना चाहिए :: इस समाचार को ब्लॉगहित में कहीं भी प्रकाशित किया जा सकता है।
१०. विरेन्द्र सिंह चौहान का पूछना है आखिर क्यों? ::
'दिल्ली मेट्रो' की.....
एक स्वागत योग्य शुरुआत.....
उन लोगों के लिए..... / एक 'मुसीबत' बन गई है! / जो 'दूसरों के अधिकारों' की...
कभी परवाह नहीं करते!
११. Ana का कहना है
अपने अस्तित्व को ढूँढती हुई
दूर चली जाती हूँ
मै नारी हूँ ....
अस्मिता को बचाते हुए
धरती में समा जाती हूँ !
12. Satish Chandra Satyarthi की
१३. पी.सी.गोदियाल "परचेत" का अग्नि-पथ ! ::
शिक्षित समझता श्रेष्ठतर है,विलायती बोलकर, बहु-राष्ट्रीय कम्पनियां नीर भी, बेचती तोलकर, देश-संस्कृति दूषित कर रहा,पश्चमी परिवेश है, गणतंत्र बेशक बन गया, स्वतंत्र होना शेष है!!
१४.
सुन्दर चर्चा ...........
जवाब देंहटाएंदे रहा है अमन का पैगाम भारत..डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक
जवाब देंहटाएंसंक्षिप्त लेकिन उपयोगी चर्चा ..आभार
जवाब देंहटाएंउपयोगी चर्चा ,आभार
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा ..
जवाब देंहटाएंसुन्दर, संक्षिप्त, उपयोगी चर्चा ..आभार !
जवाब देंहटाएंsare links achchhe hai ............abhar
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा..
जवाब देंहटाएंछोटी पर सुन्दर उपयोगी चर्चा.,
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा....
जवाब देंहटाएंभाषा,शिक्षा और रोज़गार ब्लॉग का आभार स्वीकार किया जाए।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा
जवाब देंहटाएंसार्थक चर्चा -अच्छे लिंक्स .आभार
जवाब देंहटाएंसंक्षिप्त पर महत्वपूर्ण पोस्ट समेटती चर्चा .. आभार !!
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक व् व्यवस्थित चर्चा .आभार .
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा ...........
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा !
जवाब देंहटाएंसारगर्भित पोस्टों की चर्चा करने के लिए आपका आभार!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर और विस्तृत चर्चा । शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंसंडे सन्नाट चर्चा
मनोज जी उलझन ने आपको कितना भी परेशान किया हो पर आपने चर्चा बहुत साफ़ सुथरी और सुलझी की है .. अपने ब्रोड बेंड की गडबडी की वजह से मेरा कार्य स्लो हो गया है.. और नेट पर काम नहीं हो पा रहा है.. अतः देरी के हुवी... किन्तु कहते है देर आई पर दुरस्त आई .. और अच्छे लिंक मिले..
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