आज बुधवार है!
पेश है एगेरीगेटरनुमा चर्चा! आज हम सबसे पहले आपको कुछ मजेदार कार्टूनों की झलक दिखाते हैं! |
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- बामुलाहिजा >> Cartoon by Kirtish Bhatt
www.bamulahija.com
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यह कार्टून हमारे मन को लुभाते हैं!
विचार कीजिए कि इनको बनाने में कितना परिश्रम लगता होगा और सबसे बड़ी बात तो यह है कि आईडिया को मूर्तरूप देने के लिए दिमाग कितना खपाया होगा इन कार्टूनिस्टों ने! |
एक हजार : एक बाबू ...
एक लाख : एक अफसर... एक करोड़ : एक आई-ए-एस ... 500 करोड़ : एक कोड़ा... 1,000 करोड़ : एक राडिया... 10,000 करोड़ : एक कलमाडी... 100,000 करोड : एक राजा... उपरोक्त सभी संख्याओं का योग : एक शरद पवार... और एक रुपया : एक भूखा हिंदुस्तानी ... |
दूसरी पोस्ट जो सबसे अधिक पसंद आई वह है
आदमी जन्म लेता है माँ सेऔर ताजमहल बनाता है अपनी बीवी के लिए ?Tajmahal for a wife
आज रिश्तों की अज़्मत रोज़ कम से कमतर होती जा रही है। रिश्तों की अज़्मत और
उसकी पाकीज़गी को बरक़रार रखने के लिए उनका ज़िक्र निहायत ज़रूरी है। मां का रिश्ता एक सबसे पाक रिश्ता है।............ |
वर्षांत पर जिस लक धक और धूमधडाके की अपेक्षा रहती है , उसके साथ ही शिक्षा के व्यवसाय को आगे बढाने के लिए सर्वथा उपयुक्त समय होता है । विशेषकर महानगरों में बच्चों का स्कूल में दाखिला किसी भी सूरत में किसी आपातकालीन स्थिति सरीखा , किसी बडी प्रतियोगिता परीक्षा की तरह और उससे भी बढ कर अपने स्टेटस में एक विशेष तमगा लगाने जैसा कुछ कुछ हो गया है । आज महानगरीय मां बाप अपने बच्चों जिन्हें शिशु कहना ज्यादा ठीक होगा की शिक्षा के प्रति इतने ज्यादा सजग हो जाते हैं कि वे अपने करियर के लिए भी क्या चिंतिंत होते होंगे । इस समय पर स्कूल प्रशासनों की मनमानी अपने चरम पर होती है । स्थिति इतनी विकट होती....
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लेखक बंधु उत्तम क्वालिटी में सस्ती दरों पर अपनी पुस्तकें प्रकाशित कराने हेतु भी अब हमसे सम्पर्क कर सकते हैं.
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अब पानी पर भी दौड़ेगा प्लेन...
अंडमान में रहते हुए परिवहन के विभिन्न साधनों का एक साथ आनंद लिया जा सकता है. हवाई जहाज, हेलीकाप्टर, क्रूज, जलयान (शिप) और अब सी-प्लेन. द्वीपों के लिए देश का पहला सी प्लेन पोर्टब्लेयर में 30 दिसम्बर, 2010 को को उपराज्यपाल द्वारा समर्पित किया गया। देखने में हैलीकॉप्टर की तरह लगने वाला सीप्लेन पानी पर भी लैंड कर सकता .......
यह थी मेरी पन्दीदा पोस्ट!
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अब आप एग्रीगेटर के रूप में कुछ पोस्ट देख लीजिए!
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"अकेला चना भी भाड़ फोड़ सकता है"
*दोस्ती हो तो ऐसी ..........| रिया और पूजा की दोस्ती को जो भी देखता अनायास उसके मुँह से यह बात निकल हीं जाती | बचपन से दोनों साथ खेली ,पढ़ी साथ में हीं बड़... |
स्फूर्ति के लिए "हलासन" - जैसे-जैसे समय बदल रहा है, सभी के काम करने का अंदाज भी बदल रहा है। ऐसे में हमारी कार्यक्षमता भी कम हुई है। अधिकांश लोग जल्दी थक जाते हैं और थकान महसूस करने...
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कादम्बिनी में ब्लॉग एग्रीगेटर्स पर आधारित आलेख - सितम्बर 2007 की मासिक पत्रिका कादम्बिनी के स्तंभ आईटी नुक्कड़ में (तत्कालीन) हिन्दी ब्लॉग एग्रीगेटर्स पर आधारित आलेख
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अब मान हीं लेना है... -* तुम बहुत आगे निकल गए मैं बहुत पीछे छूट गई, कैसे दिखाऊं तुमको मेरे पाँव के छाले, तुम्हारे पीछे भागते भागते कांटे चुभते रहे फिर...
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उजला आसमां ( काव्य - संग्रह ) - पिछले अप्रैल माह की एक शाम थी... यूँ ही बैठी अपने ब्लॉग की कविताएँ उलट पलट कर रही थी .कि पीछे से बेटे ने आकर कहा - अरे इतना शौक है कविता लिखने का ,......... |
दोस्ती - " दोस्ती मे शीध्रता मत करो ,यदि करो तो अंत तक निबाहो " मेरा भी यही फलसफा है की मित्रता मे शीध्रता नही होनी चाहिए --क्योकि इन्सान को हर रिश्ता जन्म के साथ ... |
जाने क्यों??? -
. आज इन पलकों में नमी जाने क्यों है रवानगी भी इतनी थकी सी जाने क्यों है जाने क्या लाई है पवन ये बहा के सिकुड़ी सिकुड़ी सी ये हंसी जाने क्यों है. खोले बै... |
** *सेवा का व्रत धार लिया है।* *मानवता से प्यार किया है।। * * * *रंग बहुत थे ढंग बहुत थे,* *कभी न उल्टा पथ अपनाया,* *जिसको अपना मीत बनाया,* *उससे ही है धोखा... |
महबूब के आगोश में सभी को जाना है
- तकदीर ने लिखा जिन्दगी का तराना है महबूब के आगोश में सभी को जाना है करते रहते हैं इंतज़ार ख़ुशी के ख़त का खुले खतों में हर्फों सेही दिल बहलाना है जो करते है... |
'दरिंदगी का कारोबार..' - जीवन की भौतिक विलासता ने अपने पैर मजबूती से पसार लिए हैं..इसका भुगतान पर्यावरण को अपनी देह का त्याग करके चुकाना पड़ रहा है..!! ... |
तमन्ना-एक लघु कथा
- -----कितने रंग है दुनिया में लेकिन तुम तो बस अँधेरे में खो जाना चाहती हो जिसमे केवल काला रंग है .मै तुम्हारे दुःख को जानती हूँ लेकिन इस तरह जीवन को बर्बाद ... |
खटीमा ब्लोगर मीट में पढ़ा गया आलेख अभिव्यक्ति में - *विगत दिनों खटीमा ब्लोगर मीट की गूँज पूरी दुनिया में सुनाई दी, आज **खटीमा ब्लोगर मीट की अभिव्यक्ति **अभिव्यक्ति पत्रिका** में देखकर सुखद एहसास हुआ ! * ...
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*( नई उम्र का प्रेम कितनी कोमल अनुभूतियों से निर्मित होता है इसकी एक बानगी यासूनारी कावाबाता की यह कथा दिखाती है. यासूनारी कावाबाता का जन्म 1899 में जापान ...
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कहानी: खुशबू जैसे लोग . - रिश्तों की खुशबू के लिए चलो दूर हो जाते हैं जो पाया जो खोया उसका गिला नहीं एक खुशबू है उसे जिंदा रखें चलो दूर हो जाएँ ...... ** *रश्मि प्रभा* =... |
दिशाबोध
- *दिग दिगन्त तक दिग्भ्रमित * *करतीं अनंत मृगतृष्णायें* *दिशाभ्रम का बोध कराती हैं* *जीवन दिशाहीन बना जाती हैं* *मगर दीप सा देदीप्यमान होता* *आस का दीपक * *दि... |
आज का सद़विचार '' सबक ''
- सफलता की खुशियां मनाना ठीक है, लेकिन असफलताओं से सबक सीखना अधिक महत्वपूर्ण है .... |
तुम्हे मुझसे बेहद मुहब्बत थी, पर मुझे मुहब्बत की समझ कम थी, तुम्हारे वादे, तुम्हारी कसमें मुझे बस बातें लगती थी, तुम्हारी वो इकतरफा मुह...
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- लहलहाती हैं फसले खेतों में,दाना चिड़ियों को, मयस्सर भी नहीं। परिंदे यूं हैं शामिल उड़ानों में,जो ना कतरवाए पर, वो परिंदा नहीं। धुल गए शहर के शहर बरसात से,म...
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सजा की कीमत - --
सत्येन्द्र झा "तमाम सबूत ओ गबाहों के बयानात के मद्देनजर.... अदालत उम्रकैद की सजा मुक़र्रर करती है।" न्यायाधीश महोदय ने फैसला सुनाया। वह मुस्कुरा उठा। ... |
प्रिय भाईयो और बहणों, भतीजों और भतीजियों आप
सबको घणी रामराम ! हम आपकी सेवा में हाजिर हैं
ताऊ पहेली
अंक - 109
का जवाब
लेकर.
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- सिर्फ़ सुनिए.....(गलतियों
के लिए माफ़ भी किजियेगा) यहाँ-- इसके पहले के भाग सुनने के लिए मिलेंगे --और
पढियेगा यहाँ
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- जी हाँ यह है मेरा परिवार. हम रोजाना कोई ना
कोई लेख लिखते हैं, दूसरों को पढ़ते हैं,
नाराज़ भी हो जाते
हैं, कभी
झगड़ भी जाते हैं आखिर है तो यह अपना परिवार...
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- पोस्ट पढ़ने से पहले दो बातें... पहली
वैधानिक चेतावनी...*अल्कोहल का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है...* * * दूसरा
मेडिकली टेस्टेड फॉर्मूला...*हंसना स्वास...
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- हम पहिले जऊन ऑफिस में थे,
वहाँ ऑफिस त खुलता था
दस बजे, मगर हमरा काम साढ़े नौ बजे से सुरू हो जाता था. बस
एक के बाद एक लगातार टेलीफोन पर टेलीफोन. एगारह बजे ...
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- चथरू कू बाबा न चथरू तै ब्वालीचल बेटा
ब्वारी देखी औला..!पाली गौंव की पधान जी की नौनी कू टिपडा ले औला..!!बहूत चर्चा
सूणी छ ती नौनी कीचल जरा जाची पूछी ये औला.. ...
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इस बार जैसी ठंड तब भी पड़ी थी। क्या
इंसान क्या पशू-पक्षी सभी बेहाल हो गये थे। ऐसे ही में एक गिद्धराज अपनी सर्दी
दूर करने के लिए धूप में एक वृक्ष की फुनगी पर बैठे थे। उसी समय उधर से यमराज का
निकलना हुआ। उनको जैसे ही पेड़ पर बैठा गिद्ध नजर आया उनकी भृकुटी पर बल पड़ गये
पर उन्होंने कहा कुछ नहीं और अपनी राह चले गये। वे तो अपनी राह चले गये पर उनके
तेवर ..
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छोटे हों तो उम्र बताने में कोई हर्ज
नहीं , इसी तर्ज पर मैं ये साफ़ कर दूँ कि
अनुवाद की ये मेरी पहली कोशिश है |
अशोक भाई के
आह्वान पर कल थोड़ा सोचकर मैंने पाया कि ख़लील ज़िब्रान साहब के लिखे से मैं काफी
प्रभावित हूँ | फौरी तौर पर उनकी बिलकुल अलहदा सोच से, जो किसी लेखक के बनिस्बत सूफी संतों के
ज्यादा करीब लगती है | यायावरचौराहे पर वह मुझे मिला, चो ...
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[चित्र साभार:गूगल] बचपन में रोज़ सुबह
मैं आसमां को ताका करता था और देखा करता था झुण्ड के झुण्ड अनोखी आकृतियाँ बनाकर
उडती जाती चिड़ियों को उनमे से कुछ आ जातीं उतर आतीं मेरे घर के हाते में नीम्बू
के पेड़ पर दिन भर सुनातीं अपना संगीत जाड़े की धूप में बाहर फैली हरी दूब पर
आपस में अठखेलियाँ करतीं नन्हीं गौरय्या
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(मुक्तक) बाहरी सज्जा का अपनी पूरा ध्यान
कीजिये, हमसे भी share अपना
ज्ञान कीजिये|[..]
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बादल बरसे पूरे मन से तो आज मिला आराम पान थूंकी दिवारें धूल
गई संकड़ी गलियाँ चमक उठी कामनाएं पूर गई आज मिला आराम बहता पानी पोंछ गया
घू-गंदी के आंगन को किस मुंह से याद दिलाऊँ ज़मीं गड़े खूंटों पर कभी बंधा करते
थे सजे-धजे हाथी घोड़े ऊंट नाचते थे जी बहलाते थे नट-नटनी यूं इतिहास बुना करते थे बाकी बचा न ऐसा आलम शान-शौकत चली गई मुझ जर ...
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छपते-छपते
------------------- राजभाषा हिंदी
हिंदी आलोचना - *मनोज कुमार*
काव्य शास्त्र की परंपरा काफी पहले से चली आ रही है। पर आलोचना का एक शास्त्र के रूप में उद्भव और विकास काफी बाद में हुआ, बल...
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- केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा 20 दिसंबर 2010 को जारी अधिसूचना के अनुसार 30 जून 2011 से 25 पैसे और इससे कम मूल्य के सभी सिक्कों को चलन से वापस ले लिया ज...
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- किसी स्थान की प्रसिद्धि जिस कारण से होती है, वह कारण ही सबके मन में कौंधता है, जब भी उस स्थान का उल्लेख होता है। यदि पहली बार सुना हो उस स्थान का नाम, तो ह... |
अब दीजिए आज्ञा!
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बढ़िया सर जी, देखते हैं इन्हें फुरसत से।
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी , आपकी चर्चा हर बार नया रंग लिये होती है |मेरी बधाई स्वीकार करे आज की चर्चा के लिये |रचना को शामिल करने और प्रोत्साहित करने के लिये आभार |
जवाब देंहटाएंआशा
बहुत शानदार चर्चा ....आज तो बहुत से लिंक्स यहीं मिल गए ....आभार
जवाब देंहटाएंaabhar Shastri ji.
जवाब देंहटाएंआज की चर्चा तो कमाल की है……………मेहनत साफ़ परिलक्षित हो रही है और लिंक्स सभी शानदार हैं……………काफ़ी सारे लिंक्स पढ लिये…………आभार्।
जवाब देंहटाएंcharcha bahut achchhi rahi .meri kahani ''tamanna' ko charcha me sthan dene ke liye hardik dhanywad
जवाब देंहटाएंnice inks
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी चर्चा सजाई है शास्त्री जी ! व्यवस्थित, उपयोगी और सार्थक.
जवाब देंहटाएंशानदार प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी ... बहुत शानदार चर्चा ....आज तो बहुत से लिंक्स मिल गए ....
जवाब देंहटाएंकितने सारे लिनक्स मिले है ... आभार सुन्दर चर्चा के लिए ..
जवाब देंहटाएंचर्चा तो विहंगम है ही, कार्टूनों को भी स्थान देने के लिए आपका विशेष आभार.
जवाब देंहटाएंआदरणीय डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक" जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
अचानक यहां पहुंच कर आश्चर्यचकित रह गया …
"चली चवन्नी ठाठ से…" शीर्षक मेरी आज की पोस्ट और उसमें लगी गीत रचना का है !
आपने सूचना भी नहीं दी … … … !?
ख़ैर, मेरी पोस्ट चर्चामंच के पाठकों को पसंद आएगी या नहीं , यह तो उनकी प्रतिक्रियाओं से ही ज्ञात होगा ।
शुक्रगुज़ार हूं , लेकिन कृपया , पोस्ट चर्चा में शामिल करने पर उस चिट्ठाकार को सूचित अवश्य किया करें , कृपा होगी ।
आज भी बहुत अच्छे लिंक आपके माध्यम से मिले , देखें किन किन को लिख पाते हैं … ! हां, हर ब्लॉग देखूंगा अवश्य ।
~*~सभी मित्रों के लिए हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !~*~
शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार
शास्त्री जी आज तो आपने कमाल की चर्चा लगाई और जो आपकी पसंद है, वह निस्संदेह एक नम्बर की है!
जवाब देंहटाएंkamaal kee charcha ..behad sundar tareeke se ... rochak .. aur badiya link... abhaar ..
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