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सोमवार, जनवरी 03, 2011

संगम …………चर्चा मंच (388)

नव वर्ष मे नये और पुराने के संगम पर आइये ले चलते हैं …………देखिये कुछ पोस्ट पिछले वर्ष की और कुछ नव वर्ष की और उन तक पहुँचते आप …………तो हो गया ना संगम त्रिवेणी का…………तो फिर लगाइये डुबकी और कीजिये तन और मन पवित्र्।










*गैस गीजर ले चुका है कई लोगों की जिन्दगी : पठानियां एनडब्‍ल्यूएस ने की लोगों को सतर्क रहने की अपील* बठिंडा। सर्दीयों के मौसम में ठंड से बचने के लिए लोगों द्वारा गर्म पानी के इस्तेमाल हेतु बाथरूम में लगे गै...


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  sks_the_warrior at भड़ास blog
5 साल और 55 टेस्ट के बाद लक्ष्मण ने जड़ा 5वां छक्का डरबन ।। अपनी कलात्मक बल्लेबाजी के लिए मशहूर भारत के वी.वी. एस. लक्ष्मण ने रविवार को सीरीज के दूसरे क्रिकेट टेस्ट मैच में पहली पारी में साउथ अफ्रीका के ...


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कंचन सिंह चौहान at हृदय गवाक्ष
देख रही हूँ कि ब्लॉग लेखन के मेरे आँकड़ें कम से कमतर होते जा रहे हैं। २००७ से कम २००८ में, २००८ से कम २००९ में और २००९ से कम २०१० में...! मात्र २३ पोस्ट.. इस पोस्ट को मिला कर। वर्ष भी कुछ अजीब सा ही रहा.....

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*(सरिता,अपनी सहेली के पति को अपने कॉलेज में ही लेक्चरर के पद पर नियुक्त करवाने में सहायता करती है. कुछ ही दिनों बाद उसकी सहेली की मृत्यु हो जाती है और उसके पति वीरेंद्र, कॉलेज में ज्यादातर समय ,सरिता के डि...


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अजी कैसे न लें ? पहले भिगो-भिगो के मारते हैं फिर चाहते हैं जोर का झटका धीरे से लगे । कभी जेहमत उठायी अपने शब्दों को रिक्टर-पैमाने पर नापने की ? जनाब पूरा मोहल्ला हिल जाए इतना खतरनाक है आपका वक्तव्य। अर...


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अल्पना वर्मा at Science Bloggers' Association
Disclaimer -यहाँ दी गयी जानकारी  केवल शैक्षिक एवं सूचना के प्रसार  हेतु है. यह जानकारी किसी भी तरह से चिकित्सीय परामर्श या  व्यवसायिक चिकित्सा  स्वास्थ्य कर्मचारी  का विकल्प न समझी जाए. इस जानकारी  के दुरूपय...


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२२ दिसंबर को परिवार को 'पटना' जाना था ! सो मै लंच के बाद कॉलेज से लौट आया ! अभी लिफ्ट में ही था की फोन की घंटी बजी और उधर थे सी एन एन से आकाश - हिन्दी में ही :) बोले आज शाम आप सी एन एन आई बी एन 'अवार्ड समा...


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 नीरज गोस्वामी at नीरज
गुप्ता जी आज सुबह से ही बहुत खुश थे. इसका कारण जानने के लिए ज्ञान के सागर में डुबकी लगाने की जरूरत नहीं है. जब कारण सतह पर ही तैर रहा हो तो उसके लिए डुबकी लगाना अकलमंदी नहीं होगी. गुप्ता जी दो कारणों से ख...


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गौतम राजरिशी at पाल ले इक रोग नादां...
अपने सकुचाये सिमटे साहिलों के बीच में सिकुड़ी हुई झेलम एक अजीब तल्खी से अम्बर को निहारती पूछती है...चिल्ले कलाँ* तो शुरू हो गया, अब कब बरसाओगे बर्फ के फाहे? अम्बर का विस्तार उसकी रहस्यमयी खामोशी को तनिक और ...


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जब भी बच्चे कंप्यूटर पर बैठने की बात करते हैं तो आपके कान खडे़ हो जाते हैं। न जाने वे कब किसी गलत वेबसाइट पर पहुंच जाएं। लेकिन ऐसा नहीं है कि इंटरनेट पर बच्चों के लिए अच्छी वेबसाइट्स की कमी है। इन वेबसाइ...


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बी एस पाबला at ब्लॉग बुखार
मेरे बहुत से मित्र ऐसे हैं जो ब्लॉगिंग नहीं करते लेकिन ब्लॉग पढ़ते ज़रूर हैं। उन्हें ब्लॉग पढ़ने का चस्का या तो मैंने लगाया या फिर समाचारपत्रों में ब्लॉग रचनाएँ देख हुया। आजकल कई मित्र परेशान हैं कि चर्चित...


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"कर्तव्यपालन की सज़ा"
थोड़ी देर बाद यूँ लगा जैसे कोई दो आँखें मुझे घूर रही हैं आँख उठाकर देखा तो सामने एक अर्धविक्षिप्त सी अवस्था में एक औरत बैठी थी और कभी- कभी मुझे देख लेती थी .उसके देखने के ढंग से ही बदन में झुरझुरी -सी आ रही थी  इसलिए उसे देखकर अन्दर ही अन्दर थोडा डर भी गयी मैं. फिर अपने को मैगजीन में वयस्त कर दिया मगर थोड़ी देर में वो औरत अपनी जगह से उठी और मेरे पास आकर बैठ गयी तो मैं सतर्क हो गयी. ना जाने कौन है , क्या मकसद है  , किस इरादे से मेरे पास आकर बैठी है, दिमाग अपनी रफ़्तार से दौड़ने लगा मगर किसी पर जाहिर नहीं होने दिया. मगर मैं ..........



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रजनीश के झा (Rajneesh K Jha) at अनकही53 mi
हमारा देश के मध्यमवर्गीय आम लोगों की ऊर्जा और निम्न माध्यम वर्गीय लोगों की मेहनत का नतीजा है. हमारे समाज में जी शराब को ख़राब माना जाता है उसी शराब को पीने वाले समाज के कोढ़ के रूप में जाने जाते हैं. शरा...


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noreply@blogger.com (एस.एम.मासूम) at अमन का पैग़ाम
] सबसे पहले तो यह जानना आवश्यक है की ब्लोगिंग है क्या? हकीकत मैं यह डायरी लिखना है. डायरी लिखने की आदत से सभी वाकिफ हैं और वर्षों से पढ़े लिखे अपनी डायरी के माध्यम से अपने विचारों...


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brajkiduniya at भड़ास blog
१ जनवरी २००० पूरी दुनिया के लिए तीन-तीन दृष्टियों से खुशियाँ मनाने का अवसर लेकर आया था.यह अद्भुत संयोग ही था कि इस दिन एक साथ नई सहस्राब्दी,नई शताब्दी और नववर्ष की शुरुआत हो रही थी.वाईटूके की आशंकाओं के...


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दीपक बाबा at दीपक बाबा की बक बक
उफ़ कहाँ से शुरू करूँ........ सर्दी बहुत थी, आलस का समय....... रजाई से बहुत ज्यादा प्रेम....... घर में ही बैठकर कोहरे के बारे में सोचना...... गाँव में सरसों बढ़ रही है......... पाणी लग रहा होगा..... बाजरे...


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ब्‍लाग लिखने से पूर्व नेट पर हिन्‍द-युग्‍म जैसी कुछ साइट की पाठक थी। हिन्‍द-युग्‍म पर कभी दोहे की और कभी गजल की कक्षाएं चलती थी। मैं इन दोनों विधाओं की बारीकियां समझने के लिए इन कक्षाओं के पाठ नियमित पढ़न...


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  मनोज कुमार at मनोज
*तमसो मा ज्योतिर्गमय* करण समस्तीपुरी सारा बाज़ार ऐश्वर्यदात्री लक्ष्मी और सिद्धिदाता गणेश की मूर्तियों से पटा पड़ा था। पूजा के प्रसाधनो की धूम मची थी। स्थाई दुकानों के अलावे सड़क के किनारे और फूट-पाथ...


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पढ़ाई, नौकरी व आर्थिक स्वतन्त्रता ने स्त्रियों के स्वाभिमान व आत्मविश्वास में जहाँ वृद्धि की है वहीं समाज की नजरों में भी उनकी प्रतिष्ठा बढ़ाई है। यही काम या उससे भी कुछ अधिक खेलों व खेल प्रतियोगिताओं ने स्त...


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सतिन्द्र कौर “क्या हुआ?” “एक्सीडेंट! ट्रक वाले ने एक आदमी को नीचे दे दिया।” वह भीड़ में आगे बढ़ा। खून से लथपथ लाश उससे देखी न गई। “चावल तो बासमती लगते है?” उसके कान में आवाज पड़ी। “बढ़िया बासमती है। देख न क...


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विनय बिहारी सिंह कल ब्रह्मचारी गोकुलानंद जी ने दिल को छू लेने वाली एक कथा सुनाई। एक बार एक भक्त ने भगवान को प्रकट होकर वर देने के लिए मजबूर कर दिया। कैसे? वह भाव विह्वल होकर करुणा के साथ कहता रहता था-...

22)

एक ब्लॉगर कपडे सिलवाने के उद्देश्य से दर्जी के पास गया। दर्जी अपने काम में व्यस्त था। उसे व्यस्त देखकर वह उसका निरिक्षण करने लगा, उसने देखा वह सुई जैसी छोटी चीज को सम्हाल कर अपने कॉलर में लगा देता और कैंची...

23)

  सुशील बाकलीवाल at नजरिया
इन दिनों समाचार-पत्रों में एक विज्ञापन की बाढ सी आई हुई दिख रही है । बानगी देखिये- *सभी कम्पनियों के टावर अपनी दुकान, * * मकान, प्लाट, खेत, खाली जमीन पर * * ...


24)

वे तपती जून के दिन हुआ करते . एकदम थके और बेजान . उन आखिरी दिनों के एक ओर सुलगती दोपहरें हुआ करतीं और दूसरी ओर जुलाई . इनके बीच कूलर एक स्वप्न सा जान पड़ता . जोकि माँ द्वारा बचाई जमा पूँजी और पिताजी के प्ल...


25)

  संजय ग्रोवर Sanjay Grover at सरल की डायरी saral ki diary
सरल बताता है कि उसे उस ऐपिसोड का काफ़ी बड़ा हिस्सा मिल गया है देखने को। राखी वहां ग़लत भी नहीं है। लेकिन वे जिस तरह ‘मर्द’, नामर्द’ और ‘नपुंसक’ जैसे शब्दों का प्रयोग करतीं हैं वह दिखाता है कि आधुनिक होती दिख...


26)

तमाम दुनिया मे इस वक्‍़त आर्थिक असंतोष का जबरदस्‍त उबाल जारी है। विशेषकर समस्‍त यूरोप और अमेरिका आर्थिक अंसतोष की इस लहर की चपेट में है। फ्रांस के मेहनतकश हुकूमत... Read more »


27)

सम्वेदना के स्वर at सम्वेदना के स्वर
घर से निकलते ही कुछ दूर चलते ही दिख गया मुझको एक ट्राफिक हवलदार. अपन को डर नहीं लगता उन हवलदारों से. अपना सब कुछ दुरुस्त होता है. बाइक पर हों तो सिर पर कवच यानि हेल्मेट के बिना और कार में बैठे हों तो यज्ञ...


28)

*तुम पास आये, यूँ मुस्कुराए..तुमने न जाने क्या सपने दिखाए..* *अब तो मेरा दिल जागे न सोता है..क्या करूँ हाय..कुछ कुछ होता है..* **कुछ कुछ होता है फिल्म का कोई भी गीत जब कभी सुनता हूँ तो एकदम से तेरह साल पीछे...


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प्रकाश ⎝⎝पंकज⎠⎠ at भड़ास blog
"बाल-मजदूरी कानून".. किसका अभिशाप? किसका वरदान? गजब के घटिया कानून है देश के: एक समृद्ध परिवार का बच्चा जिसकी परवरिश बड़े अच्छे ढंग से हो रही है, अपने स्कूल और पढाई छोड़ कर टी.वी. सीरियल या फिल्म में काम क...


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मनोज कुमार at राजभाषा हिंदी
*पुस्तक चर्चा* *‘सीढ़ियों पर धूप में’ ... रघुवीर सहाय * *30 दिसंबर पुण्य तिथि पर* 30 दिसंबर 1990 को नयी कविता के महत्त्वपूर्ण कवियों में से एक श्री रघुवीर सहाय का निधन हुआ था। उनकी पुण्य तिथि पर 1960...

31)

ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ at Science Bloggers' Association
हमारे देश में आयुर्वेद की एक स्‍वस्‍थ परम्‍परा रही है, लेकिन समय के बदलने के साथ ही साथ जहां एक ओर तकनीक के विकास ने एलोपैथ की ओर लोगों का रूझान तेजी से बढ़ाया है, वहीं सहुलियत, त्‍वरित लाभ तथा बहुत हद तक फै...



32)

छिद्रान्वेषण " को प्रायः एक अवगुण की भांति देखा जाता है , इसे पर दोष खोजना भी कहा जाता है...(faultfinding). परन्तु यदि सभी कुछ ,सभी गुणावगुण भी ईश्वर - प्रकृति द्वारा कृत/ प्रदत्त हैं तो अवगुणों का भी कोई ...


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वंदना शुक्ला at चिंतन
* ** विरक्ति * अंधकार का धनधोर सन्नाटा ।वह अविचलित,अनिश्चित सा चला जा रहा था,अगंतव्य की ओर ।.ब्लैक-आउट.....बाहर भी,और मस्तिष्क के भीतर भी।हवा की सांय.सांय ,जंगल के मु...


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तुम्हे याद है वो दिन ..हलकी हलकी बारीश हो रही थी और हम दोनों खो गए थे किसी पुराने मंदिर को जाती हुई सड़क पर .. वो एक अजनबी सा पुराना शहर था .. लेकिन कितना अपना था .. हम कई बार उस शहर की सडको पर यूँ घूम च...



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*गाय* *के सवाल पर मैं निरंतर कुछ न कुछ लिखता रहता हूँ. यह बता दूं कि मैं धार्मिक नहीं हूँ. पूजा-वगैरह में कोई यकीन नहीकरता. मंदिर भी नहीं जाता. भगवान् के सामने हाथ जोड़ने की ज़रुरत ही नहीं पडी, क्योंकि मे...


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 सुशील बाकलीवाल at नजरिया
*संजू बाबा ये क्या हो रहा है ?* पढने मे ऐसा क्यों आ रहा है कि किसी निर्माता को आपने डेट्स नहीं दी तो कोर्ट ने आपकी सम्पत्ति जब्त करने का फरमान ही सुना दिया । इससे पहले तो किसी भी स्टार के साथ ऐसा कोई...


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मनोज कुमार at मनोज
आँच-50 राजीव कुमार की कविता “न जाने क्यों?” *परशुराम राय* [image: My Photo]*श्री राजीव कुमार जी* द्वारा विरचित कविता *“*न जाने क्यों?* ”* चर्चा के लिए ली जा रही है। यह कविता उन्हीं के ब्लाग घोंसला पर...


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डॉ. नूतन - नीति at अमृतरस
*एक निरीह बेजुबान को किस तरह एक चतुर दरिंदे के आगे उसके अभिमान के लिए अपने प्राणों को गंवाना पड़ा या बेघर होना पड़ा .. और यह कोई नहीं जानता की वह इस दुनिया में है भी की नहीं ?* ...


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एस.एम.मासूम at अमन का पैग़ाम
पेश के खिदमत है "अमन के पैग़ाम पे सितारों की तरह चमकें की छब्बीसवीं पेशकश जनाब खुशदीप सहगल साहब , जिनसे आप सभी वाकिफ हैं. खुशदीप भाई ने इसी साल ग्यारह अप्रैल को कौमी सौहार्द पर एक ...


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कीर्ति राणा at भड़ास blog
साल की शुरुआत कैसी हो, जब यह हमे ही तय करना है तो क्याें ना कुछ अच्छे से ही आरंभ करें. रोज ना सही महीने या साल मे तो कुछ अच्छा कर ही सकते हैं। इस अच्छा करने की सीधी सी परिभाषा है जिस काम को करके आप के मन क..


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shikha varshney at स्पंदन SPANDAN
सबसे पहले तो हिंदी साहित्य के सभी गुणीजनों और ब्लॉगजगत के सभी साहित्यकारों से हाथ जोड़ कर और कान पकड़ कर माफी .कृपया इस पोस्ट को निर्मल हास्य के रूप में लें . हमारे हिंदी साहित्य में बहुत ही खूबसूरत औ...


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पता नहीं, क्यों ? पर आजकल मोबाइल में एस एम् एस की बाड़ सी आ गई है.. अभी देखा तो मोबाइल में लिखा आ रहा था.... मेसेज बॉक्स इस फुल. तुरंत देखने चालू किये.... जितनी रंग बिरंगी दुनिया है ... उतने ही रंग बिरंगे ...


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राजेश,शशि, नवनीत,निखिल और मैं मैने अपनी रेल यात्रा के संस्मरण कई बार लिखे हैं....मेरी विदाउट रिजर्वेशन और विदाउट टिकट वाली यात्रा संस्मरण पढ़, समीर जी ने टिप्पणी भी की थी."*अब कुछ और बचा हो जैसे रेल की ...


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 राज भाटिय़ा at पराया देश
आप के लिये यह स्पेशल चिन्ह अगर आप लगाना चाहे तो इसे अपने ब्लाग पर इसे स्थान दे सकते हे, ओर अगर आप अभी तक नही जुडे इस नये ब्लाग से तो एक बार आ कर देखे केसा लगा, हमार यह प्रयास, ओर इस से पिछली पोस्ट पर भी ध्...


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** वे महिला पुरूष युगल जो विवाहपूर्व अपनी मित्रता को लम्बे समय तक यौनसम्बधों से बचाये रखते हैं उनका विवाह उनके लिए कई प्लस प्वांइट लेकर आता है। अमरीकन साइकोलॉजीकल एसोसिएशन की पारिवारिक मनोविज्ञान शाखा के...


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अगर, आप अपने नौनिहाल को अंतरराष्ट्रीय स्कूल में पढ़ाने का सपना देखते हैं, तो आपको कम से कम करोड़पति होना पड़ेगा। वजह-मुंबई के इंटरनैशनल स्कूलों की प्रिप्राइमरी कक्षाओं की फीस लाखों में पहुंच चुकी है। एनबीट...



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कई बार योग्यताओं पर खरा उतरने के बाद नौकरी का तय होना वेतन के मुद्दे पर आकर अटक जाता है। जैसे ही आप सोचने लगते हैं कि इंटरव्यू सफलतापूर्वक संपन्न हुई, आपसे प्रश्न पूछ लिया जाता है कि आप कितना वेतन चाहते है...



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"मैं कैसे कहूँ कि तू ठहर जा" .............केवल राम 
अलविदा 2010 : समय मैं क्या कहूँ तेरे बारे में तू आता है और चला जाता है , या यूँ कहूँ तू अनवरत गाति से चलता रहता है और मेरी सांसों का सफ़र भी तेरे साथ लगातार चलता रहता है । पर अब तुझे जाना ही है तो मेरा कोई...



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सभी पाठकों को नववर्ष की शुभकामनाएं .. मुझे आप सभी पाठकों की शुभकामनाओं की आवश्‍यकता है !! 
ब्‍लॉग जगत में आने के बाद महीने में 20 - 25 पोस्‍ट ठेल देने वाली मैं अचानक कुछ दिनों से कुछ भी नहीं लिख पा रही हूं। 2011 में होनेवाली इस प्रकार की व्‍यस्‍तता का कुछ अंदाजा तो मझे पहले से था , पर एकाएक लिखन...


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वापसी की यात्रा पहाड़ से उतरने वाली थी। सभी धड़ल्ले से उतर रहे थे। सुमीत भी एक झटके में ही नीचे उतर आया। रास्ते में मुझे एक कोटपुतली राजस्थान के श्रद्धालु मिले। उनकी चुंदड़ी वाली पगड़ी देख कर उनसे कुछ बात चीत...


52)

अमरीका में दो बहनें ग्लेडिस और जेमी उम्र क़ैद की सज़ा काट रही हैं. उन्हें अनिश्चितकाल के लिए रिहाई मिल सकती है लेकिन इसके लिए प्रशासन की एक अजीबो-ग़रीब शर्त है. शर्त ये है कि अगर ग्लेडिस स्कॉट बड़ी बहन ज...


53)

मेरा नाम मत लेना सिर्फ उस एक हिन्‍दी ब्‍लॉगर का नाम बतलायें, जो आपको बिल्‍कुल पसंद नहीं है और आप उसका नाम लेने का साहस रखते हैं। बहादुर हिन्‍दी ब्‍लॉगरों को एक जनवरी दो हजार ग्‍यारह के दिन प्रशस्ति पत्र स...



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लाइव ट्रेलर को भी आप सब प्यार दें.
हिन्दुस्तान का दर्द मंच का निर्माण लगभग 2 साल पहले किया गया था,इसका मुख्य उद्देश्य हिंदी के लेखकों एवं पाठकों को एक ऐसा मंच उपलब्ध करना था जो की रचनात्मकता से भरा हो जो देश की समस्याओं एवं दर्द की बात कर..


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Mayank Bhardwaj at Computer Duniya
वेब आधारित सेवाओ में सर्च के अलावा ईमेल लगभग हर यूजर की जरूरत बन चुकी है। 1990 के दशक के दूसरे चरण मे याहू यूएसएनेट और हाटमेल जैसी ईमेल सेवाएं तेजी से लोकप्रिय हुई। अलबत्ता बाद मे गूगल ने 2004 मे अपनी ईम...


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( गतांक: वो रात मेरी आँखों ही आँखों में गुज़री. डर,सदमा,गुस्सा....सब कुछ इतना था की, बता नही सकती. सुबह जब मैंने मेरे पतिसे रातवाली घटना के बारे में कहना चाहा तो जनाब ने कहा," अरे! वो तो मैही था! तुम्हें इ...



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  शेफाली पाण्डे at कुमाउँनी चेली
*साल दो हज़ार दस .....* . साल दो हज़ार दस | विकास जस का तस | फला - फूला भ्रष्टाचार बस | कोहरे का कोहराम | छलकाएं जाम | आइये घोटालों के नाम | इन बबालों के नाम | *टू जी स्पेक्ट्रम ...........* नए न...


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किसी ने सच ही कहा है :"लेखन एक अनवरत यात्रा है - जिसका न कोई अंत है न मंजिल ", और यह सच भी है। निरंतर अपने भावों को कलम बद्ध करना ही इस यात्रा की नियति होती है। अपने भावों को कलम बद्ध कर व्यक्ति को संतुष्...


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  दर्पण साह at ...प्राची के पार ! 
उस राज्य में सरे आम किसी कन्या को छू लेने के कोई भी सख्त खिलाफ नहीं था. कोई भी नहीं. वो भी राजकुमार द्वारा ? ये तो तब कन्या के मान में वृद्धि ही मानी जाती थी. क्लिफर्ड को भी इस बात से कोई लेना देना नही...


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*मुश्किल है जीना उम्मीद के बिना थोड़े से सपने सजायें थोड़ा सा रूमानी हो जाएँ...* 2010 की आख़िरी शाम बैठ के बीते साल पे नज़र दौडाती हूँ... सोचती हूँ... कितना कुछ बीता, कितना कुछ बदला इस बीते साल में... हमार...


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  अनिल कान्त at हसरतसंज
उन नीम के झरते हुए पीले पत्तों और उतरकर गाढे होते हुए अँधेरे के बीच चलती हुई बातें बहुत दूर तक चली गयी थीं । हम अपने अपने क़दमों की आहटों से अन्जान बहुत दूर निकल गये थे । तब उसने यूँ ही एकपल ठहरते हुए कहा थ...


62)

अन्तर सोहिल वही दिन हैं और वही रात है। रोज नया साल आता है मेरे लिये तो और रोज खुद को शुभकामनायें देता हूँ। *पाँच सवाल जो खुद से ही कर रहा हूँ :-* *1>* यहां आभासी संसार में रिश्ते जोड रहा हूँ। क्या मेरे ...


63)

आप पढ़ना प्रारम्भ करें, उसके पहले ही मैं आपको पूर्वाग्रह से मुक्त कर देना चाहता हूँ। आप इसमें अपनी कथा ढूढ़ने का प्रयास न करें और मेरे सुखों की संवेदनाओं को पूर्ण रस लेकर पढ़ें। किसी भी प्रकार की परिस्थिति...

64)

 iqbal abhimanyu at कबाड़खाना 
इष्टजनों के मैसेज, मेल, फोन आदि-आदि आने पर तड़ाक से उठा कर बोल दिया..."आपको भी नया साल मुबारक हो !" काहे व्यर्थ में जश्न में टांग अड़ाई जाए. एक और कैलेण्डर पर ३६५ और खाने बने होंगे.. विद्यार्थी अपनी कॉपी पर ...


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समय दौड़ रहा है। आज सूरज ने भी अपनी रजाई फेंक दी है। किरणों ने वातायन पर दस्‍तक दी है। हमने भी खिड़की के पर्दे हटा दिए हैं। दरवाजे भी खोल दिए हैं। सुबह की धूप कक्ष में प्रवेश कर चुकी है। फोन की घण्‍टी चहकन...

66)
 Akhtar Khan Akela at हिन्दुस्तान का दर्द 
कोटा नगर निगम ने टेक्स लगाया तो बुरा मान गये : मुलजिम,फरियादी,पुलिस एक ही मंच पर कोटा नगर निगम ने अपनी आमदनी बढ़ाने के लियें कोंग्रेस और भाजपा एजेंडे के विपरीत नगर टेक्स लगा कर टेक्स की वसूली शुरू कर दी...


67)

*भारतीय काव्यशास्त्र-49 :: रस सिद्धांत* आचार्य परशुराम राय पिछले दो अंकों में विभिन्न आचार्यों द्वारा प्रतिपादित रस-निष्पत्ति से सम्बन्धित चार सिद्धांतों- उत्पत्तिवाद, अनुमितिवाद, भुक्तिवाद और अभिव्य...

68)

 Mayank Bhardwaj at Computer Duniya
आज मैं आपके लिए एक ऍसी ट्रिक लेकर आया हू जिससे आपका कंप्यूटर बोलने लगेगा यानि आप जो भी लिखेंगे वो आपको बोलकर बताएगा की आपने क्या लिखा है इसके लिए बस आपको निचे दिए हुवे कोड को नोडपेड में कोपी करना है और उ...


69)

 दीपक 'मशाल' at मसि-कागद 
एक बार फिर से भारत में सब्जियों खासतौर पर प्याज, टमाटर और लहसुन की कीमतें आम आदमी की जेब में छेद करती दिख रही हैं. हालांकि केंद्र सरकार कोशिशों में लगी हुई है कि कीमतों को अर्श से वापस फर्श पर ना सही तो क...


70)

  लोकेश Lokesh at अदालत
हिंदू विवाह अधिनियम के तहत एक हिंदू और गैर हिंदू की शादी न तो मान्य है और न ही इस तरह की शादी के तहत कोई भी पक्ष हिंदू विवाह अधिनियम के तहत किसी भी तरह के लाभ का दावा कर सकता है। यह कहना है कि दिल्ली हाईको...





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हिन्दी बलोगिंग में एक बलोगर की सक्रियता हेतु मिनिमम मासिक आय( एक सर्वे )
हिन्दी बलोगिंग में एक बलोगर की सक्रियता (सक्रियता से आशय रोजाना बीस तीस पोस्ट पढ़ना और उन पर टिप्पणी देना तथा महीने में छ सात  पोस्ट खुद के बलोग पर लिखना है | ) हेतु  काफी संसाधनों की जुरूरत होती है | उनमे उसकी मासिक आय भी शामिल है | जिस के द्वारा वो अपने परिवार(छोटा परिवार) का भरन पोषण मध्यम शहर में रह कर आसानी से कर सके |इस कार्य हेतु विभिन्न साधनों से प्राप्त उसकी मासिक आय कम से कम कितनी होनी चाहिए ? ताकी वो बलोग जगत में सक्रिय रह सके |





72)



  देवेन्द्र पाण्डेय at बेचैन आत्मा
.....यादें उन स्वप्नों की जो अनदेखे दिख गए थे अपने शैशव काल में, यादें उन संकल्पों की जो मंदिर की घट्टियों की गूँज बनकर रह गईं, यादें उन दिवास्वप्नों की जो यथार्त की धरातल पर कभी खरी नहीं उतरीं। यादें उन...


73)

  फ़िरदौस ख़ान at Firdaus Diary
*फ़िरदौस **ख़ान* आज कितने अरसे के बाद उसे देखा था. शायद पांच साल के बाद, पांच साल नहीं बल्कि पांच सदियों के बाद. उसके बिना एक-एक पल गुज़ारना मेरे लिए किसी क़यामत से कम न था. उसे देखते ही में बीते वक़्त की या...
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  मनोज कुमार at विचार
*विचार-93 * *नए साल का पहला विचार* - तरक़्क़ी की राह पर देश बढ रहा है आगे ... और आगे। - दो दशक पूर्व जब 1991 में देश में आर्थिक सुधार के कार्यक्रम लागू हुए तब से देश ने प्रगति की एक बड़ी छल...




75)


*मेष लग्‍न ...* भाग्‍य , धर्म या खर्च से संबंधित मामलों की मजबूती इस वर्ष के शुरूआत में ही देखने को मिलेगी। पिछले महीने उपस्थित रहे भाई , बहन या अन्‍य बंधु बांधव या किसी प्रकार के झंझट से संबंधित समस्‍याओं...
 
 
 
 



तो दोस्तों ………हो गया स्नान तो अब कीजिये ध्यान और मुझे दीजिये आज्ञा………अगले सोमवार फिर मिलती हूँ…………नव वर्ष की मेरी तथा चर्चामंच के सभी साथियों की तरह से आपको और आपके परिवार को हार्दिक शुभकामनायें।

33 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत विस्तृत और उपयोगी चर्चा!
    --
    चर्चा मंच पर आपका श्रम झलक रहा है!

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  2. एक साथ एक ही स्थान पर इतने सारे लिंक्स पहली दफ़ा देख रहा हूँ , आपकी मेहनत को सलाम ! आपका आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत उपयोगी चर्चा बढ़िया लिंक्स देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.........
    मेरी 3 पोस्ट को चर्चा मंच में शामिल करके आपने जो सम्मान दिया है और उत्साहवर्द्धन किया है, उस के लिए मैं आपकी और इस मंच पर उपस्थित सभी गुणीजनों की बेहद आभारी हूं.

    जवाब देंहटाएं
  4. वाह वंदना जी, सुंदर चर्चा सजाई, आपकी मेहनत को सलाम करता हूँ,आपने चर्चा मंच को एक नया आयाम दिया है।

    मेरी पोस्ट शामिल करने के लिए आपका आभार

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत ही परिश्रमपूर्ण कार्य है,इतने लिंक जुटाए है आपनें।
    बीते सप्ताह में क्या लिखा गया, आपने एक ही जगह परोस दिया, आभार!!

    हमारे लेख को भी जगह देने का शुक्रिया!!

    जवाब देंहटाएं
  6. हर बार इस मंच से कुछ नये ब्लॉग अपनी गूगल फीड में डाल लेता हूँ।

    जवाब देंहटाएं
  7. वन्दना जी
    क़ाबिले-तारीफ़...एक ही जगह इतने सारे ब्लोग्स के लिंक देखकर ख़ुशी हुई... आपने बहुत मेहनत की है...शुक्रिया...
    चर्चा मंच में 'आख़िरी मुलाक़ात' को शामिल करने के लिए आपके शुक्रगुज़ार हैं...

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  8. ऐसी चर्चा होगी तो फिर एग्रीगेटर की कहाँ आवश्‍यकता रहेगी। सहेज ली है पोस्‍ट को, धीरे-धीरे सभी को पढेंगे। आभार, मेरी दो पोस्‍ट लगाने के लिए।

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  9. इतने सरे लिंक बहुत आनंद आया सब पर तो नहीं जा सका ..पर फिर भी जितने भी देखे एक से एक बढ़ कर ...मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए आपका बहुत -बहुत आभार वंदना जी ..इसी तरह प्रोत्साहित करते रहें .....आपका धन्यवाद

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  10. bahut hi vistrirt v sadhi hui charcha .badhai.
    shikha kaushik

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  11. बहुत ही विस्‍तारपूर्वक आपने प्रस्‍तुत की है यह चर्चा ...बधाई के साथ शुभकामनायें ।

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  12. वंदना जी - बहुत अच्छी ,लंबी एवं मैराथन चर्चा के लिए बधाई ,नव-वर्ष की शुभकामनाएं .

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  13. सभी पठनीय पोस्ट की लिंक्स की चिट्ठा-चर्चा जैसे एग्रीगेटर की गैरमौजूदगी में विशेष अहमियत हो जाती है । बहुत मेहनत से तैयार किये गये आपके इस परिश्रम को साधुवाद...

    मेरे ब्लाग नजरिया की मेरी दो पोस्ट को यहाँ स्थान देने के लिये आपका विशेष आभार...

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  14. यह बात ... बेहद सार्थक और उम्दा ब्लॉग चर्चा !
    बहुत बढ़िया ... वंदना जी ... बहुत बढ़िया ... मज़ा आ गया आज तो !

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  15. -----सार्थक चर्चा, मेरी नज़र में,गाय पर आलेख बहुत ही मर्मस्पर्शी व सामाजिक सरोकार युक्त रहा
    --नव वर्ष की प्रथम चर्चा इतनी सफ़ल है तो आगे के आसार अच्छे ही होने चाहिये....

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  16. सारे ब्‍लॉगर मि‍त्रों को नववर्ष 2011 पर हार्दि‍क शुभकामनाऍं, ईश्‍वर करे हम सबके और सब हमारे काम आएं।

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  17. चर्चा मंच में 'अमन का पैग़ाम " को शामिल करने के लिए आपके शुक्रगुज़ार हैं. बहुत से अच्छे लेख आज आप की म्हणत के कारण पढने को मिले. धन्यवाद्

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  18. श्रमसाध्‍य और समयसाध्‍य, उपयोगी चर्चा.

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  19. यहाँ १ हफ्ते की छुट्टियाँ थीं तो काफी कुछ पढ़ने से छूट गया है .आपने मुश्किल आसान कर दी .बहुत बहुत आभार.
    बेहद उपयोगी चर्चा.

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  20. विस्तृत सुव्यवस्थित चर्चा!
    पठन चलता रहेगा!

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  21. एग्रीगेटर की कमी पूरी कर दी आपने.. शामिल करने के लिए आभार..

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  22. एक ही जगह पिछले सप्ताह के इतने सारे ब्लोग्स के लिंक देखकर ख़ुशी हुई। काबिलेतारीफ़ है यह श्रमसाध्य कार्य।

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  23. जी हां सच ही कहा गया है कि जरूरत अपना रास्ता भी खुद ही ढूंढ लेती है ,,बहुत ही कमाल का श्रम किया आपने वंदना जी आज ऐसे प्रयासों की बहुत जरूरत है । शुभकामनाएं ।जारी रखिए ....

    मेरा नया ठिकाना

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  24. वन्दना जी आपकी अथक महनत की दाद देनी पड़ेगी...आपने इतने सारे चिठ्ठों की चर्चा की है जो कमाल है...
    मेरे ब्लॉग को चर्चा जगत में शामिल कर आपने मुझे इज्ज़त बक्शी है उसके लिए तहे दिल से शुक्रिया...

    नीरज

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  25. ७५ पोस्ट की चर्चा करने के लिए बहुत धैर्य चाहिए जो आपमें है। नमन है इस श्रम साध्य काम के लिए।

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  26. .

    वंदना जी ,

    बेहतरीन लिंक्स के लिए आभार।

    .

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  27. vandana Ji !! Gajab... baab re !! itni jabardast post .. itna dherya itni mehnat .. aapko daad deni padegi... bus muh se niklaa hai... VaaH !! ... meri post ko aapne 38 number pe shaamil kiya hai... aapka aabhaar ... shukriya aur Nav varsh kee shubhkaamnayen.. :)

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