पेश है आज की चर्चा
लोहड़ी, मकर संक्रान्ति एवं उत्तरायण की हार्दिक बधाई के साथ
*सम्पर्क कट जाने से यह क्लिप कट गई थी * *मगर मेरे बड़े पुत्र नितिन ने इसे मोबाइल में रिकॉर्ड कर लिया था...
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तेरे वफा की कसमें खाते थे कभी हम
तेरी जफा से आज जार जार रो रहे है। पत्थर की दुनिया में पत्थर के लोग होते है पत्थरों के बुत में हम वफा खो... |
आना , आते रहना न बोलना चाहे पर विचरना आस-पास...
मौन रहना, रियाज़ी रहना , ज्यों मन चीते त्यों रहना पर रहते रहना रहना है सुहाना ... भिनसारे सूखी चोंच आँगन ... |
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क्रिएटिविटी कहीं भी हो चुंबक की तरह अपनी ओर खींच ही लेती है...
क्रिएटिविटी का चुटकियों में लोहा मनवाना हो तो एडवरटाइज़िंग की दुनिया से बेहतर और कुछ नहीं... पाकिस्तान को प्रमोट करने के लिए टैगलाइन... |
क्षणं वामे क्षणं दक्षे यदा वहति मारुतः।
सुषुम्ना सा च विज्ञेया सर्वकार्यहरा स्मृता।।124।।
अन्वय- यदा मारुतः क्षणं वामे क्षणं दक्षे वहति सा सुषुम्ना विज्ञेया सर्वकार्यहारा च स्मृता।124।
भावार्थ- जब साँस थोड़ी-थोड़ी देर में बाँए से दाहिने और दाहिने से बाँए बदलने लगे तो समझना चाहिए कि सुषुम्ना नाड़ी चल रही है। इसी को शून्य स्वर भी कहा जाता है और यह सब कुछ नष्ट कर देता है।
English Translation- When breath changes from left to right and vice versa within seconds then we should understand that Sushumna Nadi is active. This also known as Shunya Swara and it is always harmful in undertaking any work other than spiritual practices.........
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मेरे मन मधुबन में आओ
श्याम हम झूला झूलें रे प्रेम के हिंडोले पर मुझको बिठाकर श्याम प्रीत की पींगे बढ़ावो रे श्याम हम ........ |
कबीर के श्लोक - ५३
कबीर जेते पाप कीऐ,राखे तलै दुराऐ। परगट भऎ निदान सभ,जब पूछे धरम राऐ॥१०५॥ कबीर जी कहते हैं कि जीव जितने भी पाप करता है उन्हें वह हमेशा सब से छुपा कर रखता है।... |
हर दौर में 'अपने लिए माफिक' रहा हैआदमी|...
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मेरे घरौंदे से तेरे नाम की खुशबू आती है
बंद कमरों से तेरे नाम की सदा आती है
मैं लाख अनसुना करूँ -इमरोज़-
तेरा नाम मेरे लबों पर आ जाता है ...
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होगा क्या भविष्य
छोटी बड़ी रंग बिरंगी , भाँती-भाँती की कई पतंग , आसमान में उड़ती दिखतीं , करती उत्पन्न दृश्य मनोरम , होती हैं सभी सहोदरा , पर डोर होती अलग-अलग , उड़ कर जाने कह... |
- बामुलाहिजा >> Cartoon by Kirtish Bhatt www.bamulahija.com
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फूलमतिया जवान है मगर ...
नहीं लगाती सिंदूर और बिंदी नहीं पहनती चूड़ी और पायल वह मसोमात जो ठहरी // नरेगा योजना में मिटटी ढोते देखा उसे पहलीबार उससे कोई बात न... |
सुबह से ही कुहरा गायब - सा था।
तभी उम्मीद जग गई थी कि आज का दिन सचमुच चमकीला होगा।
भीषण सर्दी से कुछ राहत...
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मकर संक्रांति की हार्दिक
गत कई सप्ताह से वर्टिगो से ग्रस्त हूँ नए वर्ष का आरम्भ ही बड़ा अलसाया सा शुरू हुआ है । ना कुछ पढ़ा ना कुछ लिखा बस आराम ... |
अनोखा संसार
तुमने आ मेरे जीवन में रचा नया संसार अनोखा स्वप्नों का संसार , निराला स्वप्नों का संसार ! यहाँ मचलती इठलाती सरिता में बहती आहें, यहाँ बीन की झंकारों में खोती... |
भगवान के यहाँ भी कारीगर शायद हमारी दुनिया के कारीगरों जैसे ही हैं वही क्लर्क ,ठेकेदार और ये मजदूर सारे कामचोर ,घूसखोर, पैसों के मारे तभी तो जिस्मो क... |
मै नदी हूँ .............
पहाड़ो से निकली नदों से मिलती कठिन धरातल पर ..... उफनती उछलती प्रवाह तरंगिनी हूँ ..... |
आदिकाल से तिल धार्मिक रीति-रिवाजों में इस्तेमाल होती आई है।
शादी-ब्याह के मौकों पर हवन आदि में तिल के प्रयोग का
पौराणिक महत्व सिद्ध है। ग्रामीण क्षेत्रों म...
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दसवीं पास नहीं होने के चलते गई मनपा की सदस्यता
मनपा शिक्षण मंडल के सात सदस्यों की पात्रता पर सवाल उठाते हुए स्कूली शिक्षा एवं क्त्रीडा विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने सातों सदस्यों की सदस्यता को ... |
ज़िंदगी के मेले: उत्तर भारत की यात्रा:
दो नौजवान ब्लॉगरों से हुई पहली मुलाकात ....
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यशवन्त माथुर
Source: जो मेरा मन कहे
ओ!पल पल बहती जीवनदायिनी हवा की लहरों
कुछ ठहर कर आज मुझ से कुछ बातें कर लो
तुम छू कर मुझे निकल जाती हो अनंत की ओर
मेरे जैसे और भी बहुतों को देती हो एहसास जीवन का
तो क्यूँ न दो पल का विराम ले कर कुछ अपनी कह दो
और कुछ मेरी सुन लो पर मैं जानता हूँ
तुम्हारे ठहरने मात्र से ही कितने ही ठहर जायेंगे
मैं चाहता हूँ और सिर्फ चाहता ही रह जा ...
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: अजेय | Source: कबाड़खाना
आज मकर संक्राँति है. हमारी (लाहुल की पटनी समुदाय की) परम्परा में नव वर्ष का पहला दिन।मुझे लगा कि अपने नव वर्ष की शुभकामनाओं के साथ आज कबाड़खाने के पाठकों को अपनी आदिम परम्पराओं की एक एक हल्की सी झलक दिखा दूँ. और उन्हे उस भारत से अवगत कराऊँ, जो किताबी, फिल्मी और शहरी दुनिया मे प्राय: दिखाई नही देती।कहते हैं आज सूर्य उत्तरायण में प्रवेश करता है. श ...
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संजय ग्रोवर Sanjay Grover
Source: पागलखाना PAAGAL-KHAANAA
ग्राहक: आपने तो बताया नहीं था कि गजक के पैकेट में इनाम है !
दुकानदार: कुछ निकला क्या !?
ग्राहक: हां, खाते समय माचिस की तीली आई थी मुंह में।
दुकानदार: अच्छा व्यंग्य कर रहे हो ? क्या नेगेटिव ऐटीट्यूड है !
शुक्र नहीं मनाते कि मुंह में आग नहीं लगी !...
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Anil Pusadkar
Source: अमीर धरती गरीब लोग
महंगाई की मार झेल रहे आम आदमी को राहत देने के सरकारी एक भी कोशिश असरकारी नही हो रही है।और अब तो सरकार के बयान ज़ख्मो पर मरहम की बजाय नमक मिर्ची की तरह लग रहे हैं।महंगाई से त्रस्त हो चुकी जनता को अब सरकार ने ये सलाह दे डाली है कि सस्ता खाकर महंगाई से निपटा जा सकता है।अब इस सस्ता की परिभाषा क्या है?ये तो शायद सरकार ही जान सकती है?सरकार में बैठे मं ...
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दिनेशराय द्विवेदी Dineshrai Dwivedi
Source: अनवरत
सब के ताँई बड़ी सँकराँत को राम राम!
बखत खड़ताँ देर न्हँ लागे।
दन-दन करताँ बरस खड़ग्यो,
अर आज फेरूँ सँकराँत आगी।
पाछले बरस आप के ताँईं
दा भाई! दुर्गादान जी को
हाडौती को गीत 'बेटी' पढ़ायो छो।
आप सब की य्हा क्हेण छी कै ईं को
हिन्दी अनुवाद भी आप के पढ़बा के कारणे
अनवरत पे लायो जावे।
भाई महेन्द्र 'नेह' ने घणी कोसिस भी करी,
पण सतूनों ई न्ह बेठ्यो। आ ...
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सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी | Source: सत्यार्थमित्र
साबुन की फैक्ट्री चलाने वाली मानसिकता छोड़नी होगी
अखबार के मालिकों को…
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पिछले तीन वर्षों में इन्टर और बी.ए.करने क़े दौरान
कॉलेजेस का विवरण तो आ गया
परन्तु अन्य बातें पीछे छूट गईं.
इसलिए अब उन पर भी विचार कर लेते हैं. १९६९ में मई...
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मकर संक्रांति पर शुभकामनाएँ
------------------ मेरे विचार से आज आपके पढ़ने के लिए इतने लिंक चाय की चुस्कियों के साथ काफी होंगे! |
फूलमतिया को ..चर्चा -मंच में लाने के लिए आभार ..आज भी ..ग्रामीण क्षेत्रो में ...बहुत ही फूलमतिया है //
जवाब देंहटाएंआज की चर्चा में सूरज के सातों रंग छोटक रहें हैं, और इस रंगीन मंच पर हमारे ब्लॉग को सम्मानित करने के लिए आभार। बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंफ़ुरसत में … आचार्य जानकीवल्लभ शास्त्री जी के साथ (दूसरा भाग)
बहुत सुंदर चर्चा ....चैतन्य की पोस्ट को जगह देने के लिए आभार...... शुभकामनाएं आपको भी
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा, अच्छे लिंक्स , आभार और बधाई।
जवाब देंहटाएंsarthak charcha -achchhe links .makar sankranti ki hardik shubhkamnaye .
जवाब देंहटाएंbahut vyvasthit charcha .makar sankranti ki hardik shubhkamnaye .
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा है ... लिंक भी अच्छे हैं... बधाई ... मकर संक्रांति और खिचड़ी कैसी रही.. सादर
जवाब देंहटाएंकाफ़ी सुन्दर लिंक्स लगाये हैं…………सभी पढने का मन है मगर कल ही पढ पाऊँगी अभी जो पढ सकूंगी पढ लूंगी…………आभार्।
जवाब देंहटाएंसर्वप्रथम मेरी ओर से सभी को मकरसक्रांति की ढ़ेरों शुभकामनाएँ....मै बताना चाहता हूँ कि भगवान के कृपा से मै आज ही के दिन से कविता लिखना शुरु किया था.....आज से १ साल पहले....और आपलोगो का प्यार है कि आज चर्चा मंच को मेरी कविता "तो क्या करुँ" के शीर्षक से ही सजाया गया है....शास्त्री जी और सभी सदस्य गण को मेरा बहुत बहुत आभार...बस यूँही मुझपर अपना स्नेह बनाएँ रखे.......ॐ साई राम...........।
जवाब देंहटाएंबढ़िया जी ! बहुत बढ़िया! ऐसे ही मिलें उम्दा ठिकाने!
जवाब देंहटाएंआदरणीय शास्त्री जी,
जवाब देंहटाएंआज की चर्चा में मेरे ब्लॉग और मेरे पिता जी के ब्लॉग(विद्रोही स्व-स्वर में)को स्थान देने के लिए तहे दिल से शुक्रिया.
सादर
यशवन्त
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रावण वध एक पूर्व निर्धारित योजना
सुन्दर और सार्थक चर्चा एवं बेहतरीन लिंक्स ! बधाई एवं आभार !
जवाब देंहटाएंअच्छी और तत्थ्यपरक चर्चा ||मकर सक्रांति पर शुभकामनाएं |
जवाब देंहटाएंपोस्ट के लिये आभारी हूँ
आशा
भाषा,शिक्षा और रोज़गार ब्लॉग आपका आभारी है डाक्टर साहब।
जवाब देंहटाएंसभी लिंक सामयिक और सारगर्भित। स्वास्थ्य-सबके लिए ब्लॉग की पोस्ट लेने के लिए आभार।
जवाब देंहटाएंमकर सक्रांति पर शुभकामनाएं |
जवाब देंहटाएंपोस्ट के लिये आभारी हूँ
बधाई हो आप को मकर संक्रांति पर !
सदियों गुजारे लोग खिचड़ी तिलवा पर !!