मैं मनोज कुमार एक बार फिर हाज़िर हूं रविवासरीय चर्चा में अपनी पसंद की कुछ पोस्ट और एक लाइना के साथ।
१. नवीन सी. चतुर्वेदी कहते हैं
छंद - अमृत-ध्वनि - मकर संक्रांति :: जीवन हिल मिल कर जियो, दूर करो हर भ्रांति|
२. एस.एम.मासूम पूछ रहे हैं, एक्सक्यूज़ मी, क्या मैं भी मियां मिट्ठू बन सकता हूँ ? :: चुप बैठ आज कल सभी अपनी रोटी पे दाल खींचने पे लगे हैं. तू भी ऐसा कुछ कर कि माल मिले, लाल लाल गाल मिले.
३. सुशील बाकलीवाल कह रहे हैं,
मंहगाई... मंहगाई... और मंहगाई... ! :: इस जानलेवा मंहगाई का एक सर्वाधिक प्रमुख कारण इस समय यह वायदा कारोबार (कमोडिटी) बन गया है!
४. राजकुमार सोनी सुना रहे हैं
छत्तीसगढ़ का चैनल पुराण :: यह लेख किसी व्यक्ति विशेष पर केंद्रित न होकर प्रवृतियों को समझने का एक प्रयास मात्र है, फिर यदि किसी को बुरा लगता है तो मैं उससे फूलगोभी, आलू और मटर की सब्जी के साथ घी चुपड़ी हुई दो रोटी ज्यादा खाने का आग्रह कर सकता हूं।
५. क्या था महाभारत काल में अक्षौहिणी सेना का अर्थ समझा रहे हैं गगन शर्मा, कुछ अलग सा :: अक्षौहिणी सेना की रचना धनुर्वेद के अनुसार की जाती थी। यह महाभारत के युद्ध की सबसे बड़ी इकाई थी।
६. Rajey Sha का मानना है खुद को ही समझाने वाले, कुछ-कुछ पागल होते हैं ::
मजनुओं की कुत्तों से यारी, रांझों को खंजर का प्यार इश्क से वफा निभाने वाले, कुछ-कुछ पागल होते हैं!!
७. RAJEEV KUMAR KULSHRESTHA का प्रश्न
चोरी करना अच्छी बात है ?? :: मैं कब कहता हूँ । चोरी करना बुरी बात है ? चोरी करना तो अच्छी बात है । पर जो भी करना..ध्यान से करना ।
८. लघुकथा : एकलव्य -- संजीव वर्मा 'सलिल' :: 'काश वह आज भी होता.'
९. vivek shukla पढा रहे हैं अर्थशास्त्र :: मूल्य की अवधारणा अर्थशास्त्र में केन्द्रीय है। इसको मापने का एक तरीका वस्तु का बाजार भाव है।
१०. मीरां के बारे में बता रहे हैं Rajul shekhawat :: मीरां द्वारा रचित एक एक पंक्ति उसकी भक्ति-भावना से ओतप्रोत है और सुहृदय पाठको को तरंगित किये बिना नहीं रहती |
११. राजीव थेपड़ा का मदारी का खेल देखिए … तो हुजूर…मेहरबान…कद्रदान…पहलवान…मेहमान…भाई-जान....!!! ::
ऐसा है हमारा यह बन्दर…
जो कभी-कभी घुस जाता मेरे भी अन्दर....!!
मगर हां हुजूर,जाते-जाते एक बात अवश्य सुनते जाईए…
यह बन्दर…हम सबके है अन्दर…
जो बुराईयों को पहचानता है,सच्चाई को जानता है…!
१२.
प्रभा तुम आओ {गीत} सन्तोष कुमार "प्यासा" ::
मिटें निराशा के तिमिर-सघन मनोरम उपवन सा, धरा में स्नेह सुरभि महकाओ नव-प्राण रश्मि लेकर हे प्रभा! तुम आओ….!
१३. पी.सी.गोदियाल "परचेत" दिखा रहे हैं और आप
कैसा कलयुग आया देखो ! ::
भद्र अस्तित्व को जूझ रहा, शठ-परचम लहराया देखो !!
सृष्टि भूख से अति त्रस्त है, केक काटती माया देखो !!
१४. शिवकुमार मिश्र की प्रस्तुति दुर्योधन की डायरी - पेज २३१६ :: आज पढ़िए युवराज दुर्योधन की डायरी का वह पेज जिसमे उन्होंने अपनी किड-सिस्टर दुशाला ज़ी के जन्मदिन मनाने के बारे में लिखा है.
१५. Anita जी का मानना है
विप्लव आज अवश्यम्भावी :: जाग उठे अब जन जन ऐसी रणभेरी बजने दो, क्रांति बिगुल बजाए ऐसा हर मस्तक सजने दो !
१६. लेकर आए हैं कुमार राधारमण फास्ट फूड :: फटाफट खाओ और काम पर लग जाओ, न पकाने का झंझट और न किसी प्रकार की किल्लत!!
१७. Vilas Pandit को एक दिन राह में इक हसीं मिल गई ::
आँखों-आँखों में उससे मुहब्बत हुई,
ऐ खुदा देख तो क्या कयामत हुई !!
१८. Vijai Mathur की प्रस्तुति
रावण वध एक पूर्व निर्धारित योजना (पुनर्प्रकाशन भाग-२) :: ऋषियों ने एक सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित किया जिसके अनुसार दशरथ का जो प्रथम पुत्र उत्पन्न हो, उसका नामकरण‘राम’ हो तथा उसे राष्ट्र रक्षा के लिए १४ वर्ष का वनवास करके रावण के साम्राज्यवादी इरादों को नेस्तनाबूत करना था.इस योजना को आदिकवि वाल्मीकि ने जो इस सभा क़े अध्यक्ष थे,संस्कृत साहित्य में काव्यमयी भाषा में अलंकृत किया.
१९. बाप हूँ ना, रो नही सकता! [कविता] - डॉ. राजीव श्रीवास्तव :: जिंदगी के हर गम को सह लेता हूँ,आँसूओ को आँखो मे ही पी लेता हूँ,चहेरे पे दर्द बयान कर नही सकता,टूट जाता हूँ पर कमज़ोर दिख नही सकता!
२०. Pratyaksha का संगत संगीत :: कहते हैं हवाना में संगीत मनोरंजन नहीं है , ये जीने का तरीका है!!
२१. विश्व दीपक यदि तुम लिखते तो :: तेरे परमभक्त हैं पड़े हुए कविता के गलियारों में, पर मेरे चाहने वाले रहते सड़कों में, बाज़ारों में..
२२. Mukesh Kumar Sinha का
जिम्मेवारियों तले दबता सपना.... :: सपनो की जगमग बगिया में जैसे ही जिम्मेवारी की छाया ने लिया बसेरा... सतरंगी सपना हुआ धूमिल!!
२३. Nirmesh की
मीरा मांसी :: इस तरह के रिश्तों को डोर ही है हमारी संस्कृति और हमारा शानी / रक्त के रिश्ते भी भरते है जिनके आगे पानी
२४. राजेश उत्साही का कहना है
बेमतलब उंगलियां चलाने से अपना दिमाग भी थकता है और दूसरे का भी...... :: एक शांत,शांतिप्रिय,स्वस्थ्य,आनन्ददायी समाज के निर्माण में बेमतलब की अनगिनत गप्पों,भद्दी जानकारियों की कोई भूमिका नहीं है।
२५. कुछ ब्लॉगरों के तरीके........वीना के अनुभव :: जब मैं सक्रिय हुई तो तमाम लोगों ने रचनाओं पर टिप्पणी की....कुछ लोगों की टिप्पणी बार-बार आई और तब तक आती रहीं जब तक मैं उनके ब्लाग की फॉलोअर नहीं बन गई और जब मैने ब्लॉग फॉलो कर लिया तो रचनाएं देखनी ही बंद कर दी, इधर से रुख ही मोड़ लिया।
२६. Poorviya का परसी,फरसा, परसुराम :: परशुराम क्षत्रियों से रुष्ट हो गये, अतः उन्होंने इक्कीस बार पृथ्वी को क्षत्रिय विहीन कर डाला। अंत में पितरों की आकाशवाणी सुनकर उन्होंने क्षत्रियों से युद्ध करना छोड़कर तपस्या की ओर ध्यान लगाया।
२७. Kirtish Bhatt, का कार्टून: ये कुत्ता किसका है ??? :: मेरा नहीं उनका है, उनका नहीं इनका है।
२८. वन्दना जी का कहना है ओ मेरे जीवन के अनमोल टुकड़े :: जुदाई का वक्त नजदीक आने लगा है / आ आकार मुझको डराने लगा है / बार -बार मुझसे ये कहने लगा है / हाँ , लाडली मेरी बड़ी हो गयी है!!
२९. anshumala का प्रश्न ::
गाली पुराण -२ हम विरोध से क्यों बचते है - - - - - - :: जब हम सब लेखन के क्षेत्र में रह कर अपनी भाषा को ही साफ सुथरा नहीं रख सकते या उसे साफ सुथरा रखने का प्रयास नहीं कर सकते तो हम समाज को क्या साफ रख पाएंगे भ्रष्टाचार से, अन्याय से !!
३०. प्रवीण शाह कह रहे हैं हाँ मैं एक गुटबाज तो हूँ ही !!! :: यह अपराध तो मैं अकसर किया करता हूँ... हाँ, मैं एक पहले दर्जे का 'गुटबाज' हूँ !
३१. देखिए रश्मि प्रभा... की
ब्रैंडेड चादर :: धूप सिमटी पड़ी है
सूरज की बाहों में
कुहासे की चादर डाल
अधखुली आँखों से मुस्कुराती है .
३२. ZEAL का कहना है
मोडरेशन - लेखक की पसंद नहीं, मजबूरी है. :: इसी ब्लॉग-जगत के विकृतमानसिकता वाले लेखक और लेखिका मोडरेशन ना होने का लाभ उठाते हैं। बेनामी बनकरअपमानित करते हैं।
33.बहनजी को मुबारकबाद दीजिये!
आज बस इतना ही। फिर मिलेंगे। तब तक के लिए हैप्पी ब्लॉगिंग!!
बहुत ही सुन्दर अंदाज में की गयी बेहतरीन रविवासरीय चर्चा!
जवाब देंहटाएंपोस्ट के साथ रचनाकारों की छवियों से रूबरू होना सुखद रहा!
बेहतरीन एवं प्रशंसनीय प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर बेहतरीन रविवासरीय चर्चा!
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंचर्चाएँ लिंक्स बहुत अच्छे है... और बेहद साफ़ सुथरा रोचक अंदाज है. चर्चा का ..सादर
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लिंक्स....सुन्दर चर्चा..
जवाब देंहटाएंbahut achchhi charcha .aabhar .
जवाब देंहटाएंसराहनीय प्रस्तुतिकरण. आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर वार्ता !!
जवाब देंहटाएंबड़े ही रोचक अंदाज़ की चर्चा रही. पूरी देखनी अभी बाकी है
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स पढ़ने को मिले
जवाब देंहटाएंमेहनत साफ झलकती है।
जवाब देंहटाएंसाधूवाद।
बेहद उम्दा लिंक्स से सजाई है आपने आज की रविवासरीय चर्चा ... आभार !
जवाब देंहटाएंगज़ब की चर्चा की है……………एक से एक शानदार पोस्ट लगाई हैं…………एक बेहतरीन और सार्थक चर्चा।
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंमनोज भाई, इस बार की चर्चा में भी आपने अपनी सोच और पसंद को बखूबी रेखांकित किया है| आप की चर्चा में स्थान पाना सदैव गरिमा का आभास कराता है| बहुत बहुत आभार बन्धुवर|
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स.बेहतरीन चर्चा..
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर चर्चा....
जवाब देंहटाएंbahut achhi charcha....
जवाब देंहटाएंbahut sundar charcha.bahut achhe links se parichay karaane ke liye aabhar.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सार्थक चर्चा ...आभार
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे लिंक्स दिए हैं आपने । सुन्दर , सार्थक चर्चा के लिए आभार।
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