नमस्कार मित्रों!
मैं मनोज कुमार एक बार फिर हाज़िर हूं रविवासरीय चर्चा में अपनी पसंद की कुछ पोस्ट एवं एक लाइना के साथ!
नए साल में ठंड अपनी ऊंचाई छू रही है, मंहगाई से होड़ लगी है उसकी। पर मालूम है हमें मंहगाई ही जीतेगी। है ना?
१.
२. एक अच्छी ख़बर -
शीघ्र ही ठंड से छुटकारा मिलने की उम्मीद ... संगीता पुरी ::
12 जनवरी के बाद मौसम में काफी तेजी से सुधार होगा। ठंड से परेशान लोगों के लिए यह राहत वाली बात है।
३. Avinash Chandra की कलम से जब निकलेगा वह होगा …
श्रेयस्कर.. ::अब चीर के सप्त वितानों को, औ तोड़ के प्रति प्रतानों को।
पथ में जो शूल हैं, धेले हैं, पर्याप्त हैं विहस उठाने को।
४. गिरीन्द्र नाथ झा कहते हैं,
५. हरकीरत ' हीर' की प्रस्तुति - ज़र्द पत्ते ...... ::
पिछले वर्ष भी देखा था इनकी डरी-सहमी आँखों में रौंदे जाने का खौफ़ ....
६. शेष नारायण सिंह का प्रश्न
ये नेता महिलाओं को इस्तेमाल की चीज क्यों मानते हैं? :: ऐसी स्थिति पैदा की जानी चाहिए कि नेताओं की हिम्मत ही न पड़े कि वे किसी लड़की का यौन शोषण करने के बारे में सोच भी सकें।७. शोभना चौरे का २८० लाख करोड़ का सवाल है ....... ::
ये रकम
इतनी है कि भारत का आने वाले 30 सालों का बजट बिना टैक्स के बनाया जा सकता है.
८. यशवन्त माथुर की
बहुत खामोशी से दिल को झकझोर देती हैं!!
९.Sachin Kumar Gurjar लाए हैं
१०. रेखा श्रीवास्तव की मिड-लाइफ क्राइसिस ! :: एक सामान्य व्यक्ति अपने पारिवारिक जीवन में ही सारी खुशियाँ खोजता है और अगर संतुष्ट नहीं तो खुद को और गतिविधियों में व्यस्त कर लेता है.
११. शहरोज़ बता रहे हैं शहीदों का गांव, आज भी बदहाल :: ओरमांझी प्रखंड के कुटे बाजार से जब दायीं ओर सर्पीली सड़क मुड़ती है, तो आजादी के बाद हुए विकास की कलई खुल जाती है।
१२. डॉ० कुमारेन्द्र सिंह सेंगर कहते हैं आक्रोशित जनमानस की आवाज़ को भी सुनना होगा :: आने वाले समय में राज्य की शक्ति और कानून की शक्ति को आमजन अपने हाथों में लेकर ही राज्य सत्ता का फैसला करेंगे।
१३. mahendra verma की मानिए तो ज़िदगी से सुर मिलाना चाहिए :: अब अंधेरे को डराना चाहिए। फिर कोई सूरज उगाना चाहिए। झींगुरों को गुनगुनाना चाहिए। वक़्त से दामन बचाना चाहिए।
१४. रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’ के जगे अलाव ::
बतियाते ही रहे
पुराने घाव ।
बूढ़ा मौसम
लपेटे है कम्बल
घनी धुंध का!
१५.
वही हैं खोमचे रेहडी , वही होटल वही हल चल। वही आना वही जाना, लोग दुःख दर्द के मारे |
१६. ZEAL का पूछना है
१७. ये तो है दर्पण साह की डिवाइन कॉन्सपिरेसी ::
हम सबसे पहले जान लेना चाहते थे धूप उगाना, पर हमें सबसे पहले ये बताया गया कि धूप, आसमान में ही उग सकती है. एक नामुमकिन सी जगह.
१८. संतोष कुमार सिंह की आवाज़
१९. नीलेश माथुर... का – मुक्तिदाता ::
एकांत पथ पर चला जा रहा था
हर तरफ कोहरे का साम्राज्य…!
२०. कुमार राधारमण की स्वास्थ्य संबंधी जानकारी ::
सुन्दर और विस्तृत चर्चा के लिए आपका आभार!
जवाब देंहटाएंlagta hai aaj sabhi pathak gan shastri ji ghar khateema pahunch gaye hain . lekin me thand ke karan vahan nahi pahunch payi :)
जवाब देंहटाएंbahut sunder charcha is thand me bhi.
bahut sndar charchaa . kai links bahut achche lage .
जवाब देंहटाएंचलिए पहले खटीमा मिलन को शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंतत्पश्चात आपके दिए लिंक में ढूँढ़ते हैं !
मनोज जी !! बहुत साफ़ सुथरी सुन्दर चर्चा... आभार .. शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंआज शायद खटीमा की ओर पाठक गए है...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर लिंक दिये हैं
जवाब देंहटाएंआपने आज की इस मनभावन चर्चा में!
आभार!
बहुत अच्छे अच्छे पोस्टों के लिंक मिले .. बहुत विस्तार से की गयी इस उत्तम चर्चा के लिए आपका आभार !!
जवाब देंहटाएंसुन्दर सार्थक चर्चा के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक ... विस्तृत चर्चा ....
जवाब देंहटाएंभाषा,शिक्षा और रोज़गार ब्लॉग की पोस्ट लेने के लिए आभार।
जवाब देंहटाएंस्वास्थ्य-सबके लिए ब्लॉग की पोस्ट के लिए आभार स्वीकार करें।
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