मित्रों!
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
--
--
--
--
--
--
बहस के बीच में
ताज़ा ख़बरों का पोस्टमार्टम हो रहा था,
किसी ने कुएं में छलांग लगा दी थी,
फ़सल सूख गई थी उसकी.
पुत गई थी उसके चेहरे पर स्याही,
मनाही के बाद भी जो बोलना चाहता था,
क़त्ल हो गया था किसी का...
--
--
--
--
--
--
फासला उनमें कई सदी का... !
रिश्ता एक सागर और नदी का...
फासला उनमें कई सदी का... !
कितने अवरोध हैं मार्ग में... ?
जाने कितनी यात्रा शेष है...
--
--
एक बकवास व्यंग्य – सलाह
हमारे पड़ोस के मस्तराम जी
हमेशा दारू के नशे में मस्त रहते हैं |
मगर मजाल है कि वे बहक जाएं |
कभी किसी को अनाप -शनाप नहीं बोलते ...
sochtaa hoon......!
हमारे पड़ोस के मस्तराम जी
हमेशा दारू के नशे में मस्त रहते हैं |
मगर मजाल है कि वे बहक जाएं |
कभी किसी को अनाप -शनाप नहीं बोलते ...
sochtaa hoon......!
--
--
ब्लाग का भिखारी
किस्म किस्म
के पकवान
लेकर रोज
पहुंचे पहलवान
सुबह के नाश्ते
से लेकर
शाम का भोजन
तैयार है
किसी में नमक
ज्यादा तो
कोई पकने से
कर चुका इंकार है
फिर भी हर कोई
खिलाना चाहता है...
उलूक टाइम्स पर सुशील जोशी
--
इश्क़ का रुतबा कम नहीं होता इश्क़ मज़बूर बेदम नहीं होता।
इश्क़ में अगर तपिश नहीं होती
दिल का कोना नम नहीं होता।
हुस्न का सदक़ा भी कौन करता
इश्क़ में ही अगर दम नहीं होता...
--
--
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर
केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।