मित्रों।
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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दोहे
"एक समय का कीजिए, दिन में अब उपवास"
विदेश में वाह...देश में आह
दलगत पचड़े में नहीं, करता हूँ विश्वास।
जनता को जो खुश करे, वो शासक है खास।।
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राजनयिक परदेश के, करें भले ही वाह।
लेकिन अपने देश की, जनता भरती आह।।
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बहुमत की सरकार पर, उठते आज सवाल।
साठ साल के दौर में, हुआ न ऐसा हाल...
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अपना अपना दीपावली उपहार
ये जो तंग गली सड़क किनारे बिखरा शहर की बहुमंजिला इमारतों घरों से सालभर का जमा कबाड़ बाहर निकल आया उत्सवी रंगत में उसकी आहट से कुछ मासूम जानें खुश हो निकल पड़े हैं उसे समेटने यूँ ही खेलते-कूदते आपस में लड़ते-झगड़ते क्योंकि वे जान गए हैं हरवर्ष उनके भाग्य का तय है अपना अपना दीपावली उपहार...
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सहसा वो विलीन हो जाते
दिन ढलने को हो आया था
घर अपने सब लौट आया था
थी गोधूली की अद्भुत वेला
हुआ प्रकाश का मंद उजाला
थे बरगद के पुराने-झाड़
पशु-पक्षी बैठे थे अपार
बोली मैना आनंदित होकर...
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रिश्ते बनते हैं निभाने से
आज मन हुआ है उन मुलाकातों को अंकित करने का जो हुई अंतर्जाल की दोस्ती के बाद ... जब ब्लॉग लिखना शुरू हुआ तो लोगों से परिचय बढ़ने लगा.....बातचीत होने लगी ...बहुत ब्लॉगरों से चैट पर समस्याएँ साझा की और हल निकाले ...
मेरे मन की पर अर्चना चावजी
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भइया जी यद्यपि परधानिउ हारे हैं
कयू कलट्टर यसपी का दुत्कारे हैं
नेता जी की आँखों के हम तारे हैं
यक थाना के गारद कै दूने गारद
नेता जी के अगुआरे पिछुआरे हैं...
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जो दिखता है, वही टिकता है
नाम और दाम पाने के लिए सर्वोच्च स्थान पर टिके रहना आवश्यक हो गया है और उसके लिए जरुरी है दिखते रहना यानी लोगों के जेहन में बने रहना। इसीलिए तो खुद ही लोग पहुँच जाते हैं, स्वरचित नाटक को दिखाने, जनता के सामने। इन्हें अच्छी तरह मालुम होता है कि मेरे ऐसा करने से क्या प्रतिक्रिया होने वाली है और उससे मुझे कितना फ़ायदा होने वाला है...
कुछ अलग सा पर गगन शर्मा
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राज काज
नैनीताल समाचार में छपी थी मेरी कुछ लाइने
कुछ वर्ष पूर्व। वहाँ त्रिवार्षिक कार्यकाल वालों के
लिये था। यहां त्रिवार्षिक बदल कर पंचवर्षीय
कर दे रहा हूँ। शेष लाइने वही हैं ।
़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़
कुत्तों की सभा का
पंचवर्षीय चुनाव
गीदड़ ने पहना ताज...
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यह महज असहिष्णुता नहीं है..
अरुन्धति रॉय
अनवरत
अरुन्धति रॉय
सर्वश्रेष्ठ पटकथा के लिए मिले राष्ट्रीय सम्मान को (नेशनल अवार्ड फॉर बेस्ट स्क्रीनप्ले) लौटाते हुए अरुंधति रॉय यहां उन सब बातों को याद कर रही हैं जिन पर हमें नाज करना चाहिए और उन सब पर भी, जिन पर हमें शर्म आनी चाहिए और जिन के खिलाफ उठ खड़े होना चाहिए.
अनवरत
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माननीय प्रधानमंत्री जी. आप देश की जनता से हर महीने मन की बात करते हैं. आज मैं भी अपने मन की कुछ बातें आपसे कहना चाहता हूं. यह जुमला तो आपने सुना ही होगा कि इस देश में तीन चीजें खूब बिकती हैं - सिनेमा, सेक्स और सियासत. पर अब यह जुमला पुराना हो गया. अब इस देश में जो तीन चीजें खूब चर्चित हैं वह है - गाय, गीता और गप. जरा गौर फरमायें तो ये तीनों चीजें भारतीय संस्कृति में सनातन काल से रची-बसी हैं. कोई भी इससे अनभिज्ञ नहीं. पर इन दिनों ये तीनों चीजें नये कारणाें से चर्चा में हैं. अचानक से इस देश में कई लोगों के लिए गाय महत्वपूर्ण हो गयी है. इतनी कि सियासत भी पाकिकस्तान से लौटी भारतीय बेटी गीता के मुकाबले गाय को ज्यादा तवज्जो दे रही. यही कारण है कि इसे लेकर सोशल मीडिया पर तरह-तरह के गपों का सिलसिला जारी है...
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डॉ अमिताव सेन गुप्ता
डॉ अमिताव सेन गुप्ता, निदेशक,
राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला की सेवानिवृति
बड़ा विज्ञान जगत में जिनका खास मुकाम।
सेवानिवृति कहने को इन्हें उठती नहीं जुबान।
लवों पर शब्द न आऐं विदाई कैसे गाऐं...
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दोस्त
मिनी ने पक्का सोच लिया था कि अब वो कबीर से कभी बात नहीं करेगी | बात तो क्या कभी मैसेज भी नहीं करेगी | आज सोमवार था मिनी ऑफिस में अपने काम मैं काफी व्यस्त थी | तभी उसे लगा कि कुछ कम्पन हो रही ..पास रखी अलमारी के हिलने की आवाज़ इतनी थी कि ये समझ आ चूका था कि भूकंप के तेज़ झटकों से धरती हिल रही है | थोड़ी देर में सब शांत हो गया फिर सब अपने अपने काम में लग गए पर मिनी का मन शांत नहीं था ...
बावरा मन पर सु-मन
(Suman Kapoor)
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