मित्रों!
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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गीत
"मैला हुआ है आवरण"
सभ्यता, शालीनता के गाँव में,
खो गया जाने कहाँ है आचरण?
कर्णधारों की कुटिलता देखकर,
देश का दूषित हुआ वातावरण...
खो गया जाने कहाँ है आचरण?
कर्णधारों की कुटिलता देखकर,
देश का दूषित हुआ वातावरण...
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क्षणिकाएं
कुछ दर्द, कुछ अश्क़,
धुआं सुलगते अरमानों का
ठंडी निश्वास धधकते अंतस की,
तेरे नाम के साथ
छत की कड़ियों की
अंत हीन गिनती,
बन कर रह गयी ज़िंदगी
एक अधूरी पेन्टिंग
एक धुंधले कैनवास पर...
Kailash Sharma
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कोशिश
यह सच है कि धरती और आसमान
एक दूसरे से मिल नहीं सकते,
पर मिलने की कोशिश तो कर सकते हैं...
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पहला प्यार
वक्त बदला, तारीखें बदली
ना बदला वो एहसास व प्यार !! ......
बस 11 साल ही तो हुए उस दिन को,
जब हम बँधे थे इक बंधन में...
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'' सम्बन्ध '' नामक मुक्तक ,
कवि स्व. श्री श्रीकृष्ण शर्मा के मुक्तक - संग्रह -
'' चाँद झील में '' से लिया गया है -
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ट्रक और लॉरी में फर्क होता है
....दोनों करीब-करीब एक जैसे होते हैं पर फिर भी उनके काम में फर्क तो है ही। ये फर्क मुझे भी तब पता चला जब अपने सामान की शिफ्टिंग के लिए मैंने एक ट्रांसपोर्टर की सेवाएं लीं। बातों-बातों में उन्होंने यह जानकारी मुझे दी तो मैंने भी उसे शेयर कर लिया...
कुछ अलग सा पर गगन शर्मा
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नहीं आया समझ में कहेगा फिर से
पता है भाई पागलों का बैंक अलग
और खाता अलग इसीलिये बनाया जाता है
उलूक टाइम्स पर सुशील कुमार जोशी
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बैठे ठाले - १५
मित्रो! दिल पर हाथ रख कर बोलिए, क्या आज देश में धार्मिक असहिष्णुता फ़ैली हुई नहीं है? सत्तानशीं लोग कहते हैं कि ये काग्रेसियों की साजिश मात्र है, बदनाम करने की मुहिम है, पर यह पूरा सच नहीं है. मैं हल्द्वानी शहर से सटे हुए एक आधुनिक गाँव में निवास कर रहा हूँ, जहाँ 99.9% आबादी हिन्दू है. अधिकाँश बुजुर्ग सरकारी या गैरसरकारी सेवाओं से रिटायर्ड हैं, जहां कहीं भी उठते बैठते या साथ घूमते हैं तो देश की सियासत पर चर्चा होने लगती है. समाचार चैनल्स की ख़बरों पर तप्सरा होने लगता है. केंद्र की पिछली सरकार में हुए घोटालों को भाजपा ने अपने लोकसभा चुनावों में खूब भुनाया अत: अधिकांश लोग परिवर्तन चाहते थे...
जाले पर पुरुषोत्तम पाण्डेय
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भारत में असहिष्णुता है .
संविधान दिवस और धर्मनिरपेक्षता और असहिष्णुता पर संग्राम ये है आज की राजनीति का परिपक्व स्वरुप जो हर मौके को अपने लिए लाभ के सौदे में तब्दील कर लेता है .माननीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह इस मौके पर संविधान निर्माता के मन की बात बताते हैं वैसे भी इस सरकार के मुखिया ही जब मन की बात करते फिरते हैं तब तो इसके प्रत्येक सदस्य के लिए मन की बात करना जरूरी हो जाता है...
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भारत असहिष्णु राष्ट्र नहीं है
इन दिनों भारत में तथाकथित असहिष्णुता का माहौल बनाया जा रहा है। असहिष्णुता की विधिवत पृष्ठभूमि तैयार की जा रही है। साहित्यकारों का पुरस्कार लौटना, अभिनेताओं के बड़बोले और ऐसे बयान जिसे सुनकर हर भारतीय की आत्मा आहत होती है, धार्मिक प्रतिनिधियों के ऐसे वक्तव्य जिसे सुनकर लगता है कि भारत इतना असहिष्णु हो गया है कि पाकिस्तान भी सहिष्णु राष्ट्र लगने लगा है। भारत की असहिष्णुता साबित करने के लिए लोग युद्ध स्तर से इसी काम में लग गए हैं। असहिष्णुता का बीज बोया जा रहा है। भारत को असहिष्णु राष्ट्र घोषित करने के लिए राष्ट्रीय स्तर का कार्यक्रम चलाया जा रहा है...
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विश्व में बस एक है
जड़ता-कटुता-हिंसा ने
सभ्यता को पंक बना दिया
मिट्टी के पुतले बनकर
मानवता को मुरझा दिया.
विद्वेष घृणा से लड़नेवाले
अनुरागहीन अनासक्त हुआ
भूलोक का गौरव मनोहर
देख कर भी न आसक्त हुआ...
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याद आती है बेचैन हरिक साज़ की सूरत
वो शाम कयामत की, जले ताज़ की सूरत
थी भीड़ मजारों पर, चिताएँ भी थीं रौशन
आबाद अभी दिल में है जाबांज़ की सूरत...
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इच्छा
कोई हमको
कभी क्यूं
नहीं बनाता
अपना दलाल
कब से कोशिश
कर रहे हैं
लग गये हैं
कई साल...
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अर्थ पहचानती रही
तासीर ही गर्म इतनी रही
लहू ठंडा हो गया
बिना दवा लिए हुए ...
निविया पर Neelima Sharma
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