मित्रों!
मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
"हो गद्दारों से गद्दारी"
तभी सलामत रह पायेगी, खुद्दारों की खुद्दारी।।...
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यमुना कोठी की जेन्नी
(पहला भाग)
...सोचती हूँ कैसे तय किया मैंने ज़िन्दगी का इतना लंबा सफ़र, एक-एक पल गिनते-गिनते जीते-जीते पूरे पचास साल। कभी-कभी यूँ महसूस होता मानो 50 वर्ष नहीं 50 युग जी आई हूँ। जब कभी अतीत की ओर देखती हूँ तो लगता है जैसे मैंने जिस बचपन को जिया वो कोई सच्चाई नहीं बल्कि एक फिल्म की कहानी है जिसमें मैंने अभिनय किया था...
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औ मुसन्निफ़ भी तो कोई व्यास होना चाहिए
फिर कोई इक कृष्ण सा बिंदास होना चाहिए
औ मुसन्निफ़ भी तो कोई व्यास होना चाहिए...
अंदाज़े ग़ाफ़िल पर
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
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शब्द भर ही
मोहब्बत के
वृहद् और विस्तृत अर्थों में से
कौन सा अर्थ चुनूँ अपने लिए
जो किसी एक में समा जाए
सारी कायनात की मोहब्बत...
vandana gupta
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सच्चाई पसंद नहीं आती किसी को -
अविनाश वाचस्पति
अप्रियसत्य सत्य मैं लिखता रहा
मित्र मजाक समझते रहे
पीड़ा में घुलता रहा
व्यंग्य का कीड़ा समझते रहे।
सच्चाई पसंद नहीं आती है अप्रिय लगती है
लगता है झूठ लिख रहा हूं
सच न जाने क्यों सबको झूठ लगता है।
लगता है सबको कि
ऐसा हो नहीं सकता
इतना बुरा एक लेखक के साथ
उसके परिवार जन कर नहीं सकते...
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कैसे भूलूँ तेरी मोहब्बत को
(ग़ज़ल)
हितेश कुमार शर्मा
खता तेरी को खता कहूँ तो
मोहब्बत बदनाम होती है
हसरतें दिल की तमाम पूरी होती नहीं
कुछ कोशिशे नाकाम भी होती हैं...
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