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शनिवार, जून 27, 2015

सोशल मीडिया के कायदे, मानने के हैं बड़े फायदे (अ-४ / २०१९, चर्चामंच)

चर्चामंच के पाठकों को सादर नमस्कार. शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है. आपकी जानकारी के लिए आपको बता दें, कि आप पधारें हैं, अ से अनूषा की चौथी चर्चा पर, और ये है चर्चामंच पर सजी २०१९ वी चर्चा.

अंग्रेज़ी में एक कहावत है, हिंदी अनुवाद - परिवर्तन ही जीवन का एकमएक अचर (constant) है. तो इस बार मैंने अपनी चर्चा में लिंक साझा करने के तरीके में कुछ परिवर्तन किए हैं, जिससे सह-चिट्ठाकारों को बहुत लाभ होगा, ऐसी मेरा धारणा है. इस धारणा का आधार भी आगे साझा करूंगी.

 मेरे गूगल प्लस पृष्ठ से


गुनगुनाती शुरुआत - “माना अपनी जेब से फकीर हैं...”  


आज की हमारी गुनगुनाती शुरुआत में एक बड़ा प्यारा गीत है. आज कल मेरे पुत्र का पसंदीदा बना हुआ है. लोरी भी इसी गीत की, और हंसी-ठिठौरी भी इसी धुन पर हो रही है. यह नगमा ही ऐसा है, जितना मधुर, उतना ही सार्थक भी.





बिन मांगी राय, अंतरजाल के गुण सिखाय - सोशल मीडिया के कायदे, मानने के हैं बड़े फायदे


(इस स्तंभ में कुछ काम की युक्तियां, या टिप्स, अंतरजाल का उपयोग करते वक्त बहुत ही कारगर सिद्ध होंगी.)


हमारी रोज़मर्रा के जीवन में हर काम के कुछ कायदे हैं, खाने के, उठने बैठने के. अब अगर हम इन कायदों से न चलें, तो पुलिस पकड़कर के तो ले नहीं जाएगी, पर हम अनाड़ी ज़रूर लग सकते हैं, खासकर उन्हें, जिन्हें सही ढंग की जानकारी हो. अक्सर ही इन कायदों से चलने के हमें बहुत फायदे भी मिलते हैं. इस मामले में सोशल मीडिया की दुनिया भी हमारी असल दुनिया जैसी ही है. कुछ कायदे हैं, कुछ ध्यान रखने योग्य बातें हैं, थोड़ा शिष्टाचार, और आप हो जाएंगे सोशल मीडिया के प्रिय लोगों में शुमार. :D चलिए, प्रिय लोगों में न सही पर अप्रिय, और दूसरों के लिए असुविधाजनक हों, ऐसी बातों से ज़रा बचा जाए? तो फिर ये रहा एक जानकारी से भरपूर लेख आपके लिए -
  

जैसा कि आप देख रहे हैं, कि इस बार, लिंक्स की जगह, गूगल प्लस पोस्ट एम्बेड किए हैं. इनसे रचयिता को बहुत लाभ होगा. कारण हैं ये:
- आपकी पोस्ट को प्लस वन करना हो, तो पाठक आपके के पेज पर जाए बिना, यहीं से भी कर सकते हैं, और बाद में अपने एकत्रित लेखों में से पढ़ सकते हैं.
- आपकी पोस्ट पर किए प्लस वन आपके पाठकों को यहां दिखाई देंगे.
- आपके पाठक यहीं से आपको अपनी मंडलियों में शामिल भी कर सकेंगे.
- आपकी रचना का सचित्र "प्रिव्यू" यहां नज़र आएगा, आपके अपने चित्र के साथ. साथ में यदि आपने कुछ पंक्तियां अपनी रचना के लिए, उसका विवरण देते हुए लिखी हैं, तो वो भी जस की तस यहां भी दिखाई देंगी.
परिवर्तन अच्छा लगा? तो टिप्पणी कर बताइगा ज़रूर.
नहीं अच्छा लगा? तो फिर तो और भी ज़रूरी है बताना, वरना हम कारण कैसे जान पाएंगे? और सुधारेंगे कैसे? :)



रोचक आलेख / हास्य व्यंग्य


ज्ञान पाया, अब मनोरंजन की बारी, तो हम करवाते हैं आपको इस समुचित समीक्षा-रथ की सवारी

वर्षा ऋतु का लें भरपूर आनंद, पर अपने स्वाथ्य के प्रति भी रहें पाबंद


एक अनोखे नज़रिए से देखें रेल के डिब्बे को

तुकांत या ताल, या गज़ल बेमिसाल, बस कविताओं का धमाल  








किस्से कहानियों की बातें  

ये किस्सा पढ़िएगा, तो मुस्कुराए बिना नहीं रहिएगा ~


सुमधुर समापन - “अच्छा जी मैं...” 


इस बार सुमधुर समापन दर्शनीय भी उतना ही है - देखिए अपने समय के दिग्गज अभिनेता और अभिनेत्री, और इनके मोहक हावभाव. वाकई इनके नाम मधुबाला, और देवांनद यूं ही नहीं थे. :) 



अगले हफ्ते फिर मिलने की कोशिश करूंगी, नहीं तो उसके अगले, पर फिर मिलेंगे ज़रूर. अब विदा चाहूंगी.
~ सादर




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