मित्रों।
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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योग के मरफ़ी के नियम
Ravishankar Shrivastava
--दोहागीत
"योग भगाए रोग"
तन,मन और आत्मा में तालमेल बनाए रखने की भारत की प्राचीन विधा योग का हमारी संस्कृति में एक विशेष स्थान है । हमारे ऋषि मुनियों ने तन के सूक्ष्म अध्ययन के साथ साथ मन और आत्मा का भी गहन अध्ययन किया । उन्होनें जीवन की जो शैली विकसित की उसमें मनुष्य को एक सर्वश्रेष्ठ जीव बनाने की पूरी विधि का खाका तैयार किया । तन से मन की, मन से आत्मा की सूक्ष्म यात्रा का माध्यम बना योग । योग तन को स्वस्थ रखने, चंचल मन को साधने और आत्मा के परमात्मा से मिलन की एक अनमोल विधा है । हमारे देश में एक से बढ़ कर एक परम और सिद्ध योगी हुए हैं । योग ने विदेशियों को भी अपनी और आकर्षित किया है । आपा धापी की जीवन शैली में योग ने एक बार फिर से अपना विशेष स्थान बना लिया है । सबसे पहले जानते हैं योग है क्या...
रसबतिया पर सर्जना शर्मा
--अच्छा काल
मतलब आपातकाल
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डा: संजय दानी "कंसल" की गज़ल :
माहे- रमज़ान
रोज़ा रखो या न रखो माहे- रमज़ान में,
दिल की बुराई तो तजो माहे -रमज़ान में।
ख़ुशियां ख़ूब मना ली जीवन में गर तो,
ग़ैरों के दुख को हरो माहे-रमज़ान में...
आरंभ पर Sanjeeva Tiwari
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विश्व-व्यापी योग
प्रभात काल के अरुणोदय से
नवयुग का अवतरण हुआ है
विश्व व्यापी अभियान चला है
योग दिवस पर योग जगा है.
स्वस्थ हो काया स्वच्छ हो जीवन
यही अलख सब ओर सुना है
चरित्र चिन्तन को दिशा मिले
इसीलिए जन योग चुना है...
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बूँदें हैं, नमी है...!!
बादल हैं, बारिश है, बूँदें हैं, नमी है...
सफ़र में साथ साथ चल रहे
आसमां और ज़मीं हैं...
यहाँ सब कुछ बिखरा बिखरा है...
हो सके तो आ जाओ दोस्त!
तुम्हारी ही कमी है...
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बिखर जाने दे - -
कांच के बूंदों की तरह टूट कर मुझे बिखर जाने दे,
कोई अधूरी ख़्वाहिश न लगे चुभता सा किनारा,
उफनती नदी की मानिंद फिर मुझे निखर जाने दे...
अग्निशिखा :पर SHANTANU SANYAL
* शांतनु सान्याल * শান্তনু সান্যাল
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क्या चाहते हैं ?
क्या होगा यदि पूरी हो जायेगी ?
क्या दूसरी चाहत न जन्म लेगी ?
बस इसी फेर में गुजरती ज़िन्दगी के सिलसिले
एक दिन ऊबकर पलायन कर जाते हैं
और खाली कटोरे सा वजूद
भांय भांय करता डराता है...
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शब्द से ख़ामोशी तक –
अनकहा मन का
(भाग-३)
कभी कभी यूँ ही
मन खिन्न सा हो जाता है |
अकारण ही बिना किसी वजह के |
एक क्षण शांत
दूसरे क्षण उतना ही व्याकुल |
क्यों ऐसा होता है ...
बावरा मन पर सु-मन
(Suman Kapoor)
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१७४. गौरैया
...गर्म हवाएँ घुस रही हैं,
झुलस रहा है कमरा,
पर खुली रहने दो खिड़की,
खामोश रहने दो ए.सी. को,
कहीं उड़ न जाय
पल्ले पर बैठी गौरैय्या...
झुलस रहा है कमरा,
पर खुली रहने दो खिड़की,
खामोश रहने दो ए.सी. को,
कहीं उड़ न जाय
पल्ले पर बैठी गौरैय्या...
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मेवाड़ के वीर
मेवाड़ के उन वीरों की
हस्ती अभी भी बाकी हैं।
फिर से जनमेगा प्रताप
ये उम्मीद अभी भी बाकी हैं...
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पापा की हथेलियों में ...
...पापा की हथेलियां थपकी स्नेह की
जब भी कभी कदम डगमगाये
हौसले से उनके
आने वाला पल मुस्कराये!
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खामोश नजर
जीवन के इक मोड पर
अच्छा हुआ तुम मिल गये
कुछ कह लियाकुछ सुन लिया
बोझ हल्का कर लिया
यूँ ही साथ चलते चलते
कुछ रास्ता भी कट गया...
Dr.NISHA MAHARANA
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'अनछुआ तिलिस्म..'
तेरी यादों की कशिश..
वो अनछुआ तिलिस्म..
मेरी नाराज़गी..
गिरफ़्त तरसती बाँहें..
आना ही था..
इस सफ़ेद चादर को..
दरमियाँ ...
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कुली की आत्मकथा
मैंने अपनी हड्डियों का चूरा बनाया है
जब कहीं आपका
अमेरिकन टूरिस्टर का बैग उठाया है
भीड़ को चीरकर आपको कोच तक पहुंचाया है...
जब कहीं आपका
अमेरिकन टूरिस्टर का बैग उठाया है
भीड़ को चीरकर आपको कोच तक पहुंचाया है...
Barun K. Sakhajee
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साये से इक प्यार किया था
साये से इक प्यार किया था
खुशबू का व्यापार किया था
दिन जब ढला रौशनी गायब
सूरज पर एतबार किया था...
काव्य सुधा पर Neeraj Kumar Neer
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तुम्हारी याद !
क्या कहूँ कुछ सूझता नहीं ,
काल-कर्कट है बड़ा क्रूर
तुड़वा दिया कसम हमारी ,
कर दिया तुमको मुझ से दूर|
खाए थे कसम हमने मिलकर ,
साथ रहेंगे जिंदगी भर
तुम हो कहीं पर ,मैं हूँ कहीं ,
हो गए हम लाचार मजबूर...
कालीपद "प्रसाद"
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चलो लड़ना सीखे
कब तक जियोगे, समझौते भरी ज़िंदगी
तेरी आंखें बताती है, नहीं इसमें तेरी रजामंदी
अरे खुद से पूछ तो सही, तुझे क्या चाहिए...
हिंदी कविता पर Bhoopendra Jaysawal
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कश्ती में चलने वाले
समंदर का किनारा भी है
है फजां धुंंधलाई हुई पर
मंजिल तुम्हारा भी है...
आपका ब्लॉग पर
Sanjay kumar maurya
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एक कविता पेड़ के लिए
राकेश रोहित
वह छोटे पत्तों
और बड़ी छायाओं वाला पेड़ था
जिसकी छांव में ठहरी थी चंचल हवा
और वहीं टहनियों में फंसी
एक पतंग डोल रही थी!
शायद उतरने की कोशिश में
फट गया था पतंग का किनारा...
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पिता
पितृ दिवस की आप सभी को
हार्दिक शुभकामनायें !
पिता
एक ऐसा जुझारू व्यक्तित्व
जिसने चुनौतियों से
कभी हार न मानी
हर मुश्किल घड़ी में
वह और मज़बूत होकर निखरा
हर विपदा को अपने ध्रुव इरादों से
जिसने चूर चूर करने की ठानी !...
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