मित्रों।
सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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पिता के लिए एक दिन ....
(father's Day par )
दुनिया के हर पिता को समर्पित
एक पिता के काँधे पर होता है
भार अपनी सृष्टि का ,
जैसे छत को संभाले रखती हैं दीवारें ,
अपनी मजबूत पकड़ के साथ |
पूर्ण रूप से निबाहता है
अपनी जिम्मेवारियों को...
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~** पिता... हार्डबाउंड कवर में...
बंद जैसे इतिहास मिले ! **~
बूँद-बूँद लम्हे पर Anita Lalit
(अनिता ललित )
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रोशनी तुमसे पिता
घर चमन में झिलमिलाती, रोशनी तुमसे पिता
ज़िंदगी में हमने पाई, हर खुशी तुमसे पिता...
गज़ल संध्या पर कल्पना रामानी
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पिता महान
[पितृ दिवस पर]
1. पिता का साया
तरुवर की छाया
पिता सुरक्षा
2. ऊँगली थामे
कठिन डगर पे
राह दिखाये
3...
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आँखों की भाषा
कितने स्वप्न सँजों रखे हैं,
कब से सोयी है अभिलाषा,
चुपके चुपके कह जाती है,
आँखों से आँखों की भाषा । १...
न दैन्यं न पलायनम् पर प्रवीण पाण्डेय
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मैं हूँ ना मेरे बच्चो
चैतन्य को सँभालते पापा
*पिता *
*बुहारते हैं पथ *
*कि कोई काँटा*
* ना* * चुभे *
*बच्चों **के** पाँव में...
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हैप्पी फादर्स डे ---
भूल मत जाना उसको जो जन्मदाता है।
खुद एक कोट में जीवन काटे ,
पर बच्चों को ब्रांडेड कपड़े दिलवाता है।
खुद झेले डी टी सी के झटके ,
पर आपको नैनो के सपने दिखलाता है।
चलना सीखा जिसकी उंगली की जकड़ में ,
अब पकड़ कर हाथ सहारा देना ,
भूल मत जाना उसको जीवन के पतझड़ में।
खुद एक कोट में जीवन काटे ,
पर बच्चों को ब्रांडेड कपड़े दिलवाता है।
खुद झेले डी टी सी के झटके ,
पर आपको नैनो के सपने दिखलाता है।
चलना सीखा जिसकी उंगली की जकड़ में ,
अब पकड़ कर हाथ सहारा देना ,
भूल मत जाना उसको जीवन के पतझड़ में।
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वर्षा का आनंद
छाई घनघोर घटा आज
बादलों ने की गर्जन तर्जन
किया स्वागत वर्षा ऋतु का
नन्हीं जल की बूंदों से |
धरती ने समेटा बाहों में
उन नन्हें जल कणों को
आशीष दिया भरपूर उन्हें
सूखी दरारें मन की भरने पर...
Akanksha पर Asha Saxena
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