मित्रों।
सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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है कितना अंतर
है कितना अंतर
कल और आज के सोच में
गहरी खाई हो गई है
विचारों में |
आज भी याद आते है वे लम्हें
जब होते थे बाबा दादी के साथ
नाना नानी मामा मामी से
कितना प्यार मिलता था
बता नहीं पाते शब्दों में...
Akanksha पर Asha Saxena
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पगडंडी
मत ढूंढो पगडंडियां बनायी औरों की
सुखद यात्रा को, बनाओ अपनी पगडंडी
और चुनो अपनी एक नयी मंज़िल...
Kailash Sharma
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बोल उठा भू का तन प्यासा
घन बरसो, जग-जीवन प्यासा
आस लगी इस मानसून पर
रह जाए न कृषक-मन प्यासा...
गज़ल संध्या पर कल्पना रामानी
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