मित्रों।
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
--
--
"बारिश मत धोखा दे जाना"
सावन सूखा बीत न जाये।
नभ की गागर रीत न जाये।।
कृषक-श्रमिक भी थे चिन्ताकुल।
धान बिना बारिश थे व्याकुल।।
रूठ न जाये कहीं विधाता।
डर था सबको यही सताता।।
लेकिन बादल है घिर आया।
घटाटोप अंधियारा छाया...
--
--
--
--
--
आओ जी लें यहाँ
हर ऋतु हर मौसम
क्त की धारा बन
बहता रहा जीवन यहाँ
युगों युगों से इस धरा पर
रात दिन छलते रहे और
जीवनक्रम यहाँ चलता रहा
निरंतर...
--
--
--
इस दुनिया का
इस दुनिया का एक लघु आकार दिखा
जिसमें जीवन का एक बृहद व्यापार दिखा...
आपका ब्लॉग पर
Sanjay kumar maurya
--
--
--
--
--
मुब्तिला इश्क में वो
एहसास-ए-अदब भूल गए
अपनी मंजिल के लिए
होश-ओ-खबर खो के चले,
बा-वस्फे शौक़ दुश्मनी...
वो मगर बो के चले...
Harash Mahajan
--
अब चोर ही
चोर की जांच करेगा
फ़र्ज़ी डिग्री की सरकार
अपने गुनाहों पर पर्दा डालने के लिए
अब आंतरिक लोकपाल बिठाएगी ,
यानी अब चोर ही
चोर की जांच करेगा...
आपका ब्लॉग पर
Virendra Kumar Sharma
--
उन दीवारो पर
भीड़ बहुत है
सबने अपना अपना सामान बाँध लिये हैं
और जो छूट रहें है
उनका पता कही खो जायेगा
गुमराह राहों के बीच...
--
उद्देश्य सफल हो जाता है
आनंद स्रोत बह रहा है
क्यों उदास होता है ये मन .
चिर नवीन ये चिर पुराण है
अमृतमय इसमें स्पंदन .
प्रकृति करती है...
--
--
सांसद निधि बढ़ाने का औचित्य ?
जनता के पास एक ही चारा है बगावत यह बात कह रहा हूँ मैं होशो-हवास में ---- अदम गोंडवी देश की आधी से ज्यादा आबादी फटेहाल है और देश के संसद में पांच करोड़ की सांसद निधि में पांच गुना वृद्दि करके उसे पच्चीस करोड़ किये जाने का प्रस्ताव किया गया है | यह प्रस्ताव सम्भवत: पारित भी हो चूका है | हालाकि सांसदों की मांग इसे पचास करोड़ तक कर देने की रही है...
शरारती बचपन पर sunil kumar
--
--
--
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर
केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।