फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

मंगलवार, जून 02, 2015

व्यक्ति-वेदना पढ़ मगर, हर उसका संताप ; चर्चा मंच 1994

रविकर 
रस्सी जैसी जिंदगी, तने तने हालात |
एक सिरे पे ख्वाहिशें, दूजे पे औकात |

हो गलती का लती जो, खायेगा वह लात |
पछताये हालात पर, समझ जाय औकात ||



प्रवीण पाण्डेय 



डा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumar 


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।