विजय राज बली माथुर
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Harash Mahajan
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Ravishankar Shrivastava
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Shalini Kaushik
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Tushar Rastogi
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RAJEEV KULSHRESTHA
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lokendra singh
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वो कभी नहीं थकता था
जो आज टूट गया है
अपना साया ही ज़िस्म का खून चूस गया है
जिसने गीले में सोकर सूखा हमें दिया बिस्तरा
पाला हमें अभाव में भी मुस्कुरा के
इस तरह ज़रा सा रो भी दें
तो घंटो जो मनाया करते थे...
Lekhika 'Pari M Shlok'
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दोहे "भाँति-भाँति के आम"
तोतापरी-बनारसी, देशी-क़लमी आम।
भाँति-भाँति के आम हैं, भाँति-भाँति के नाम।।
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