मित्रों।
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक
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ब्लैकमेल और हम
छोटे थे तो फ़िल्मों से पता चलता था कि ब्लैकमेल नाम की भी एक क्रिया होती है और बहुत ही घिनौने लोग इसे अंजाम देते हैं। बड़े होते-होते, समझ आते-आते समझ में आया कि इस महानता में तो जगह-जगह, तरह-तरह से लोग हाथ बंटा रहे हैं। ‘इमोशनल ब्लैकमेलिंग’ के मुहावरे से तो आज बहुत-से लोग परिचित हैं...
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ये कैसा संन्यास ?
करोड़ों की संपत्ति छोड़ रघुनाथ दोषी भिक्षु बने अर्थात उन्होंने सन्यास ग्रहण कर लिया और यहीं से एक प्रश्न ने दिमाग में हल्ला मचा दिया जब देखा कि १०० करोड़ की लागत से तो पंडाल बनाया गया जहाँ भिक्षु बनने का आयोजन संपन्न हुआ . प्रश्न उठता है जब आपने सन्यास लेने का मन बना ही लिया तो माया से भी दूर हो गए और यदि माया से दूर हो गए तो ये दिखावा क्यों ? क्या संन्यास लेना दिखावा है ...
vandana gupta
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उर्जाधानी
तेरी अजब गजब कहानी ...
अंधेर नगरी में एक उर्जाधानी है और वहां के प्रबंधक बिना पाना पिंचस के ज्ञान प्राप्त साहब हैं और उनके दूत कंपनियों को संभाले हुए हैं और इन्होंने पाना पिंचस वाला ज्ञान प्राप्त किया हुआ है...
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मन के साथ चलता हूँ ...
बस यूं ही मन के साथ चलता हूँ
कहता हूँ कुछ बाहर की
कुछ भीतर की
यहाँ वहाँ की देख कर-सुनकर
खुद से चुगली करता हूँ...
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हमे तो साथ तेरा ही
हमेशा से गवारा है
हमीं मरते रहे तुम पर
किया हमसे किनारा है
चले आओ यहाँ तुम को
सजन हमने पुकारा है...
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