"चर्चा मंच" अंक - 105 |
चर्चाकारः डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक |
आइए आज का "चर्चा मंच" सजाते हैं- |
आज मुझे ये लिंक्स बहुत ही अच्छे लगे- |
सबसे पहले आज नन्ही पाखी पाखी की दुनिया में अण्डमान निकोबार के मौसम का हाल सुना रही हैं- अंडमान में रिमझिम-रिमझिम बारिश रिमझिम-रिमझिम बारिश तो मुझे बहुत भाती है. आज इन्तजार पूरा हुआ. अंडमान में पहली बारिश आज हुई. कल रात को भूकंप और आज दोपहर में बारिश. भूकंप के समय तो मैं बिस्तर पर कूद रही थी, मुझे लगा कि मेरे कूदने से बिस्तर हिल रहा है. पर कुछ ही क्षण में पता चला कि यह भूकंप जी हैं, जो हमें झूला झुला रहे हैं...फिलहाल बारिश की बातें. अभी तो यहाँ भी थोड़ी-थोड़ी गर्मी पड़ने लगी थी, पर अब बारिश इसी तरह हुई तो मजा आ जायेगा. बारिश में यहाँ घूमने में भी मजा आयेगा. नो गर्मी, नो टेंशन. खूब घुमूंगी और मस्ती करूँगीं !!…… |
और अब पढ़िए यहाँ एक मजेदार धारावाहिक कहानी का रोचक मोड़- ये किस मोड़ पर ? Author: वन्दना | Source: एक प्रयास निशि की सुन्दरता पर मुग्ध होकर ही तो राजीव और उसके घरवालों ने पहली बार में ही हाँ कह दी थी . दोनों की एक भरपूर , खुशहाल गृहस्थी थी . राजीव का अपना व्यवसाय था और निशि को लाड-प्यार करने वाला परिवार मिला. एक औरत को और क्या चाहिए . प्यार करने वाला पति और साथ देने वाला परिवार. वक़्त के साथ उनके दो बच्चे हुए . चारों तरफ खुशहाल माहौल . कहीं कोई कमी नहीं . वक़्त के साथ बच्चे भी बड़े होने लगे और परिवार के सदस्य भी काम के सिलसिले में दूर चले गए . अब सिर्फ निशि अपने पति और बच्चों के साथ घर में रहती ... |
संगीता पुरी जी बता रही हैं फलित ज्योतिष : सच या झूठ |
'गत्यात्मक ज्योतिष' की खोज :ग्रहों के बुरे प्रभाव को दूर करने के उपायहजारो वर्षों से विद्वानों द्वारा अध्ययन-मनन और चिंतन के फलस्वरुप मानव-मन-मस्तिष्क एवं अन्य जड़-चेतनों पर ग्रहों के पड़नेवाले प्रभाव के रहस्यों का खुलासा होता जा रहा है , किन्तु ग्रहों के बुरे प्रभाव को दूर करने हेतु किए गए लगभग हर आयामों के उपाय में पूरी सफलता न मिल पाने से अक्सरहा मन में एक प्रश्न उपस्थित होता है,क्या भविष्य को बदला नहीं जा सकता ? किसी व्यक्ति का भाग्यफल या आनेवाला समय अच्छा हो तो ज्योतिषियों के समक्ष उनका संतुष्ट होना स्वाभाविक है, परंतु आनेवाले समय में कुछ बुरा होने का संकेत हो तो उसे सुनते ही वे उसके निदान के लिए इच्छुक हो जाते हैं। हम ज्योतिषी अक्सर इसके लिए कुछ न कुछ उपाय सुझा ही देते हैं…….. |
शरद कोकास जी बता रहे हैं- जनाब! इनकी भी तो कुछ इज्जत है- हम सब इज़्ज़तदार हैं...... हम सब इज़्ज़तदार लोग हैं .. । हम में से कितने लोग हैं जो इस बात से इंकार करेंगे ? कोई नहीं ना । ग़रीब से ग़रीब आदमी भी कहता है " हमारी भी कुछ इज़्ज़त है । " वैसे पैसे और इज़्ज़त का कोई सम्बन्ध भी नहीं है । फिर भी कहा जाता है कि इज़्ज़त की फिक्र न पैसे वाले को होती है न ग़रीब को । हाँलाकि इज़्ज़त तो इन दोनो की भी होती है । लेकिन इज़्ज़त के नाम से सबसे ज़्यादा घबड़ाता है एक मध्यवर्गीय । अब ले-दे कर एक इज़्ज़त ही तो होती है उसके पास और जो कुछ भी होता है इसी इज़्ज़त को सम्भालने में ही खत्म हो जाता है । अब ऐसे निरीह प्राणि की भी कोई बेइज़्ज़ती कर दे तो ? बस ऐसे ही एक चरित्र को लेकर गढ़ी गई है यह कविता । इज़्ज़तदार एक इज़्ज़तदार बदनामी की हवाओं में टीन की छत सा काँपता है हर डरावनी आवाज़ उसे अपना पीछा करते हुए महसूस होती है हर दृष्टि घूरती हुई चर्चाओं कहकहों मुस्कानों का सम्बन्ध वह अपने आप से जोड़ता है अपनत्व और उपहास के बोलों को………….. |
अरे वाह..! अमिताभ का खौफ किस कदर हाबी है- भागो कांग्रेसी...बच्चन आया(उपदेश सक्सेना)बचपन में बच्चों को विभिन्न तरीकों से डराया जाता है, कभी उन्हें 'बाबा' द्वारा उठा ले जाने की बात कहकर बहलाया जाता है, तो कभी अँधेरे में भय की आकृति दिखाई जाती है. अमिताभ बच्चन इन दिनों कांग्रेस के लोगों के लिए उसी 'बाबा' का रूप बन गए हैं. अमिताभ अब कांग्रेस के नेताओं के सपनों में आकर 'भूतनाथ' की तरह डराने लगे हैं. दुश्मन के दोस्त को भी दुश्मन मानने वाली कांग्रेस के हाईकमान ने पार्टी नेताओं को बच्चन से दूरियां बनाने के कोई निर्देश निश्चित रूप से नहीं दिए होंगे, मगर कांग्रेसियों के खून में बह रही चाटुकारिता की रक्त कणिकाएं ज्यादा उबाल मार रही हैं. इंदिरा गांघी के प्रादुर्भाव के बाद कांग्रेस में चाटुकारिता की हवा जमकर बही, इसका असर यह हुआ कि, कांग्रेस से जुड़े नेताओं की आत्मा मर गई……… |
पुरानी बातों में दम होता है!मगर जरा दिल थामकर इस पोस्ट को पढ़ना!बात पुरानी है !!हे दुनिया की महान आत्माओं...संभल जाओ....!मैं भूत बोल रहा हूँ..........!!मेरी गुजरी हुई दुनिया के बीते हुए दोस्तों.....मैं तो तुम्हारी दुनिया में अपने दिन जीकर आ चूका हूँ....और अब अपने भूतलोक में बड़े मज़े में अपने नए भूत दोस्तों के साथ अपनी भूतिया जिन्दगी बिता रहा हूँ....मगर धरती पर बिताये हुए दिन अब भी बहुत याद आते हैं कसम से.....!!अपने मानवीय रूप में जीए गए दिनों में मैंने आप सबकी तरह ही बहुत उधम मचाया था....और वही सब करता था जो आप सब आज कर रहे हो....और इसी का सिला यह है कि धरती अपनी समूची अस्मिता खोती जा रही.... |
आज ताऊजी डॉट कॉम वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता में हैं: सुश्री शिखा वार्ष्णेय - शिक्षा - टी वी जर्नलिज्म में परास्नातक मोस्को स्टेट युनिवर्सिटी रशिया से. स्थान - लन्दन शौक - देश ,विदेश भ्रमण ब्लाग : स्पंदन |
अब अलोकन कीजिए सरस पायस पर प्रकाशित इस प्रेरक बाल गीत का- मैं भी पढ़ना सीख रही हूँ : आकांक्षा यादव का नया बालगीतमैं भी पढ़ना सीख रही हूँमैं भी पढ़ना सीख रही हूँ, ताकि पढ़ सकूँ मैं अखबार। सुबह-सवेरे मेरे द्वार, हॉकर लाता है अखबार। कभी नहीं वह नागा करता, शीत पड़े या पड़े फुहार। मैं भी ... ... . |
आज देखिए! लड़डू क्या बोलता है? लड्डू बोलता है ....इंजीनियर के दिल से..... ब्लॉगिंग का दो महीना (34 वीं पोस्ट -- 725 पाठक-- 341 कमेंट---10 followers)....गुरू जी, क्या मैं दूसरी कक्षा में जा सकता हूँ ..? - जब मैं करीब सात-आठ साल की उम्र का था तब मेरे पिताजी ने एक बार मुझसे कहा था-" *आदमी को पढ़ना चाहिए*". उस समय मेरे दिमाग में दो बातें समझ में आई . पहला यह क.. |
अविरल काव्यधारा यहाँ भी तो प्रवाहित हो रही है- उच्चारण “सपनों को मत रोको!”- *मन की वीणा को निद्रा में, * *अभिनव तार सजाने दो! * *सपनों को मत रोको! * *उनको सहज-भाव से आने दो!! * * * *स्वप्न अगर मर गये, * *जिन्दगी टूट जायेगी, * *स्वप्.. |
नन्हें सुमन में भी आज एक बाल गीत प्रकाशित हुआ है- ‘‘भँवरा’’ - *गुन-गुन करता भँवरा आया।* *कलियों फूलों पर मंडराया।।* * * *यह गुंजन करता उपवन में।* *गीत सुनाता है गुंजन में।।* * * *कितना काला इसका तन है।* *किन्तु बड़ा ह.. कार्टून : बिना अमिताभ की 'शोले' !! Source: Cartoon, Hindi Cartoon, Indian Cartoon, Cartoon on Indian Politcs: BAMULAHIJA बामुलाहिजा >> Cartoon by Kirtish Bhatt परदे के पीछे पर्दानशीं है.............माइकल जैक्सन का भूत Mar 31, 2010 | Author: 'अदा' | Source: काव्य मंजूषा हमारे पड़ोस के राज्य क्यूबेक में मुस्लिम औरतों के नकाब पहनने पर पाबन्दी लगा दी गयी है, जो एक अच्छी पहल है, यह हर तरह से अच्छी शुरुआत है, दिनों दिन बुर्के के भी फैशन में इज़ाफा ही हुआ है, बहुत अजीब से बुर्के लोगों की नज़रों से किसी को बचाते नहीं हैं बल्कि ध्यान आकृष्ट ही करते हैं.. मीना कुमारी --एक खूबसूरत अदाकारा --आज उनकी पुण्य तिथि है -- Author: डॉ टी एस दराल | Source: अंतर्मंथन आज वितीय वर्ष का क्लोजिंग डे है। इत्तेफाक देखिये , आज ही 5० और ६० के दशक की मशहूर अदाकारा ट्रेजिडी क्वीन मरहूम मीना कुमारी जी की भी पुण्यतिथि है।आज का लेख उन्ही की याद में समर्पित है। अंधड़ ! लघु कथा- पिछला टायर ! - वित्तीय बर्ष की समाप्ति और ३१ मार्च को अधिकाँश बैंको में खाते समापने कार्य के तहत सार्वजनिक लेनदेन न होने की वजह से ३० मार्च को ही वेतन बाँट दिया गया था !.. | चर्चा के अन्त में नन्हा मन पर इस पूरी बालकविता का आनन्द लीजिए- बिल्ली बोली म्याउं म्याउं इस कविता लिखने का श्रेय मैं देना चाहुंगी राजेशा जी को जिन्होंने प्रथम चार पंक्तियां लिखकर मुझसे कविता पूरी करने को कहा और मैनें एक प्रयास किया , प्रयास कितना सफ़ल है यह आप लोग ही बताएंगे । बिल्ली बोली म्याउं म्याउं दूध पियुं या चूहे खाउं व्रत रखूं या संडे मनाउं या डॉगी को खूब छकाउं गंगा में या जा नहाऊं नहीं तो राजनीति अपनाऊं बिल्लियों की आवाज़ उठाऊं या फ़िर जंगल में बस जाऊं किसी के घर पर कभी न आऊं या फ़िर माया नगरी जाऊं फ़िल्मों में जा नाम कमाऊं या फ़िर खोलुं अस्पताल करूं मैं चूहों का इलाज़ या कुत्ते के बच्चे पालुं काम से पैसा खूब कमा लूं या फ़िर शेर को जा पढाऊं पेड के ऊपर चढना सिखाऊं या फ़िर बन जाऊं मैं डांसर उंगलियों पर नचाऊं बंदर देखे सपने बहुत हसीन पांव पडें न पर ज़मीन इतनें में आया इक मच्छर बैठ गया बिल्ली के ऊपर कान के ऊपर जब आ काटा तब बिल्ली का सपना टूटा म्याऊं-म्याऊं करके गई भाग लगी हो ज्यों जंगल में आग तुम्हारे लिये लाये सीमा सचदेव * आज ही |