मित्रों!
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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हर राह पर गुलों की कालीन तुम बिछाना
आए हजार बाधा धीरज से लाँघ जाना.।.
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हिलाये से तो हिलते नहीं अभी
...चलो-चलो, हटो-हटो। विद्यालय के छोकरा लोगों की बतकही में क्यों भड़क रहे हो। थोड़ा नाजुक सा ख्याल रखो कि स्मित मन मुस्कान है हम ईरानी ईरानी। समझ लो कि सलेबस, सेमस्टर के चक्कर में जो पढ़ गये होते तो अकड़ाये रहते खरे खरे।
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भारत माता की जय बोलो
अपने मन की गिरहें खोलो
भारत माता की जय बोलो
मातृभूमि की शान बनो तुम
देखो ना हैवान बनो तुम
बंद पड़े जो ताले खोलो
भारत माता ...
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कलयुग के भगवान
मैं तो सिर्फ तुमे ही मानता महान
तुम तो ठहरे कलयुग के भगवान
तुम्हारी ताकत का है मुझे अंदाज़ा
अपने क्षेत्र के तुम हो राजा
अपने घर भी तुमने बना दी दूकान
तुम तो ठहरे कलयुग के भगवान...
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अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता.
इन कट्टर वादियों को कैसे समझाया जाए कि देश में सैहार्द का ऐसा माहौल बनाया जाए कि लोग गूढ़ तथ्यों को समझें. उनमें देश प्रेम जागे और उसके बाद उनसे कहा जाए कि इसका इजहार करने के कई तरीके हैं – जैसे जय हिंद, जय हिंदुस्तान, हिदुस्तान जिंदाबाद, जय भारत, भारत माता की जय, इंकलाब जिंदाबाद, वंदेमातरम, इत्यादि इत्यादि तो वे स्वेच्छा से ही किसी एक को चुनेंगे. और तब आपको ज्ञात हो जाएगा कि कौन देश प्रेमी है और कौन नहीं. इस प्रकार के आतंकी दबाव से लोग बिफरेंगे ही और देश में गलत माहौल पैदा हो जाएगा...
Laxmirangam
इन कट्टर वादियों को कैसे समझाया जाए कि देश में सैहार्द का ऐसा माहौल बनाया जाए कि लोग गूढ़ तथ्यों को समझें. उनमें देश प्रेम जागे और उसके बाद उनसे कहा जाए कि इसका इजहार करने के कई तरीके हैं – जैसे जय हिंद, जय हिंदुस्तान, हिदुस्तान जिंदाबाद, जय भारत, भारत माता की जय, इंकलाब जिंदाबाद, वंदेमातरम, इत्यादि इत्यादि तो वे स्वेच्छा से ही किसी एक को चुनेंगे. और तब आपको ज्ञात हो जाएगा कि कौन देश प्रेमी है और कौन नहीं. इस प्रकार के आतंकी दबाव से लोग बिफरेंगे ही और देश में गलत माहौल पैदा हो जाएगा...
Laxmirangam
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हाँ मैं जागो मांझी ही बोल रहा हूँ गलत है कि मैं मर गया हूँ
मैं मर कैसे सकता हूँ
मैं तो बोल ही रहा हूँ कि
मैं भूखा हूँ मुझे रोटी दो
पर सुनेगा कौन?
इस कब्रिस्तान में?...
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घोष का घोष आदरणीय दादा
अर्थात दिलीप घोष जी नोमोस्कर |
वैसे उम्र के हिसाब से
आप हमारे दादा नहीं हो सकते
लेकिन जो बलशाली है,
जिससे डर लगता है...
अर्थात दिलीप घोष जी नोमोस्कर |
वैसे उम्र के हिसाब से
आप हमारे दादा नहीं हो सकते
लेकिन जो बलशाली है,
जिससे डर लगता है...
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