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शनिवार, अप्रैल 16, 2016

अति राजनीति वर्जयेत् (चर्चा अंक-2314)

मित्रों
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

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बाल कविता 

"खेतों में शहतूत लगाओ"  

हरे-सफेद, बैंगनी-काले।
छोटे-लम्बे और निराले।।

शीतलता को देने वाले।
हैं शहतूत बहुत गुण वाले।।
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चन्द माहिया : क़िस्त 32 

:1:  
माना कि तमाशा है 
कार-ए-जहाँ यूँ सब फिर भी 
इक आशा है 
:2:... 
आपका ब्लॉग पर आनन्द पाठक 
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राम-नाम की महिमा व्यापक 

शशि-मुख के जैसे वे सुन्दर
समुद्र के तल सम वे गंभीर
धैर्यवान पृथ्वी की भांति
आदर्शवान थे श्री रघुवीर.
माता-पिता-भाई-गुरुजन
सेवक-भृत्य या कोइ प्रजाजन
कर्तव्य पालन वो करते हरदम
शुचितामय था उनका जीवन.
विश्वामित्र के संग गये थे
तप-संयम-सेवा किये थे... 
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रवानी इश्क़ मेरा ... 

किसी की आह दर तक आ गई है 
कि ख़ामोशी असर तक आ गई है 
बुज़ुर्गों ने रखा था दूर जिसको 
वो वहशत आज घर तक आ गई है... 
Suresh Swapnil 
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ऐसे थे हमारे गुरु भारद्वाज जी 

श्रद्धा पूर्वक नमन 
Govind Singh(गोविन्द सिंह) 

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