मित्रों
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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बाल कविता
"खेतों में शहतूत लगाओ"
शीतलता को देने वाले।
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चन्द माहिया : क़िस्त 32
:1:
माना कि तमाशा है
कार-ए-जहाँ यूँ सब फिर भी
इक आशा है
:2:...
आपका ब्लॉग पर आनन्द पाठक
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राम-नाम की महिमा व्यापक
शशि-मुख के जैसे वे सुन्दर
समुद्र के तल सम वे गंभीर
धैर्यवान पृथ्वी की भांति
आदर्शवान थे श्री रघुवीर.
माता-पिता-भाई-गुरुजन
सेवक-भृत्य या कोइ प्रजाजन
कर्तव्य पालन वो करते हरदम
शुचितामय था उनका जीवन.
विश्वामित्र के संग गये थे
तप-संयम-सेवा किये थे...
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रवानी इश्क़ मेरा ...
किसी की आह दर तक आ गई है
कि ख़ामोशी असर तक आ गई है
बुज़ुर्गों ने रखा था दूर जिसको
वो वहशत आज घर तक आ गई है...
साझा आसमान पर
Suresh Swapnil
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