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मंगलवार, अप्रैल 12, 2016

"ज़िंदगी की किताब" (चर्चा अंक-2310)

मित्रों
मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

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"फोटो फीचर  
"मेरी दो पुस्तकों का विमोचन" 
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ये जो ज़िंदगी की किताब है 

Sehar पर Ria Sharma, Sehar  
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होता ग़ाफ़िल तो क्या नहीं होता 

घर किसी का बसा नहीं होता 
प्यार गर कुछ रहा नहीं होता... 
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ 
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ऐतबार 

उड़ान पर Anusha Mishra 
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धरती रोती है 

कल्पना रामानी  
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किताबों की दुनिया -122 

नीरज पर नीरज गोस्वामी 
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'' वर्षान्त के बिन बरसे बादलों को देख कर ''  

नामक गीत ,  

कवि श्रीकृष्ण शर्मा के गीत संग्रह -  

'' फागुन के हस्ताक्षर ''  

से लिया गया है - 

घिरे मेघ कल से , अभी तक न बरसे |  
ये ऐसे निढाल औ ' थके - से पड़े हैं , 
ज्यों आये हों चल करके लम्बे सफ़र से... 

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