मित्रों
मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
--
"फोटो फीचर
"मेरी दो पुस्तकों का विमोचन"
--
ये जो ज़िंदगी की किताब है
--
होता ग़ाफ़िल तो क्या नहीं होता
घर किसी का बसा नहीं होता
प्यार गर कुछ रहा नहीं होता...
अंदाज़े ग़ाफ़िल पर
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
--
--
--
--
--
--
--
--
--
--
--
'' वर्षान्त के बिन बरसे बादलों को देख कर ''
नामक गीत ,
कवि श्रीकृष्ण शर्मा के गीत संग्रह -
'' फागुन के हस्ताक्षर ''
से लिया गया है -
घिरे मेघ कल से , अभी तक न बरसे |
ये ऐसे निढाल औ ' थके - से पड़े हैं ,
ज्यों आये हों चल करके लम्बे सफ़र से...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर
केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।